Thursday, December 25, 2025

भाषा का सोन्दर्य देखना हो तो हमारे ग्रंथो को देखो – डॉ. प्रेमलता चुटैल

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भाषा का सोन्दर्य देखना हो तो हमारे ग्रंथो को देखो – डॉ. प्रेमलता चुटैल

सागर। स्वामी विवेाकानंद विष्वविद्यालय में हिन्दी दिवस के अवसर पर दिनांक 15 सितम्बर 2023, शुक्रवार को ‘‘तुलसी के मानस में भाषाई सौन्दर्य‘‘ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। दीप प्रज्जवल एवं पूजन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय सागर के संस्थापक कुलपति, डॉ. अनिल तिवारी जी ने कहा कि – भाषा की शुद्धता के लिए रामचरित मानस का पाठ करना चाहिए। आज की स्थिति में रामायण के पाठ्य में कमी आई है। बच्चो के स्वयं के सीखने के लिए, वर्तनी की शुद्वता के लिए रामायण जी का पाठ करना चाहिए। मातृभाषा को शुद्ध करने का आग्रह किया। हम जिस भाषा में सोचते है उसी भाषा में बोलते है। कार्य कुषलता बढ़ाने के लिए भी सोचने और बोलने की भाषा एक ही होनी चाहिए। व्यक्ति यदि कुछ व्यक्त करता है तो उसका व्यक्तित्व सामने आता है। मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक भाषाई पहचान होती है। तुलसीदास ने राम चरित मानस में अनेक मर्मस्पर्षी स्थलो का सुन्दर नियोजन किया है। संगोष्ठी का औचित्य स्वमी विवेकानंद विष्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सुकदेव बाजपेई ने देते हुए कहा कि – भारतीय भाषाओं की लड़ाई आज की नहीं है। तुलसी से हर व्यक्ति परिचित है। भाव भाषा प्रबद्धकौषल छन्द अंलकार योजना, रचना, कौषल आदि सभी दृष्टियों से राम चरित मानस हिन्दी साहित्य का अद्वितीय ग्रन्थ है। सम्पूर्ण जीवन में कुछ सीख देने का यदि कोई ग्रंथ है तो वह राम चरित मानस है। अतिथि प्रध्यापक समाजषास्त्र उज्जैन डॉ. सुनीता श्रीवासत्व ने कहा कि- आज यह सोचने का विषय है। हमें क्यू अपनी मात्रृभाषा के लिए लड़ाई लडना पड रही है। जब हमें अपनी भावनाए व्यक्त करना सपने देखना हिन्दी में अच्छा लगता है तो बोलना क्यू नहीं शब्दो को बदलने के लिए हमें अपने आप को भी बदलना होगा। आज हमें क्यू कॉकटेल भाषा का प्रयोग करना पढता है हमें इस पर विचार करना होगा कि- विरासत में हम अपनी आने वाली पीढि को क्या देकर जाएंगे। आज हम हिन्दी बोलने में शर्म महसूस क्यू करते है। मुख्यवक्ता की आसदी से बोलते हुए संयोजक भारतीय भाषा मंच डॉ. प्रेमलता चुटैल ने कहा कि- देष को पुस्तको से नहीं भ्रमण करके देखना चाहिए। भाषा का प्रष्न अपने सम्मान और स्वाभिमान का प्रष्न होता है। हमारे भारतीय भाषा मंच का सबसे बड़ा उद्धेष्य भाषा को तोडने का नहीं जोड़ने का है। लुप्त हो रही संस्कृति को पोषित करने का समय आ गया है। हमे अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए। किसी अंग्रेज ने कहा था की हम इस देष में रहे या न रहे पर अपनी भाषा छोड़कर जा रहे है तो इसलिए आज हमे उस कथन को छुठा साबित करना होगा। भाषा का सोन्दर्य देखना हो तो हमारे ग्रंथो का देखो। लोक का ज्ञान लोगो की भाषा से दिया जाता है। अध्यक्षीय उद्धबोधन स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. अजय कुमार तिवारी के द्वारा दिया गया। आपने कहा कि- हिन्दी को गोरव बढ़ाने के लिए और षिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए त्रिभाषा सुत्र को अपनाया गया है। भाषा एकता का प्रचारक है भाषा से अपनेपन का भाव आता हैं। हमारा देष आजाद हो गया हैं परन्तु हिन्दी भाषा अभी स्वतंत्र नहीं हो पाई हे। हमे अपने देष का गोरव स्वयं बढाना होगा। इस हिन्दी दिवस के पखवाडे में हम 15 दिन ऐसे प्रयोग करेंगे ताकि सभी संस्थानों द्वारा मात्रृभाषा का प्रचार-प्रसार हो आभार ज्ञापन स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ. सुनीता जैन द्वारा दिया गया।

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