राज्य सुरक्षा अधिनियम के आदेशो का उलंधन पर जिला बदर, 6 माह का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड
सागर। राज्य सुरक्षा अधिनियम के आदेशो का उलंधन करने वाले जिला बदर आरोपी अनिल कुमार उर्फ मुन्ना तिवारी को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, श्रृंखला न्यायालय मालथौन जिला-सागर, सुश्री आरती आर्य की अदालत ने दोषी करार देते हुये म.प्र. राज्य सुरक्षा अधि. की धारा- 14 के तहत 06 माह का सश्रम कारावास एवं पॉच सौ रूपये अर्थदण्ड तथा भा.द.वि. की धारा 188, के अंतर्गत 200/-रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। मामले की पैरवी प्रभारी उप-संचालक (अभियोजन) धर्मेन्द्र सिंह तारन के मार्ग दर्शन में सहा.जिला लोक अभियोजन अधिकारी अनिल अहिरवार ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि थाना बांदरी के निरीक्षक द्वारा दिनॉक 23.12.2008 को कस्बा भ्रमण के दौरान मुखबिर द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि जिला बदर आरोपी मुन्ना तिवारी छींकनी तिगड्डा पहुच रहा है उक्त सूचना की तसदीक हेतु बताये गये पते पर हमराह स्टाफ के साथ पहुुचने पर रोड़ किनारे खड़े एक व्यक्ति को अनिल उर्फ मुन्ना तिवारी के रूप में पहचाना गया जिसे हमराह स्टाफ द्वारा घेराबंदी कर उसे अभिरक्षा में लेकर पूछताछ की गई जिसने अपना नाम अनिल कुमार उर्फ मुन्ना तिवारी पिता बैनी प्रसाद निवासी-नरयावली का होना बताया। जिला बदर के संबंध में पूछने पर उसके द्वारा मान. जिला दण्डाधिकारी सागर के द्वारा जिला बदर आदेश को केंद्रीय कारागार सागर से प्राप्त होना बताया जिसकी कार्यालय से तसदीक करने पर उक्त व्यक्ति का जिला दण्डाधिकारी सागर द्वारा म.प्र. राज्य सुरक्षा अधि. 1990 की धारा 3(2), 5/6 में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुये संलग्न आदेशानुसार एक वर्ष की अवधि के लिये सागर जिले से एवं समीपवर्ती सीमा से लगे जिलो की भौगोलिक सीमा से निष्कासित करना बताया गया अतः आरोपी को उक्त आदेष का उलंघन करना पाये जाने से म.प्र. राज्य सुरक्षा अधि. 1990 की धारा- 14 के अंतर्गत अपराध पाये जाने पर मौके पर उपस्थित साक्षीगण के समक्ष आरोपी को गिरफ्तार किया गया। उक्त आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-बांदरी द्वारा म.प्र. राज्य सुरक्षा अधि. 1990 की धारा-14 एवं भादवि की धारा- 188 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, श्रृंखला न्यायालय मालथौन जिला-सागर आरती आर्य की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपर्युक्त सजा से दंडित किया है।