हम सभी को जात पात का भेद मिटाकर एक स्नेह सूत्र में बंधना है- स्वामी विजय शंकर ब्रह्ममचारी

 हम सभी को जात पात का भेद मिटाकर एक स्नेह सूत्र में बंधना है- स्वामी विजय शंकर ब्रह्ममचारी आध्यात्मिकता और आत्मीयता के माहौल में वंचित वर्गो को स्नेह यात्रा के दौरान मिला पूज्य संतों का सानिध्य

सागर। स्नेह यात्रा के आज सागर जिले में समापन दिवस पर सागर विकासखंड में यात्रा का प्रारम्भ ग्राम बदोना से किया गया। यात्रा के दौरान स्वामी स्वामी विजय शंकर ब्रह्ममचारी जी महाराज का स्वागत वंदन किया गया। इसके बाद यात्रा आमेट, भैंसा, कुडारी, वाछलोन पहुंची जहां महिलाओं ने ढोल मजीरा के साथ स्वागत किया तथा भजन कीर्तन किया और खिचड़ी प्रसाद वितरण और सहभोज के बाद यात्रा दोपहर के बाद बडकुआ, गिदवानी, मकरोनिया नगर परिषद् के वार्ड क्रमांक 16 एवं वार्ड 18 होती हुई बम्होरी बीका पहुंची। जहां पर सह भोज एवं सत्संग का आयोजन एवं ग्रामीण जनों द्वारा अखाड़ों, भजन मंडलियों द्वारा फूल मालाओं के साथ स्वागत किया एवं महिलाओं ने कलस व दीपो द्वारा स्वागत किया।

इसी तारतम्य में आज सागर विकासखंड के ग्रामो में आयोजित संवाद के दौरान स्वामी जी ने कहा कि भगवान् श्री राम ने हमें भीलनी सबरी के प्रसंग से बताया की उन्होंने जात पात के बंधनो में न बांधते हुए सभी को प्रेम से स्वीकार किया है, चाहे बहे कोई भी जात पंथ का हो इसलिए हम सभी को आपस में द्वेष घृणा भेदभाव को मिटाकर आपस में एक दूसरे से प्रेम पूर्वक व्यव्हार कर स्नेह एकता के सूत्र में बंधकर अपने समाज, अपने राष्ट्र को आगे बढ़ाना हैlमहाराज जी ने कहा की हमें ये संकल्प लेना है कि घर में परिवार के साथ एवं समाज में सबके साथ भोजन और भजन और व्यव्हार साथ में करेंगे तो इसी से ही समाज में और परिवार में समरसता का भाव आएगा एवं स्नेह बढ़ेगा और हमारा देश एक मजबूत रिश्तो में जुड़ता जाएगा। ग्राम भैंसा में उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने पुरे भारत में पैदल चलकर भारत के लोगो को समरसता का भाव जाग्रत किया है हमको अगर भारत बारे को दोबारा विश्वगुरु के स्थान पर स्थापित करना हैं तो हम सभी को मनोभाव से स्नेह के साथ रहना होगा यही हमारी स्नेह यात्रा का उद्देश्य है lयात्रा का विशेष आकर्षण यात्रा समापन के अवसर पर आयोजित सतसंग और सहभोज है। जिसमें स्थानीय जन जाति-पॉति का भेद-भाव भुलाकर एक थाल-एक ख्याल की भावना से खिचडी का प्रसाद प्राप्त करते है। सही मायनों में प्रसाद के रूप में खिचडी सभी जाति-वर्गो के एकाकार हो जाने की ही भावनात्मक अभिव्यक्ति है।

यात्रा विभिन्न बस्तियों से गुजर कर अंत में दोपहर और रात में पूज्य संत के सानिध्य में प्रवचन, और संकीर्तन का आयोजन किया गया। जिसमें बडी संख्या में वंचित वर्गो का प्रतिनिध्तव रहा है।आज सागर जिले के विकासखंड सागर में 10 ग्रामों में आयोजित यात्राओं में जन संवाद के कार्यक्रम आयोजित किये गये। जिनमें लगभग 3000 से अधिक लोगों ने सहभागिता की।यात्रा के अंतिम पड़ाव में सागर विकासखंड के बम्होरी बीका में सागर जिले की 11 दिवसीय यात्रा का सत्संग और सहभोज के साथ स्नेह यात्रा का समापन किया गया

इस यात्रा में गायत्री परिवार शुक्ला ,  महेश दत्त त्रिपाठी , रामचंद्र मिशनरामचंद्र मिशन की श प्रतिभा शांडिल्य, जन अभियान परिषद के संभाग समन्वयक  दिनेश उमरिया जिला समन्वयक श्री केके मिश्रा ब्लॉक समन्वयक  अंजली पाठक , परामर्शदाता शिवदीन आठ्या  आरती प्रजापति  रश्मि ठाकुर, नीरज व्यास संदीप रैकवार नवांकुर प्रतिनिधि गौरव सिंह राजपूत, प्रेमनारायण कुर्मी एवं समस्त ग्राम वासी उपस्थित रहे l

गौरतलब है की समरसता यात्रा मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद के संयोजन में प्रदेश के सभी 52 जिलों में सामाजिक सद्भाव और समरसता के उद्देश्य से स्नेह यात्रा का आयोजन किया गया। सामाजिक जीवन में भेद भाव भुलाकर एकता की भावना के सम्प्रेषण और सकारात्मक और सार्थक वातावरण निर्माण के उद्वेश्य से 26 अगस्त तक प्रदेश के समस्त 52 जिलों में स्नेह यात्रा का आयोजन किया गया है। यात्रा प्रत्येक जिलें में 11 दिन चली। प्रत्येक जिले में स्नेह यात्रा का नेतृत्व एक प्रतिष्ठित संत कर रहे थे ।
सागर जिले में यात्रा का नेतृत्व स्वामी राजीव लोचन दास जी एवं संत विजय शंकर ब्रम्हचारी जी महाराज के द्वारा किया जा रहा था यात्रा प्रतिदिन विविध सेवा बस्तियों में प्रवास कर समरसता का संदेश दे रही थी । संत वंचित सागर वर्गो में घर-घर जाकर समाज को एकता के सूत्र में जोड़ने के साथ संत परम्परा की अनुभूति के लिये परम्परागत कलावा बंधन, सामूहिक संकीर्तन, प्रवचन, और भजन मंण्डलियों की प्रस्तुतियों से गांव-गांव वातावरण श्रद्धा और आस्था से परिपूर्ण किया गया l

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