स्वातंत्र्य मूल्य और शैक्षिक क्रांति का अग्रणी संस्थान बने विश्वविद्यालय: प्रो. नीलिमा गुप्ता
सागर। डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में भारतवर्ष का राष्ट्रीय पावन पर्व स्वतंत्रता दिवस धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने ध्वजारोहण किया तथा राष्ट्रगान के बाद सभा को संबोधित किया.
उन्होंने स्वतंत्रता दिवस की 76वीं वर्षगाँठ के अवसर पर सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें देते हुए कहा कि मुझे इस बात पर गर्व है कि हमारे देश भारत ने आज के ही दिन स्वतंत्रता के महान मूल्यों को अर्जित किया था। 15 अगस्त, 1947 से लेकर आज तक की इस गरिमामयी यात्रा में हमारे देश ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र होने की हैयिसत प्राप्त की है। आजादी के इस सूर्य के आवाहन के लिए लाखों शहीदो ने अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है। इसलिए आज का दिन अपने स्वाभिमान और स्वाधीनता का आदर करने के साथ ही इस दिन के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे अमर सेनानियों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करने का भी दिन है। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त हमारे लिए कैलेण्डर का महज एक दिन नहीं है हमारे देश के लिए उसके स्वाभिमान का स्थाई वसंत है।
उन्होंने विश्वविद्यालय के संस्थापक आदि पिता डॉ. सर हरीसिंह गौर को याद करते हुए कहा कि हम सबका उद्देश्य यह होना चाहिए कि स्वतंत्रता का यह वसंत सबके जीवन में उतरे। यही हमारे संस्थापक के प्रति हमारी सच्ची सेवा होगी। हमारे पुरखों ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर अपने हिस्से का भी उजाला हमारे नाम लिख गये थे। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम अपनी इस स्वतंत्रता का सम्मान भी करें और निरन्तर इसे समृद्ध भी करते चलें। ऐसा करते हुए ही हम अपने देश की प्रगति और चतुर्दिक विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।समन्वित अनुशासन, नैतिक बल, मानवीयता और संस्कारित एकता के माध्यम से ही हम सभी स्वतंत्रता के नैसर्गिक आनंद से स्वयं को जोड़ पायेंगे। हमारा पुनीत कर्तव्य है कि हम स्वयं की और अपने विश्वविद्यालय की भी स्वतंत्रता को और अधिक तार्किक बनाते हुए ज्ञान-विज्ञान के नवाचारी वैश्विक सन्दर्भों से समृद्ध करें। हमें अपने स्थानिक जरूरतों के अनुकूल ज्ञान-विज्ञान और शोध को बढ़ावा देकर स्थानीय से वैश्विक तक की यात्रा करनी होगी। इसी रास्ते से हमारा देश सभी आयामों में आत्मनिर्भर हो सकेगा।