बेबस नदी के तट पर जुटे पुजारी पुरोहित विद्वान
सागर। पुरोहित पुजारी विद्वत संघ के तत्वाधान में वृहद रूप से श्रावणी उपाकर्म का कार्यक्रम चितौरा के पास बेबस नदी के घाट पर गुरुवार को सुबह 6 बजे से 10बजे तक संपन्न हुआ। इसमें सभी ने दसविध स्नान तर्पण किया पंचगव्य पान करके देव और ऋषि पूजन किया नवीन यज्ञोपवीत धारण किया।
कार्यक्रम में आचार्य के पद पर वयोवृद्ध पं.सुरेश नारायण द्विवेदी विराजमान रहे। संघ के अध्यक्ष पं.शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि प्राचीन ऋषि परंपरानुसार श्रावणी ब्राह्मणों का प्रमुख त्योहार माना जाता है उपाकर्म कार्य में सर्व प्रथम प्रायश्चित संकल्प होता है इसमें वर्ष भर में हुए अनजान पापों का मंत्रो द्वारा शमन और प्रायश्चित किया जाता है।पं.रामगोविन्द शास्त्री ने बताया की प्रत्येक पुजारी पुरोहित को उपाकर्म आवश्यक बताया गया है क्योंकि ब्राह्मण जगत कल्याण का प्रणेता कहा जाता है ब्राह्मण वर्ष भर जो आशीर्वाद प्रदान करके अपनी ऊर्जा को क्षीण करता है उसके उत्सर्जन को हमारे ऋषियों ने ये परंपरा बनाई थी जिसको हम श्रावणी उपाकर्म कहते हैं। राष्ट्रीय कथा प्रवक्ता पं.बृजेश जी महाराज ने कहा आज हम जो स्नान कर रहे है इसको दसविध स्नान कहा जाता है इसमें तीर्थ जल,भस्म, गोबर, गोमूत्र,मृतिका,दूध,दही,घी,कुशोदक,दूरवोदक आदि से स्नान किया है,कटी पर्यंत जल में प्रवेश करके देव,ऋषिऔर पितृ तर्पण किया है।
पं.रामचरण शास्त्री श्रीहरि महाराज ने कहा बाहर की शुद्धि के लिए स्नान और शरीर की भीतरी शुद्धि के लिए पंच गव्य का पान किया जाता है सबने स्नान उपरांत गोघृत, दूध,दही,गोमूत्र गोबर आदि का मिश्रण जिसको पंच गव्य कहते है पान किया और अब साधारण भाषा में कहें तो उपाकर्म द्वारा एक वर्ष के लिए सभी विद्वान ऊर्जावान हो गए हैं। कार्यक्रम के उपाचार्य पं.रामेश्वर प्रसाद तिवारी बंडा द्वारा देव पूजन,सप्तऋषि पूजन,प्रवर पूजन कराया गया अंत में सभी ने हवन पूर्णाहूति की।
कार्यक्रम में पं.जुगलकिशोर द्विवेदी, पं.मदन गोपाल शास्त्री,पं.श्रीराम दुबे,पं.बलराम भारद्वाज,पं.हरिहर मिश्रा,पं.संदीप तिवारी,गुड्डन महाराज सहित बड़ी संख्या में पुरोहित पुजारी और कथावाचक ब्राह्मण उपस्थित रहे।