समाज में महत्वपूर्ण होना अच्छी बात है लेकिन अच्छा होना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है- डॉ सीरोठिया

समाज में महत्वपूर्ण होना अच्छी बात है लेकिन अच्छा होना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है- डॉ सीरोठिया

विनम्र जी सच्चे अर्थों में साहित्यकार थे – त्रिपाठी 

विनम्र जी ने यथा नाम तथा गुण की उक्ति को सार्थकता दी – ज्योतिषी 

सागर । सुप्रसिद्ध साहित्यकार स्व.नेमीचंद्र जैन विनम्र की 97 वीं जन्म जयंती पर स्मरण आयोजन पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी फाउंडेशन सागर द्वारा गुरुवार को जे जे इंस्टीट्यूट सिविल लाइंस सागर में किया गया।

इस अवसर पर स्व.विनम्र के चित्र पर सभी उपस्थित जनों द्वारा

पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात् कार्यक्रम के संयोजक म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने स्वागत भाषण और कार्यक्रम परिचय देते हुए विनम्र जी के सामाजिक, साहित्यिक जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए पं.ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी उनके आत्मिक संबंधों का उल्लेख किया तथा उनके संस्मरणों को व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि विनम्र जी ने यथा नाम तथा गुण की उक्ति को सार्थकता दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गीतकार कवि डॉ.श्याम मनोहर सीरोठिया ने उनकी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा कि स्व विनम्र जी सामाजिक रिश्तों को निभाने में बेहद संवेदनशील थे वे कहते थे समाज में महत्वपूर्ण होना अच्छी बात है लेकिन अच्छा होना और भी महत्वपूर्ण है।स्व.विनम्र नाम के अनुरूप विनम्र एवं भले इंसान थे फिर भी हम आइसबर्ग फिनॉमिना की तरह उनके 20 प्रतिशत व्यक्तित्व से ही परिचित हो सके थे उनका अस्सी प्रतिशत व्यक्तित्व हमें समझना शेष था।वह सागर के साहित्य जगत के देदीप्यमान नक्षत्र थे।अध्यक्षीय भाषण में साहित्यकार टी आर त्रिपाठी ने कहा कि विनम्र जी सच्चे अर्थों में साहित्यकार थे ।उन्होंने कविताओं के साथ-साथ गद्य भी लिखा। दैनिक जागरण भोपाल के सागर संस्करण में लगातार लगभग हर माह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पारिवारिक लोगों से जानकारी एकत्रित कर एक लेख तैयार करते थे और वह उनकी स्मृति के रूप में प्रकाशित होता था। इस तरह लगभग एक सौ छब्बीस धारावाहिक उन्होंने सागर जिले के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन पर केंद्रित व्यक्तित्व और कृतित्व पर आधारित कर प्रकाशित कराईं जिनमें सागर जिले के अलावा ऐसे लोग भी सम्मिलित हैं जो दूसरे जिले से यहां आकर आंदोलन में भागीदारी कर रहे थे।यह कार्य सागर के किसी अन्य रचनाकार ने नहीं किया।किरण जैन, वीरेन्द्र प्रधान,पी आर मलैया, पैट्रिस फुस्केले ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आभार प्रदर्शन शायर आदर्श दुबे ने किया।

इस अवसर पर श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र,पाठक मंच केंद्र संयोजक आर के तिवारी, लेखक संघ से वृंदावन राय सरल, तुलसी साहित्य अकादमी अध्यक्ष अरुण दुबे, श्रीराम सेवा समिति अध्यक्ष डॉ विनोद तिवारी,काव्य मंच से कपिल चौबे,अविनीश जैन, संतोष जैन, मुकेश तिवारी,दिलीप सांधेलिया, नवीन जैन, अशोक फुस्केले, ममता भूरिया, डॉ रवि शंकर गुरु, प्रमोद कुमार जैन,प्रेमचंद जैन ,अशोक फुस्केले, अरविंद सांधेलिया, महेश अहिरवार सहित स्व.विनम्र जी के परिजनों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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