MP: प्रदेश में नकली दवा बनाने और धड़ल्ले से बाजार में चलाने के मामले सामने आते रहे हैं, हूबहू पैकिंग की नकली दवाओं को मार्केट में भ्र्ष्टाचार के सहारे खपाया जाता है इसमें सरकारी मशीनरी को भी कथित रूप से मिला लिया जाता है, नकली दवा माफिया अब प्रोटीन पाउडर और अन्य मल्टीविटामिन पर भी अपना ध्यान लगा रहे हैं सागर जिले की बात करे तो जिले में अमानक प्रोटीन पाऊडर धड़ल्ले से बाजार में बिक रहा है इसका कोई मानक, ड्रग विभाग से फेरिफाइ नही, और सागर जिले में कोई ड्रग विभाग कार्य कर रहा है ऐसा प्रतीत नही होता
ताजा मामला- नकली दवा बनाकर मार्केट में बेचने वाली कंपनी पर इंदौर की लसुडि़या पुुलिस ने छापा मारकर 25 लाख रुपये कीमत की दवा जब्त की है। बता दें इंदौर में ड्रग विभाग की उदासीनता मिलीभगत के संकेत सूत्रों के हवाले से मिलते रहे हैं यह कार्यवाही पुलिस विभाग को करनी पड़ी जबकि इसका ताल्लुक सरकारी ड्रग विभाग से है।
इंदौर की कंपनी क्योरवीन फार्मास्यूटिकल एनर्जी पााउडर वर्षों से एनर्जी पाउडर का निर्माण कर रही है। कंपनी के इस प्रसिद्ध प्राॅडक्ट को एनर्जी प्राॅडक्ट के नाम मार्केट में बेचा जाता है, लेकिन हैदराबाद की क्लोरवीन हैलीको फार्मा प्रा.लि कंपनी हुबहू असली प्राॅडक्ट पैकिंग, नाम का उपयोग कर मार्केट में नकली पाउडर के रुप में बेच रही है। इसकी शिकायत फरियादी राजेंद्र तारे निवासी कृषि विहार कालोनी ने की थी। पुलिस ने कंपनी दवा बनाने वाली कंपनी के लसुडि़या स्थित गोडाउन मैं छापा मारकर 25 लाख रुपये कीमत का नकली एनर्जी पाउडर जब्त किया है। पुलिस ने क्योरवीन हैलीको कंपनी के डायरेक्टर के खिलाफ काॅपी राइट एक्ट 1957 की धारा-51 और 63 के तहत केस दर्ज किया है।पुलिस ने जब गोडाउन पर छापा मारा तो कर्मचारियों ने कहा कि कंपनी के कर्ताधर्ता उत्तम कुमार राव है।
लंबे समय से नकली दवा बनाने का काम इंदौर में हो रहा था। पुलिस ने तो प्रकरण दर्ज कर माल जब्त कर लिया, लेकिन औषधि विभाग का एक्शन न लेना कई सवाल खड़े कर रहा है।
एनर्जी पाउडर का काॅपी राइट असली कंपनी क्योरवीन ने 1998 में कराया था और कंपनी भी विधिवत पंजीकृत है। पुलिस तक मामला पहुंने से पहले फरियादी राजेंद्र तारे ने नकली दवा बनाने वाले निर्माता से नकली दवा निर्माण नहीं करने के लिए कहा था, लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया। इसके बाद थाने में नकली दवा दवा बनाने वाली कंपनी की शिकायत की गई।
फेडरेशन आफ फार्मा आन्त्रेप्रेन्योर के चेयरमेन हिमांशु शाह का कहना है कि इस तरह केस पहले भी सामने अाते रहे है। जो कंपनी पहले से दवा बना रही है और जिसके नाम पर काॅपीराइट है। उसे ही असली माना जाता है। एक ही नाम की दो दवाएं बाजार में रहने से ग्राहक के लिए भी हानिकारक।