सागर। डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय की एन एस एस यूनिट के तत्त्वावधान में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का आयोजन किया गया। इस अवसर संयुक्त कुलसचिव संतोष सहगौरा ने कहा कि पत्रकारों को अपने सिद्धांतों पर अडिग रहना चाहिए. पत्रकारिता का मूल उद्देश्य होता है तथ्यों को बिना किसी हस्तक्षेप के यथावत समाज तक पहुंचना। पत्रकारिता समाज का आईना होती हैं और जब तक समाज को आइना नहीं दिखाया जायेगा तब तक सुधार की गुंजाईश उत्पन्न नहीं होंगी। भारतीय संविधान द्वारा प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का पत्रकारों द्वारा नाजायज़ उपयोग नहीं होना चाहिए। उन्होंने बतया कि प्रेस संगठन का उदेश्य प्रेस को सशक्त करना होता है क्योंकि सशक्त प्रेस सशक्त समाज के निर्माण मे अहम भूमिका निभाता है।
पत्रकारिता विभाग के डॉ विवेक जायसवाल ने कहा कि प्रेस स्वतंत्रता दिवस को घोषित हुए तीन दशक हो चुके है. मीडिया एक ऐसा माध्यम है जो समाज और शासन के बीच एक सेतु का कार्य करता है। मीडिया, समाज और प्रशासन मे बीच समाज का एक माध्यम है और इसकी आवश्यकता अपरिहार्य है. विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस का इतिहास बताते हुए कहा कि मीडिया को कैसा होना चाहिए इस पर कई सिद्धांत हैं। उन्होंने मीडिया के चार सिद्धांत प्रभुसत्ता वादी सिद्धांत, उदरवादी सिद्धांत, सामाजिक उत्तरदायित्व सिद्धांत एवं सोवियत मीडिया सिद्धांत पर चर्चा की. मीडिया कोई वस्तु नहीं है, मीडियाकर्मी होना भी कोई विशेषधिकार नहीं होता. जो सामान्य नागरिक अधिकार होते हैं, वही मीडियाकर्मियों के अधिकार भी होते हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता वहीं से मिलती है. सोशल मीडिया एवं अन्य तकनिकी विकास से मीडिया की परिकल्पना और मज़बूत होती हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से समाज में लोकतांत्रिकता और अधिक विकसित होती और सशक्त नागरिक समाज से ही हम सशक्त राष्ट्र बना पाएंगे।
प्रो अंबिकादत्त शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि भारत दुनिया का सबसे प्राचीन लोकतंत्र हैं। भारत लोकतंत्र की जननी है लेकिन दुख की बात है कि वैश्विक स्तर पर रैंकिंग में भारत के प्रेस की स्वतंत्रता की रैंकिंग गिर रही है। दुनिया के बदलते स्वरुप पर चर्चा करते हुए उन्हीने बताया कि प्रेस का कार्य है। बहुमत की आवाज़ सरकार तक पहुंचाना. लेकिन आज के समय मे बहुमत को परिभाषित करना असंभव हो चला है। वर्तमान परिदृश्य मे प्रेस उत्तर यथार्थ को प्रस्तुत करने का कार्य करने लगा है. प्रेस अपनी स्वतंत्रता की दुहाई देते देते प्रेस मैन्युफैक्चरिंग कंसेंट की एक कार्यशाला बन चुकी हैं। एक नागरिक होने के नाते हमें बदलते समय में मीडिया और प्रेस की भूमिका को अधिक गहराई से समझने की जरूरत है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य है कि हम प्रेस की स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ समझें।
आभारज्ञापन करते हुए डॉ संजय शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम को आयोजित करने का उद्देश्य हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझना. सिर्फ स्वयं कि नहीं लेकिन दूसरों के अभिव्यक्ति के अधिकार की रक्षा करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है. मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है और उसकी ज़िम्मेदारी समाज के प्रति हैं।