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बागेश्वर पीठाधीश्वर बोले ‘द केरला स्टोरी’ फ़िल्म सत्य घटना पर आधारित: VIDEO

जैसीनगर में बागेश्वर धाम की कथा का दूसरा दिन पीठाधीश्वर बोले द केरला स्टोरी फ़िल्म सत्य घटना पर आधारित सागर। जैसीनगर में ...

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Gajendra Thakur

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जैसीनगर में बागेश्वर धाम की कथा का दूसरा दिन

पीठाधीश्वर बोले द केरला स्टोरी फ़िल्म सत्य घटना पर आधारित

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सागर। जैसीनगर में चल रही बागेश्वर धाम पं धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की कथा का आज दूसरा दिन था कथा के दौरान पीठाधीश्वर ने हालही में रिलीज हुई द केरला स्टोरी फिल्म का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि द केरला स्टोरी सत्य घटना पर आधारित फिल्म है। यह देश की वर्तमान परिस्थिति हैं सागर की सुरखी विधानसभा के जैसीनगर में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की 20 से 22 मई तक हनुमंत कथा आयोजित की गई है। कथा के दूसरे दिन रविवार को दिव्य दरबार लगाया गया। दिव्य दरबार में केरल से आई महिला की अर्जी लगी।

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केरल निवासी महिला ने मंच पर पहुंचकर कहा कि मैं टीवी पर आपकी कथा देखती थी। मैंने प्रण लिया था कि पंडाल में बैठकर कथा सुनना है और में आ गई। क्योंकि वहां कथा होती नहीं हैं महिला की बात सुन पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि मतलब द केरला स्टोरी सत्य बनी है। जिस पर महिला ने जवाब देते हुए कहा कि काफी कुछ सत्य है लेकिन कुछ एडिट की गई है। इससे पहले रात के समय हुई प्रश्नोत्तरी में पंडित धीरेंद्र शास्त्री से सागर के एक युवक ने द केरला स्टोरी को लेकर उनकी राय जाननी चाहिए। जिस पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने खुलकर बोलते हुए कहा कि द केरला स्टोरी सत्य घटना पर आधारित फिल्म है। ये देश की वर्तमान परिस्थिति है। हम सब हिंदू सोए हुए हैं। समझ नहीं पा रहे लोग हमसे कहते हैं कि आप भड़काऊ बयान देते हैं, आप विवाहित बातें करते हैं पर प्रायः हमारी बातें भड़काऊ नहीं, अपितु हिंदुओं को जगाऊ वाली बातें होती हैं। दूसरी बात जो हुआ है वह उस मूवी में दिखाया जा रहा है।
मूवी में जो बताया गया, वह अक्षर सा सत्य है,सब हिंदुओं का यह दुर्भाग्य है कि उस मूवी में जो-जो बताया गया है वह एक-एक अक्षर सा सत्य है। जब तक भारत के प्रत्येक मंदिर में हिंदुओं को यह शिक्षा नहीं देंगे कि सनातन क्या है ! और हिंदू क्या है ! तब तक ऐसी घटनाएं घटती रहेंगी और ऐसी फिल्में बनती रहेंगी। इस फिल्म से समझ जाना चाहिए और हमको जाग जाना चाहिए। हमारी बहनों को तो खासकर जान लेना चाहिए। अपने धर्म में मरना ठीक है, दूसरे धर्म का विचार करने से । इसिलए दूसरे मजहब और पंथ के व्यक्ति पर उतना ही भरोसा करना चाहिए, जितना कि हमको समुंदर में हुए सिक्के पर भरोसा हो मिलने का।

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