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कितना भी बड़ा अभिमानी हो भगवान उसका अभिमान तोड़ देते हैं – बागेश्वरधाम सरकार

कितना भी बड़ा अभिमानी हो भगवान उसका अभिमान तोड़ देते हैं – बागेश्वरधाम सरकार हम दो कौड़ी की टीवी में बने रहने ...

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Gajendra Thakur

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कितना भी बड़ा अभिमानी हो भगवान उसका अभिमान तोड़ देते हैं – बागेश्वरधाम सरकार

हम दो कौड़ी की टीवी में बने रहने के लिए नहीं बोलते हम जो बोलते हैं वह शास्त्र सम्मत ही होता है – बागेश्वरधाम सरकार

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सागर। हम सदैव वही बोलतें हैं जो शास्त्र सम्मत है लेकिन बोलने में बुंदेली का प्रभाव तो रहता है। लेकिन वह मति और भाव हमारे रहते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि टीवी पर बने रहने के लिए मैं कुछ शब्दों को बोलता हूँ। तो हम दो कौड़ी की टीवी में बने रहने के लिए नहीं बोलते। इस भारत में महावीर को भी लोग पत्थर मारते थे। हम भी किसी अंजाम की चिंता नहीं करते वहीं कहेंगे जो शास्त्रों में लिखा है। लेकिन एक बात तय है जब तक भारत से जातिवाद शून्य नहीं होगा तब तक यह देश हिन्दू राष्ट्र नहीं बन सकता। जब शास्त्रों की बात हम ही नहीं कहेंगे तो कौन करेगा। इसलिए सहने की आदत डालो और सत्य पर अड़े रहो। यब बात बागेश्वर धाम सरकार ने सात दिवसीय भागवत कथा के छठे दिन शनिवार को कही। कथा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और भगवान की कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित किया। खचाखच भरे पंडाल के बाहर भी हजारों लोगों की भीड़ उपस्थित रही। भंडारा व्यस्था देख रहे राजा ठाकुर ने बताया कि भंडारे में करीब तीन लाख लोगों ने प्रसादी ग्रहण की । कथा में भगवान के वृंदावन धाम आगमन का प्रसंग सुनाया। जहां अघासुर और बका सुर का वध किया। ब्रम्हा जी ने सोचा भगवान नियमों का पालन नहीं कर रहे कहीं भी आते जाते हैं। ब्रम्हा जी ने ग्वाल और गायों को गायब कर दिया। भगवान समझ गए लेकिन मांगने नहीं गए बल्कि सारी गायों और गोप ग्वाल बनकर प्रकट हो गए। जब एक साल तक भगवान लेने नही आए तो ब्रम्हा जी ने देखा तो हैरान रह गए और भगवान को प्रणाम कर क्षमा मांगी। इसी बीच भगवान ब्रम्हा बनकर ब्रम्हलोक पहुंच गए। जब ब्रम्हा पहुँचे तो द्वारपालों ने बहुरूपिया जानकर रोक लिया और ब्रम्हा बने भगवान कृष्ण के पास ले आए जब वहां याचना की तब उन्होंने ब्रम्हा के अभिमान का दम्भ किया। कोई कितना भी बड़ा अभिमानी हो भगवान अभिमानियों का अभिमान किसी न किसी तरह से तोड़ देते हैं। शकि का अभिमान हो, ज्ञान का अभिमान हो, धन या पद का अभिमान हो भगवान संतों को भेजकर अभिमान तोड़ते हैं।

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ये रहे उपस्थित

नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, सांसद राज बहादुर सिंह, विधायक शैलेंद्र जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह, विधायक प्रदीप लारिया, कलेक्टर दीपक आर्य, एसपी अभिषेक तिवारी मुख्य, आयोजक भूपेंद्र सिंह बहेरिया, सुरवेंद्र सिंह, शुभम सिंह, सुरेंद्र दुबे सागर शिष्य मंडल और संदीप दुबे सहित प्रभात सिंह, अजीत सिंह चील पहाड़ी, राजा ठाकुर, आदि उपस्थित थे।

युवाओं को दिया संदेश

बागेश्वरधाम सरकार ने कहा कि दुनिया मे सारा खेल आंखों का है। आप क्या देखते हैं यह निर्णय आपका है। युवाओं के हाथों में आज मोबाइल है। युवा मुझसे कहते हैं कि मन एकाग्र नहीं होते। मैं कहता हूं रात भर मोबाइल पर रील देखते हो तो मन कैसे लगेगा उसका सदुपयोग करो। विद्यार्थियों के लिए एकाग्र मन करने ब्रम्हमुहूर्त में ओम उच्चारण का उपाय बताया। उन्होंने कहा कि सेल्फी का युग है लेकिन मंदिर में आदर सम्मान देते समय सेल्फी पर ही उतना ध्यान मत दे की मूल काम ही बिगड़ जाए।

हनुमान जी से अच्छा श्रोता नहीं

बागेश्वरधाम सरकार पं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथा आरंभ में श्री राम सीता नाम कीर्तन किया। उन्होंने कहा कि हनुमानजी महाराज से अच्छा कोई श्रोता नहीं है, और ना ही उनसे अच्छा कोई वक़्ता है। इसके बाद भजनों पर लोग भक्ति मगन होकर जमकर नाचे और भक्ति रस से पंडाल सराबोर रहा। उन्होंने त्रिलोकी नाथ की प्रचलित कथा के माध्यम से भाववान और भक्त के बीच के प्रेम और समर्पण को समझाते हुए कहा कि भक्त के लिए भगवान किसी निर्दयी राजा में सामने भक्त का रूप धारण कर माता लक्ष्मी के आभूषण लेकर चले जाते हैं। जब तक संसार जान पाता है कि वह तो साक्षात भगवान थे जो त्रिलोकीनाथ बनकर आगये तब आंखों में प्रेम अश्रु ही शेष रह जाते हैं।

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