Monday, December 1, 2025

MP: बांधवगढ़, कान्हा, सतपुड़ा और पेंच जंगल और प्रदेश टाइगर स्टेट बना

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‘पेंच टाइगर रिजर्व छोटा पर प्यारा टाइगर का घर’
MP: बन्धवगढ़, कान्हा, सतपुड़ा और पेंच ऐसे जंगल है जहां टाइगर बरसों से अपनी संख्या के कारण मप्र को टाइगर स्टेट का खिताब देश में दिलाए हैं। पेंच टाइगर रिजर्व एक छोटा पर सहज टाइगर दर्शन की वजह अपनी पहचान बना रहा है।
कान्हा की सुंदरता चुम्बकीय आकर्षण रखती है। यहां होलोन और बंजर नदी का बहाव, सेंडूर के जुडाव तालाब और लंबे मैदान जिनमें चीतल चरते बड़े आकर्षण लगते हैं। साल का जंगल कान्हा को हरीतिमा की गरिमा पूरे साल प्रदान करता है।
पेंच टाइगर रिजर्व की जीवन रेखा पेंज नदी है। इसके अलावा सुंदर वाटर मैनेजमेंट है।पेंज रिजर्व सिवनी को 2006-7 में बेस्ट इको फ्रेंडली टूरिज्म अवार्ड मिल चुका है। ख़िताबो में पेंज की सूची लम्बी है।
इस माह पेंज टाइगर रिजर्व की छह जिप्सी सफारी की किसी टाइगर रिजर्व की समझने के लिये यह लिटमस टेस्ट से भी कम है क्योंकि वन्य जीव जिप्सी सफारी में दिखना किस्मत का खेल है। पर हर छह सफारी में टाइगर दिखना किस्मत का खेल नहीं टाइगर की उपलब्धता और जिप्सी के गाइड की जंगल और टाइगर की समझ को प्रदर्शित करती है।
यहां बांधवगढ़ या कान्हा जैसा सड़क पर टाइगर का कैट वाक कम ही देखने को मिलता होगा। मुझे इसका कारण जंगल में टाइगर पर बढ़ता हुआ जिप्सियों का दबाव महसूस हुआ। यहां गाइड के पास मोबाइल फोन नही होता फिर भी टाइगर दिखने के बाद जिप्सी का जमघट सड़क पर लगते देर नहीं। इस वजह टाइगर ने कुछ सम्मान जनक दूरी बना रखी है। कभी सड़क पार करते या पानी पीते उसकी बढ़िया फोटो आती है।
पेंच में 70 के करीब टाइगर हैं। नई टाइगर गिनती टाइगर डे पर घोषित होना सम्भावित है। चीतल यहां काफी है और साम्भर भी बहुत, कान्हा से यहां बारहसिंघा और चम्बल से पेंच नदी में घड़ियाल लाया जा सकता है। इससे यह पार्क और सम्पन्न हो जाएगा।
पेंच टाइगर रिजर्व को मोंगली लैंड के नाम से जाना जाता है। 1831 में यहां भेड़ियों के बीच पला ‘भेड़िया बालक’ मिला था। जिसका पुतला अलिकट्टा में लगाया गया है। वही जिप्सीयों खड़ी होती है। मोगली का बड़ा कुछ बड़ा पुतला घेरे में लगाया जाना बेहतर होता।
पेंच में लेपर्ड की लेपर्ड की सहज उपलब्धता है। ऐसी कान्हा में भी मुझे नहीं लगती। वह पहाड़ी काले चट्टानी इलाके पर अपना आधिपत्य जमाये है। चीतल की संख्या हजारों में है। लेकिन कान्हा में जब चीतलों के इस दिनों एकत्रीकरण होता है तब यह कम लगेगा।
कान्हा में साल के ऊंचे पुराने पेड़ जंगल को शीतलता प्रदान करते हैं। पेंच में वे यहां नहीं। जंगल और पहाड़ी में लेंटाना का अब बड़े रकबे में कब्जा हो गया है। यह विदेश दैत्य वनस्पति मूल सारी वनस्पतियों पर भारी है। इसका उन्मूलन बड़े पैमाने में तुंरत किया जाएं नहीं तो बारिश में पार्क बन्द होगा और इस सुंदर टाइगर रिजर्व में यह गुणात्मक वृद्धि कर लेगा।
अचानकमार टाइगर
रिजर्व के लिए अनुकरणीय।
छतीसगढ़ में टाइगर बढ़ने की संभावना अचानकमार में ज्यादा है। पेंच टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में कोई गांव नहीं। जबकि अचानकमार के कोर एरिया में 19 आबादी वाले गांव है। कहीं मवेशी चराई नहीं दिखती। अचानकमार में क्या यह सब अफसर करे सकते हैं? छतीसगढ़ सरकार सोचे और अफसर कर सकें इसके लिए मदद करे। किसी नक्शे में लकीर खींचने से टाइगर रिजर्व नहीं बनता अलबत्ता वह भार हो जाता है।- प्रेम चड्ढा

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