राजनैतिक हस्तशेप के कारण राजधानी में खाली पड़े बड़े थाने
नए कमिश्नर के प्रभार संभालने के बाद भी खल रही थाना प्रभारियों की कमी
एक महीने से ज्यादा हो चुके नवागत कमिश्नर को प्रभार संभाले फिर भी राजधानी के चार थानों में आज तक नही हुई थाना प्रभारियों की पोस्टिंग
सूत्रों के मुताबिक कुछ दिन पहले होने जा रहे थे इन थानों के आदेश जारी, बीच में फिर पहुंच गया राजनैतिक अकाओ का फोन, वापस होल्ड पर पहुंच गई थानों की पोस्टिंग। पर्ची पहुंचने के बाद हुए थे इन थानों के लिए निरीक्षकों के नाम तय, फिर बदला नेताओ का मन, चला फोन अटकी पोस्टिंग
भोपाल। राजधानी भोपाल में कमिश्नरी लागू होने के बाद से पुलिस का डर अपराधियों में देखने को तो मिल रहा है लेकिन कई थाने ऐसे हैं जो राजनैतिक कारणों की वजह से लंबे समय से खाली पड़े हुए हैं। इन खाली पड़े थानों को एसआई संभाल रहे हैं। कुछ समय पहले जब कमिश्नरी सिस्टम नहीं थी तो थाना प्रभारी की कुर्सी पर थाना प्रभारी ही मौजूद रहते थे। लेकिन राजधानी के सबसे अपराधिक गतिविधि में गंभीर माने जाने वाले थानों में इन दिनों थाना प्रभारियों की कमी खल रही है। जोन 1 में आने वाले अशोका गार्डन थाने में काफी लंबे समय से थाना प्रभारी की कमान सब इंस्पेक्टर संभाल रहे है, कुछ महीने पूर्व इसी क्षेत्र में दिन दहाड़े हुई प्रॉपर्टी डीलर की हत्या के बाद भी अब तक अशोका गार्डन थाने में थाना प्रभारी की आमद नही हो पाई। इसी जोन में आने वाले थाना बजरिया और जोन 4 में आने वाले थाना छोला मंदिर और थाना कोलार में भी थाना प्रभारी चंद्रकांत पटेल के जाने के बाद अभी तक किसी भी थाना प्रभारी की आमद नहीं हुई है। राजधानी भोपाल के यह वही थाने है जो अपराधियों की वजह से भोपाल शहर के काफी चर्चित थाने माने जाते हैं। जहां पर अपराधिक गतिविधि की घटनाएं अधिक होती हैं।सूत्रों के मुताबिक ऐसा नहीं है कि पुलिस विभाग के पास थाना प्रभारियों की कमी है लेकिन कहीं ना कहीं इन थानों में थाना प्रभारियों की आमद सिर्फ राजनैतिक हरी झंडी नहीं मिलने के कारण रोकी गई है। पुलिस कमिश्नर सिस्टम में सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि पर्याप्त थाना प्रभारी होने के बाद भी क्यों आज तक वरिष्ठ अधिकारी नही कर पाए इन थानों में थाना प्रभारियों की पोस्टिंग। पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी इन गंभीर अपराध वाले चारों थाने में नही दे रहे ध्यान।विगत एक महीने पूर्व में हुई बड़े स्तर पर मध्य प्रदेश में प्रशासनिक सर्जरी में राजधानी भोपाल को मिले है नए कमिश्नर और एडिशनल कमिश्नर। ऐसे में अधिकारियो के बदलाव के बाद भी इन थानों में जहां अनुभवी थाना प्रभारियों की सख्त आवश्यकता है वहां नही हो सकी थानों में आज तक निरीक्षकों की पोस्टिंग। अब देखना यह है कि थाना अशोका गार्डन, कोलार बजरिया और थाना छोला मंदिर में राजनैतिक हस्तक्षेप कब खत्म होता है और इन थानों के अंदर थाना प्रभारियों की आमद के लिए नेताओं की हरी झंडी कब मिलती है या फिर पुलिस विभाग के उच्च अधिकारियों की नजर इन थाने पर कब तक जाती है जिन थानों को अनुभवी थाना प्रभारियों की अति आवश्यकता है।
महीनों से चर्चाओं में चल रहे हवा में लटके निरीक्षकों की कब होगी पैराशूट से लैंडिंग
राजधानी भोपाल का चर्चित और जिला कहलाए जाने वाला कोलार थाना जिसमें व्यापारी से अड़ी बाजी के मामले में थाना प्रभारी सहित कई पुलिस कर्मचारियों को लाइन हाजिर कर दिया गया था। कोलार थाना प्रभारी के जाने के बाद से अब तक थाना प्रभारी का इंतजार कर रहा है स्टाफ। इधर थाना अशोका गार्डन का निरीक्षक से एसीपी हुए आलोक श्रीवास्तव के बाद से थाना प्रभारी की कमान सब इंस्पेक्टर उमेश चौहान संभाल रहे हैं, इसी थाने में कुछ महीने पहले प्रॉपर्टी डीलर की पत्नी ने अपने पति को दिनदहाड़े गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था पुलिस विभाग की लेटलतीफी को देखकर ऐसा लग रहा है कि भोपाल शहर के गंभीर अपराधिक गतिविधि वाले थानों में थाना प्रभारियों की पोस्टिंग राजनैतिक कारणों की वजह से रुकी हुई है।क्योंकि इन दिनों पुलिस सिस्टम पर राजनीति कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अपराधों में भी राजनैतिक संरक्षण प्राप्त अपराधिक गतिविधि अक्सर घट रही है ऐसे मामलों में सब इंस्पेक्टर जो आजकल थाना प्रभारी की कमान संभाल रहे राजनीतिक दबाव के कारण उनके हाथ पेर फूलते नजर आ रहे है।
पुलिस विभाग इन थानों में निरीक्षकों की पोस्टिंग के लिए काफी समय पहले से भोपाल के अन्य जिलों और आसपास के जिलों से थाना प्रभारियों को पैराशूट के जरिए लैंड तो कराने का प्रयास कर रहा है लेकिन ना जाने क्यों निरीक्षकों की लैंडिंग अब तक पैराशूट के जरिए नहीं राजधानी में नही हो पाई है।