सागर। रिटायरमेंट से ठीक 20 दिन पहले जिले के प्रभारी आबकारी सहायक आयुक्त सीपी सांवले को सस्पेंड कर दिया गया है। निलंबन को लेकर उन पर दो आरोप लगाए गए। जिसमें से सबसे पहला ये है कि उन्होंने हाईकोर्ट में किसी अन्य कर्मचारी के सर्विस संबंधी केस में आबकारी आयुक्त को सूचना नहीं दी । जबकि वह इस केस के ओआईसी नियुक्त किए गए थे। उनकी इस महाचूक के चलते कोर्ट ने आयुक्त पर 25 हजार रुपए की कास्ट ठोक दी। दूसरा आरोप ये कि वे पिछले महीने अचानक वल्लभ भवन पहुंच गए। जहां उन्होंने अपनी छुट्टियों को मंजूर कराने के लिए जमकर हंगामा काटा।
सांवले के सस्पेंड होते ही उनके अधीनस्थ स्टाफ की दबी आवाज उठ गयी। विभाग के कर्मचारियों ने बताया कि रिटायरमेंट के पहले उनके व्यवहार में मधुरता केवल ठेकेदार-डिस्टिलर्स के लिए रह गई थी। सहायक जिला आबकारी अधिकारी हो या सब इंस्पेक्टर या फिर भृत्य सभी से वह भेदभावपूर्ण व्यवहार, कर रहे थे। उदाहरण के लिए उन्होंने बगैर किसी ठोस कारण के एक उपनिरीक्षक को जिले की 104 दुकानों में से 48 दुकानों का प्रभार दे दिया था। जबकि जिले में 05 उपनिरीक्षक मौजूद हैं। इसी तरह उन्होंने पिछले दिनों चतुर्थ श्रेणी के कतिपय कर्मचारियों के गैर-हाजिर रहने पर उनकी वेतनवृद्धि को रोकने का एकतरफा आदेश जारी कर दिया। शासकीय नियमानुसार विभागीय जांच पूरी होने तक सांवले की पेंशन रुकी रहेगी। उन्हें केवल जीवन निर्वाह भत्ता की भर पात्रता रहेगी।
वाणिज्यिक कर विभाग के उप सचिव आरपी श्रीवास्तव के अनुसार निलंबन के दौरान सांवले को जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी। उनका मुख्यालय संभागीय – उड़नदस्ता कार्यालय सागर बनाया गया है।
कार्यकाल में अवैध अहाते संचालित होते रहे
मूल पद जिला आबकारी अधिकारी होने के बावजूद सीपी सांवले को राज्य शासन ने सागर जैसे बड़े जिले के सहायक आयुक्त का प्रभार दिया था। लेकिन वे इस पद पर उम्मीद के अनुसार काम नहीं कर पाए। दुकानों की नीलामी के टारगेट को छोड़ दें तो बाकी सभी कामों में उनकी छवि हमेशा विवादित रही । उदाहरण के लिए पिछले वित्त वर्ष में शहर समेत जिले की अधिकांश अंग्रेजी शराब दुकानों के ठेकेदारों ने अहाते का लाइसेंस नहीं लिया था। लेकिन प्रभारी एसी सांवले की कृपा से यह अहाते बदस्तूर चलते रहे।