कक्षा 8वी के हो चुके पेपर को निरस्त कर दिया गया, गोपनीयता भंग का हवाला

MP: कक्षा आठवीं का संस्कृत का पेपर जो 1 अप्रैल को हुआ था पेपर वह निरस्त कर दिया गया, बताया जा रहा है गोपनीयता भंग हुई है परीक्षा में अब अगली तारीख का इंतजार होगा।

कक्षा 8वीं का संस्कृत का पेपर होगा दोबारा, 3 अप्रैल को नहीं होगा 5वीं 8वीं का प्रश्न पत्र

विद्यार्थियों को मुशीबत बनी बोर्ड पैटर्न परीक्षा

खजुराहो -इन दिनों छोटी कक्षाओं की परीक्षाएं आयोजित हो रहीं हैं । जिसमें विद्यार्थियों को बोर्ड पैटर्न की परीक्षाएं मुसीबत बन गईं हैं । 1 अप्रैल को आयोजित किया गया कक्षा 8 वीं का संस्कृत का पेपर गोपनीयता में चूक के चलते निरस्त कर, दोबारा से कराया जाएगा । वहीं 3 अप्रैल को आयोजित होने वाले कक्षा 5वीं और 8वीं के गणित के पश्न पत्र आपरिहार्य कारणों से निरस्त कर दिये गए हैं ।

बीते दो दिनों से एक प्रश्न पत्र के सोशल मीडिया पर सार्वजनिक होने की खबर फैली थी। जांच उपरांत शासन के एक पत्र द्वारा 1 अप्रैल को आयोजित कक्षा 8वीं के संस्कृत के पेपर को गोपनीयता भंग मानते हुए पुनः कराए जाने की बात कही गई है। किंतु यह संस्कृत का प्रश्नपत्र दोबारा कब होना है उसकी तिथी की घोषणा अभी नहीं की गई है। वहीं कक्षा 5वीं और 8वीं के गणित के पेपर को निरस्त कर दिया गया है। शासन कारण बताया गया है कि अपरिहार्य कारणों से कक्षा 5वीं एवं 8वीं का प्रश्नपत्र जो 3 अप्रैल को आयोजित किया जाना है उसे निरस्त कर दिया गया है। 5वीं एवं 8वीं के गणित के प्रश्नपत्र की आगामी तारीख की भी घोषणा नहीं की गई है। वहीं 3 अप्रैल की परीक्षा निरस्त होने के पीछे लोगों को चर्चा है कि पहले सरकार द्वारा 4 अप्रैल को महावीर जयंती का अवकाश घोषित किया गया था जिसे निरस्त कर दिया गया है । अभिभावकों में कक्षा 5वीं और 8 वीं की परीक्षाओं को लेकर काफी नाराजगी है। कुछ अभिवावकों का कहना है कि सरकार ने बोर्ड पैटर्न पर इन छोटे-छोटे बच्चों की परीक्षाओं को आयोजित कराने को कहा था, बोर्ड परीक्षा घोषित नहीं किया था। किंतु शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा इन परीक्षाओं को लेकर 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं से भी ज्यादा सख्ती दिखाई जा रही है। यहां तक कि इन परीक्षाओं में जेडी जैसे वरिष्ठ अधिकारी जांच करने पहुंचने की खबर रही। वहीं बताया जाता है कि इन छोटे-छोटे बच्चों के लिए बोर्ड पैटर्न की परीक्षाओं ने तकरीबन 15-20 शिक्षकों को लापरवाही बरतने के नाम पर य तो नोटिस जारी कर दिए गए या इन में से कुछ शिक्षाकों को निलंबन के द्वार पर ला खड़ा किया गया है। कुछ अभिभावकों द्वारा यह सवाल उठाए जा रहे हैं कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं जैसी सख्ती दिखाने के पीछे शिक्षा विभाग की मंशा क्या रही होगी ? एक तरफ सरकार द्वरा बच्चों को शिक्षा की तरफ आकर्षित करने कई योजनाएं बनाईं जा रही हैं । दूसरी तरफ ऐसी सख्ती दिखाकर क्या बच्चों को परीक्षाओं से डराया जा रहा है। बच्चों के अभिभावकों में गुस्सा देखा जा रहा है।

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