असली आरोपी से घूस लेकर भिखारी पर मुकदमा बनाने वाले पुलिसवाले को 3 साल की कैद

असली गुनहगार से 55000 की रिश्वत के बदले एक भीख मॉगने व पन्नी बीनने वाले को आरोपी बनाने वाले प्रधान आरक्षक को 03 वर्ष का कारावास

सागर । असली गुनहगार से 55000 की रिश्वत के बदले एक भीख मॉगने व पन्नी बीनने वाले को आरोपी बनाने वाले आरोपीगण अषोक पटैल को भ्र.नि.अधि. 1988 की घारा-7, 13(1)(डी) सहपठित धारा-13(2) के तहत 03-03 वर्ष कारावास व दस-दस हजार रूपये जुर्माना तथा भादवि की धारा- 196, 218, 219 के तहत 03-03 वर्ष सश्रम कारावास व जुर्माना तथा आरोपी-रामप्रवेष व चंद्रेष घारा-7, 13(1)(डी) सहपठित धारा-13(2) के तहत 03-03 वर्ष सश्रम कारावास व दस-दस हजार रूपये जुर्माना तथा भादवि की धारा- 196, 218 सहपठित धारा- 120बी, 219 सहपठित धारा- 120बी के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास व जुर्माना तथा आरोपी-मधु त्यागी को भादवि की धारा- 411 के तहत 03 वर्ष सश्रम कारावास व दस हजार रूपये जुर्माना धारा- 218 सहपठित धारा- 120बी, 219 सहपठित धारा- 120बी के तहत 03-03 वर्ष सश्रम कारावास व पॉच हजार व दस हजार रूपये जुर्माना से विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र आलोक मिश्रा की अदालत ने दोषी करार देते हुये दंडित किया है। मामले की पैरवी अति0 जिला अभियोजन अधिकारी श्री षिवसंजय एवं श्री श्याम नेमा सहा. जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने की।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है एक आईपीएस अधिकारी ईशा पंत का भोपाल एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान पर्स चोरी हो गया । पर्स में उसका मोबाइल और पासपोर्ट और अन्य सामान भी था । उक्त चोरी की रिपोर्ट आईपीएस अधिकारी द्वारा जीआरपी हबीबगंज रेलवे स्टेशन में कराई, जिसके पश्चात यह अपराध विवेचना में लिया गया और प्रधान आरक्षक / अभियुक्त अशोक पटेल को सौंपी गई। अशोक पटेल ने अपने हमराह स्टाफ रामप्रवेश यादव एवं चंद्रेश दुबे के साथ मिलकर एक निर्दोष व्यक्ति आमीन को आरोपी बनाकर पेश कर दिया। अशोक पटेल द्वारा आमीन से नोकिया कंपनी का मोबाइल और रुपये जप्त कर जब्ती पंचनामा बनाया गया और साक्षी सगीर व आरक्षक रामप्रवेश के समक्ष अमीन को गिरफ्तार कर गिरफ्तारी पंचनामा बनाया गया। और अभियुक्त अमीन के विरुद्ध दिनांक 26.08.2011 को जेएमएफसी बीना के न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें आमीन अपराध अस्वीकार किया जिसके पश्चात उसका विचारणा आरंभ किया गया।.
कहानी में नया मोड़ तब आया जब आईपीएस अधिकारी के चोरीशुदा मोबाइल की सी डी आर सामने आई। सी डी आर की रिपोर्ट के अनुसार उक्त मोबाइल एक अन्य महिला मधु त्यागी द्वारा उपयोग किया जा रहा था,कितु सिम दीपक चौधरी के नाम की चल रही है।जिससे संदेह मधु और दीपक पर हुआ । जब दीपक से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि उसके नाम की सिम मधु त्यागी द्वारा उपयोग की जा रही है जो कि पूर्व में मेरी दोस्त रही है,दीपक ने बताया कि मधु के मुंह बोले पिता भूपाल का मेरे पास फोन आया था कि मोबाइल चोरी करने वाला वाला लड़का पकड़ा गया और तुम पुलिस को यही बताना जो प्रधान आरक्षक अशोक पटेल को बताई थी। दीपक के कथनों से संदेह सबूत में बदल गया। जब मधु त्यागी से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि मुझे यह मोबाइल भूपाल सिंह (मुंहबोले पिता) द्वारा दिया गया है। भूपाल सिंह को पुलिस द्वारा तलाश करने पर उसके भोपाल जेल में निरुद्ध होने की सूचना प्राप्त होने पर विधिवत् पुलिस अभिरक्षा में लेकर पूछताछ करने पर उसने दिनंाक 05.07.11 को रात्रि में ए.सी. कोच से महिला का पर्स चोरी करना व मोबाईल मधु त्यागी को देना बताया। यह भी बताया कि जब जी.आर.पी. पुलिस बीना वाले (अभियुक्त अशोक पटैल, रामप्रवेश व चंद्रेश) मधु त्यागी के पास पहुंचे थे, तो उसने मधु व स्वयं को बचाने के रामप्रवेश व चंद्रेश) मधु त्यागी के पास पहुंचे थे, तो उसने मधु व स्वयं को बचाने की ऐवज में उन्हें 55,000/-रू. दिये तथा चोरी का मोबाईल फोन, नगदी आगरा पहुंचकर एक निर्दोष लड़के आमीन को लालच देकर व छुड़वा लेने का कहकर उससे जप्त करा दिया।

इसके अलावा दिनांक 19.10.2012 को दिये मेमोरेण्डम में अभियुक्त भूपाल सिंह ने यह भी बताया कि वह अपने साथी भाउ व आकाश के साथ रात में रेलवे सिंह ने यह भी बताया कि वह अपने साथी भाउ व आकाश के साथ रात में रेलवे स्टेशन जाकर ट््रेन में चोरियां करते हैं और चोरी का सामान बिकवाते है, इसके पश्चात चोरी के पूर्व आरोपी अमीन से भी पूछताछ की गई जिसमें उसने बताया कि उसने चोरी नहीं की है और उसेे अशोक पटेल और उसके हमराह स्टाफ को भी पहचाना गया उसने बताया कि उन्होंने ही मुझे जबरन गिरफ्तार किया था। जिसके पश्चात प्रधान आरक्षक / अभियुक्त अशोक पटेल ,आरक्षक रामप्रवेश यादव एवं आरक्षक चंद्रेश दुबे को रिश्वत लेकर निर्दोष व्यक्ति को फंसा कर दोषियों को बचाने के संबंध में उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-जी.आर.पी.बीना द्वारा धारा 166, 167, 193, 196, 213, धारा 218 व 219 सपठित धारा 120बी एवं भ्रष्टाचार निवारण अधि. की धारा 7,12, 13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपीगण के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय मे ंपेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत विशेष न्यायाधीश, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर म.प्र आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है।

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