नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं अर्थदण्ड

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नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कठोर कारावास एवं अर्थदण्ड

सागर। न्यायालय अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की न्यायालय ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपी षिवदयाल गौड़ को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 3/4 के तहत 10 वर्ष का कठोर कारावास व पाॅच हजार रूपये अर्थदंड तथा भा.दं.वि. 1860 की धारा 363 सहपठित धारा-120(बी) के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 366 क सहपठित धारा-120(बी) के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदण्ड तथा आरोपी-पंचू गौंड़ को भा.दं.वि. 1860 की धारा 363 के तहत 03 वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार रूपये अर्थदण्ड एवं धारा- 366 क के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है। उक्त मामले की पैरवी वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी श्री लक्ष्मी प्रसाद पटैल ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि कि फरियादी द्वारा थाना गौरझाामर में रिपोर्ट लेख कराई कि दिनांक 10.09.2018 को सुबह 10 बजे नदी मछली पकडने गया था, उसकी पत्नि की तबीयत खराब होने से जैतपुर इलाज कराने आई थी, घर पर बडी लडकी एवं मझली लडकी थी, रात्रि में 08 बजे घर लौटा तो उसकी पत्नि से उसने पूछा कि लडकी उम्र करीब 17 वर्ष 06 माह नहीं दिख रही है, कहां गई है तो बोली कि मुहल्ला में टी.व्ही. देख रही होगी, फिर बच्ची की तलाष करने पर उसका कहीं पता नहीं चला, उसकी लडकी को गांव का कोई अज्ञात व्यक्ति बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है । दिनांक 12.09.18 को पीड़िता दस्तयाब किया गया उसने बताया कि वह घर पर अकेली थी माॅ बाजार गई थी व पिताजी बकरी चराने गये थे जब वह पानी भरने गई थी तो अभियुक्त पंचू और शिवदयाल उसे जबजस्ती गौरझामर ले गये जहाॅ अभियुक्त षिवदयाल ने उसके साथ गलत काम किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये , घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-गौरझाामर द्वारा भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 366क, 342, 368, 376 व पाॅक्सो एक्ट,2012 की धारा 3/4, 5/6 व 16/17 का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया एवं अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय अपर-सत्र न्यायाधीश, देवरी जिला-सागर की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये उपरोक्त सजा से दंडित किया है।

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