●जिले के बेरोजगारों से नोकरी के नाम पर लाखों की ठगी
●यूपी की ठग गैंग सागर में जाल बिछाये थी लबे समय से
गजेंद्र ठाकुर ✍️-9302303212
सागर। लाखों का फर्जीबाड़ा, शिक्षक भर्ती के नाम पर बेरोजगारों से ठगी करने वाले गिरोह को पुलिस ने पकड़ा है। फर्जी एनजीओ के माध्यम से नाम बदलकर यूपी की यह गैंग सागर के बहेरिया क्षेत्र से पकडी गयी है। आरोपी ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ो बेरोजगारों से लाखों रुपए ठगी करके भाग गए थे। पुलिस ने गिरोह के दो सदस्यों से यूपी के गोरखपुर से गिरफ्तार किया है। इस गिरोह ने सागर में फर्जी कंपनी ही नहीं बल्कि फर्जी नाम से भी यहां पर इस बड़े स्कैम को संचालित कर किया।
बहेरिया थाना क्षेत्र के दद्दाधाम कॉलोनी में किराए के मकान में सीबीके एजुकेशनल एण्ड वेलफेयर सर्विसेस के नाम से एक एनजीओ संचालित हो रहा था। यह एनजीओ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाने के लिए जन शिक्षकों को भर्ती करता था। 1 से 5 वर्ष के बच्चों को पढ़ाने के लिए बनाए जाने वाले वालेंटियर टीचर से एनजीओ बेरोजगारों से रजिस्ट्रेशन के नाम पर 950 रुपए और 4 हजार रुपए सुरक्षा निधी जमा करवाता था। इन वालेंटियर टीचर को सप्ताह में तीन दिन ग्रामीण क्षेत्र के एक बच्चे को घर जाकर पढ़ाना होता था। इसके एवज में उन्हें प्रति माह 900 रुपए वेतन दिया जाता था। सितंबर माह से इस एनजीओ ने यहां पर काम शुरू किया। वालेंटियर टीचर के अलावा एनजीओ ने सेंट्रल मैनेजर और फील्ड मैनेजर को भी भर्ती किया हुआ था। करीब 60 फील्ड मैनेजर भी नियुक्त किए गए थे, इनका काम अधिक से अधिक वालेंटियर बनाना था। एक वालेंटियर बनाने के एवज में फील्ड मैनेजर को डेढ़ सौ रुपए और सेंट्रल मैनेजर को 50 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, जिससे यह अधिक से अधिक वालेंटियर्स बनाएं। सितंबर और अक्टूबर माह तक तो एनजीओ ने वालेंटियर्स को वेतन दिया, लेकिन इसके बाद उन्हें वेतन मिलना बंद हो गया, जिसकी शिकायत बहेरिया थाने में की गई। दिसंबर में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने इसकी तफ्तीश शुरू की पुलिस ने दद्दाधाम में खुले ऑफिस में जाकर देखा तो यहां पर स्थानीय युवक युवतियां मिले, जिन्होंने उक्त एनजीओ के दस्तावेज, रजिस्ट्रेशन और काम के बारे में पुलिस को बताया। पुलिस ने रजिस्ट्रेशन को चेक किया तो यह फर्जी मिला। एक हजार से अधिक लोग ठगी का शिकार मकरोनिया सीएसपी शेखर दुबे ने बताया कि पुलिस ने एनजीओ के कार्यालय से दस्तावेजों को जब्त किया। जिसमें 883 वालेंटियर्स के भरे हुए फार्म मिले। इनसे एनजीओ द्वारा करीब 28 लाख रुपए जमा कराए गए। ऑफिस में इस गिरोह द्वारा रिसेप्सनिस्ट, कम्प्यूटर ऑपरेटर अकाउंटेंट और चपरासी भी नियुक्त किया हुआ था। इसके अलावा ऑफिस से पुलिस को दो लेपटॉप, मोबाइल सहित कई दस्तावेज भी बरामद किए गए। इस ऑफिस के लिए गिरोह द्वारा 9 हजार रुपए प्रति माह पर एक मकान किराए पर लिया गया था। मकान मालिक को भी दोनों आरोपियों ने अपने फर्जी नाम का फर्जी आधार कार्ड दे रखा था।
बहेरिया थाना प्रभारी दिव्य प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि पुलिस ने सागर में संचालित हो रहे इस एनजीओ के यहां पर मौजूद अधिकारियों के बारे में पता किया, तो उन्हें राहुल राजपूत और अंकुर विश्वकर्मा नाम के दो अधिकारी मिले, जो सारा काम देख रहे थे। पुलिस ने इनकी तपदीश की तो पता चला कि इन दोनों के नाम फर्जी हैं। दरअसल गोरखपुर जिले के निवासी यह दोनों फर्जी अधिकारी अपने-अपने नाम बदलकर यहां पर यह गिरोह चला रहे थे। राहुल राजपूत का असली नाम शैलेश कुमार शर्मा और अंकुर विश्वकर्मा के नाम आकाश पासवान निकला। यह दोनों अपने फर्जी आधार कार्ड बनवाकर काम कर रहे थे। ऑफिस से जब्त दस्तावेजों में करीब 234 ब्लैंक आधार कार्ड भी मिले, जिनमें फर्जी नाम, पता, फोटो, नंबर प्रिंट करवाकर उपयोग करते थे।
फिलहाल पुलिस ने गोरखपुर से दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करके सागर ले आई है, जिन पर आईपीसी की धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर कोर्ट में पेश किया गया है। आरोपियों के पास से पुलिस को 38 हजार रुपए जब्त किए हैं। बांकी पैसे से आरोपियों ने एक कार खरीदी और अन्य रुपए खर्च कर दिए हैं।
सूत्र बताते हैं शहर में इस तरह के गोरखधंधे और भी चल रहे हैं पर प्रशासन पुलिस को फरियादी का इंतजार रहता हैं। और तब तक कई ठगे जा चुके होते हैं।