युवा प्रतिभाओं और नई संभावनाओं से ही उज्ज्वल होगी हिन्दी का वैश्विक छवि- प्रो.आनंद प्रकाश त्रिपाठी

विश्व हिन्दी दिवस पर प्रवाहित हुयी युवा काव्य की त्रिवेणी, युवा प्रतिभाओं और नयी संभावनाओं से ही उज्ज्वल होगी हिन्दी का वैश्विक छवि- प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी
सागर।  हिन्दी विभाग डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर और वनमाली सृजन केंद्र सागर द्वारा नन्ददुलारे बाजपेयी सभागार में रचना – पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए  प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि हिन्दी विभाग की प्रतिष्ठा अपने अकादमिक कार्यक्रमों के साथ ही रचनात्मक आयोजनों को लेकर भी है. मुझे प्रसन्नता है कि हमारे इस आयोजन में वनमाली सृजन केंद्र, सागर सहभागिता कर रहा है। आप सभी जानते हैं कि वनमाली सृजन पीठ हिन्दी भाषा और साहित्य की प्रगति के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है। हिन्दी विभाग और वनमाली सृजन केंद्र सागर के इस साझे आयोजन का उद्देश्य हिन्दी भाषा में सृजनरत युवा प्रतिभाओं और नयी संभावनाओं को मंच और अवसर प्रदान करने तथा वैश्विक स्तर पर हिन्दी की भूमिका का रेखांकन करना है।

कार्यक्रम में हिन्दी विभाग के शोधछात्र हरीशंकर काछी ने विमल गुटका शीर्षक से फिल्म अभिनेताओं के मादक पदार्थों के विज्ञापन पर व्यंग्य किया। सृष्टि सिंह ने तरन्नुम में ‘हकीकत से जब सामना हो गया, पलक से गयी उतारी खुमारी गयी’, अपनी गजल सुनाकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान किया। एम. ए. के विद्यार्थी अनुराग मिश्रा ने वीर रस की कविता ‘वह खून कहो किस मतलब का, सुनाया। विश्वविद्यालय के कर्मचारी महेश कुर्मी ने शिक्षा, ज्ञान और गुरु के महत्व पर अपनी कवितायें सुनाईं। जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली की शोधार्थी और सागर विश्वविद्यालय में इन्टर्नशिप कर रहीं शिवानी ने ‘कुछ जंजीरों को आजाद करुं, धरती को फिर से महकाऊं, जैसी खास कविता का पाठ किया। नीरज कुमार ने ‘रोज रोज हर रोज’ शीर्षक से कविता पढ़ी। एम. ए. प्रथम वर्ष के विद्यार्थी प्रेम ने ‘ क्या तुम साथ मेरे चल पाओगी’, हर्षित कुमार शुक्ल ने हिन्दी की महत्ता को रेखांकित करते ‘सुन सखी मैं सुता संस्कृत की, हिन्दी मेरा नाम रे’ कविता पढ़ी। राजकुमार अहिरवार ने ‘पता नहीं तुम किसे देख रही हो’ शीर्षक कविता पढ़ कर कार्यक्रम को आनंदित किया। शोधार्थी सूर्यकांत त्रिपाठी ने ‘छोड़ आया हूँ संपर्पित आज तेरा नेह सारा’ गीत सुनाया। बी. ए. बीएड. के  छात्र श्याम सुंदर तिवारी ने ‘बेटा होना आसान नहीं’ कविता का पाठ किया। शोधार्थी हरिओम ने ‘गाँव भी अब शहर होते जा रहे हैं’ शीर्षक कविता का पाठ किया। कृति सिंह ने ‘ नरजागियों का बहाव और प्यार शीर्षक कविता का पाठ किया तो वहीं योग विभाग के शोध छात्र ने योग के महत्व को रेखांकित करती हुयी अपनी कविता का पाठ किया। हिन्दी के शोधार्थी राम धीरज ने ‘तब जनों बसंत आया है’ शीर्षक कविता पढ़ा जो बसंत की सामाजिक भूमिका से संदर्भित था। गोविंद सिंह विहान ने ‘मुद्दा कोई नया उछलो शीर्षक से राजनीतिक परिदृश्य पर सार्थका टिप्पणी की। गब्बर सिंह ‘ हम तेरी चाह में वहाँ तक पहुंचे’, ज्योति गिरि ने शमशेर की गजलों ‘अपने दिल का हाल किसी से क्या कहें,’ और ‘भुला हुआ था आज तलक अपने घर को मैं’  का अत्यंत सुमधुर गायन कर विश्व हिन्दी दिवस के इस आयोजन को गरिमा प्रदान की। हिन्दी के शोधार्थी पंकज मिश्रा ने ‘गलियों गलियों ढूंढ रहा मैं, गलियों में आवाज दूँ’ गीत सुनाया। इसके साथ ही चित्रांश और हर्ष केशवरवनी ने भी अपनी कवितायें सुनाई।
कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के शोधार्थी शैलेंद्र सिंह यादव ने किया और राम धीरज ने आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में डॉ. राजेंद्र यादव, वनमाली सृजन केंद्र, सागर के अध्यक्ष/संयोजक डॉ. आशुतोष, डॉ, हिमांशु, डॉ. अफ़रोज बेगम, डॉ. अरविंद कुमार, डॉ. शशि कुमार सिंह, डॉ. रामहेत गौतम, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. सुजाता मिश्रा, प्रदीप कुमार, आकाक्षा जैन के साथ बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
KhabarKaAsar.com
Some Other News

कुछ अन्य ख़बरें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: इस पेज की जानकारी कॉपी नहीं की जा सकती है|
Scroll to Top