सागर: जिले में एक बार फिर तेंदुआ संकट में नजर आया, रेस्क्यू के नाम पर घंटो इंतजार

एक बार फिर तेंदुआ संकट में नजर आया, रेस्क्यू के नाम पर डॉक्टर का घंटो इंतजार करना पड़ा

बांदरी के बाद यहां भी करनी पड़ी रेस्क्यू में मसक्कत

गजेंद्र ठाकुर-9302303212

सागर। जिले के बंडा में उत्तर वनमंडल की भरतपुर बीट के जंगल में एक बार फिर तेंदुआ फंदे में फंस गया। इस बार किसी शिकारी ने नहीं, बल्कि किसान ने खेत काे क्षति पहुंचा रहे जंगली सूअर काे फांसने के लिए तार का फंदा लगाया था। जिसमें गुरुवार-शुक्रवार मध्य रात तेंदुआ फंस गया रातभर वह कटीले ताराें में छटपटाता रहा।
सुबह वन विभाग के अधिकारियाें काे खबर लगी। वे माैके पर ताे पहुंच गए, लेकिन बिना रेस्क्यू दल के कुछ भी संभव नहीं था। पन्ना टाइगर रिजर्व के एक्सपर्ट बुलाए गए। इस तरह करीब 12 घंटे बाद तेंदुए काे बेहाेश करके फंदे से निकाला गया।

अब उसे नाैरादेही अभयारण्य में छाेड़ा जाएगा। इस मामले में वन विभाग ने खेत मालिक के खिलाफ केस दर्ज किया है। बंडा एसडीओ एमएस चाैहान ने बताया कि भरतपुर बीट में एक खेत की तार फेंसिंग में फंदा लगाया गया था। जिसमें देर रात तेंदुआ फंस गया। सुबह 8 बजे सूचना मिली थी। तत्काल माैके पर पहुंचे और पन्ना से रेस्क्यू दल बुलाया गया।

दाेपहर में टीम पहुंची और शाम 4 बजे ट्रेंकुलाइजर गन से तेंदुए काे बेहाेश कर फंदे से बाहर निकाला। वह स्वस्थ है। यह नर युवा तेंदुआ है। जिस खेत की फेंसिंग में फंदा लगाया था, वह किसी विजय सिंह का बताया जा रहा है।जंगली सूअर से फसल काे नुकसान हाे रहा था। सूअर काे फांसने के लिए फंदा लगाया था। सीसीएफ एके सिंह ने बताया कि खेत मालिक के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है।
पिछले तीन साल में ऐसे 10 से ज्यादा रेस्क्यू हाे चुके हैं, जब ट्रंक्युलाइजर गन से बेहाेश करने वाले एक्सपर्ट का घंटाें तक इंतजार करना पड़ा। कभी कुएं में ताे कभी फंदे में फंसे तेंदुए के रेस्क्यू के लिए भाेपाल, पन्ना और रीवा के वेटनरी डाॅक्टर और एक्सपर्ट के भराेसे यहाँ का वन विभाग। नाैरादेही अभयारण्य में रेस्क्यू दल के नाम पर महज एक वाहन, एक डाॅग स्कवाॅड व एक गार्ड है। रेस्क्यू के लिए पन्ना, भाेपाल, रीवा के भराेसे, क्याेंकि यहां बेहाेशी का डाॅक्टर ही नहीं। रेस्क्यू टीम के लंबा सफर तय करने में कई बार 5 से 6 घंटे तक लगे। टीम आने में सुबह से शाम हाे जाती है। टाइगर रिजर्व बनने जा रहे नाैरादेही अभयारण्य में 12 बाघ हैं, जबकि जिले के जंगलाें में 50 से ज्यादा तेंदुए हाेने का अनुमान है। वन्य जीवाें से समृद्ध सागर में इनकी सुरक्षा से जुड़े पहलू पर पड़ताल की ताे कई कमियां मिलीं। रेस्क्यू में सबसे अहम राेल वेटनरी डाॅक्टर का हाेता है जाे कि ट्रंक्युलाइजर गन से बेहाेशी की दवा एक निश्चित डाेज और स्थान पर वन्य जीव के शरीर में पहुंचाता है। यहां एक भी ऐसा एक्सपर्ट या वेटनरी डाॅक्टर नहीं है।

नाैरादेही अभयारण्य में रेस्क्यू दल के नाम पर महज एक वाहन, एक डाॅग स्कवाॅड व एक गार्ड है। यदि कभी नाैरादेही के बाघ पर भी इस तरह का संकट आए ताे उसकी जान बचाना मुश्किल हाे जाएगा।

इनका कहना हैं
सीसीएफ एके सिंह का कहना है कि तेंदुओ की तादाद 50 से ज्यादा हाेगी। इनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त संसाधन और रेस्क्यू दल में बेहाेशी के एक्सपर्ट व वेटरनरी डाॅक्टर के लिए शासन काे डिमांड भेजेंगे। यह अब सागर की जरूरत भी है।

यहाँ बंडा में तेंदुए के जाल में फंसने के 15 दिन पहले बांदरी रेंज में एक तेंदुए काे इसी तरह फंदा लगाकर फंसाया गया था। किस्मत अच्छी थी कि तेंदुए ने जाेर लगाया ताे फंदा गले से कमर में फंस गया। टीम सुबह पहुंच गई, लेकिन रेस्क्यू टीम शाम 5 बजे आई। मुकुंदपुर जू रीवा से एक्सपर्ट बुलाए गए थे। तेंदुए काे चाेट भी आई, उसे इलाज के बाद नाैरादेही अभयारण्य में छाेड़ा गया।

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