नाबालिग का अपहरण कर जबरन शादी कराने वाले एवं दुष्कृत्य करने वाले आरोपीगण को 10 एवं 05 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000-/रूपये अर्थदण्ड
सागर । नाबालिग का अपहरण कर जबरन शादी कराने वाले एवं दुष्कृत्य करने वाले आरोपी छत्रपाल उर्फ सत्तू घोषी उर्फ टी.आई. उर्फ भानू प्रताप घोषी पिता रघुवीर घोषी थाना-बड़रा मलहरा जिला-छतरपुर को भा.द.वि. की धारा-376(2)(एन) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व पॉच हजार रूपये अर्थदंड, धारा-368 के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदण्ड एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-09 के तहत 02 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड तथा आरोपी मिठाईलाल पिता बाबूलाल पटैल(कुर्मी) थाना-मोतीनगर को भा.द.वि. की धारा-366 के तहत 05 वर्ष का सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदंड, धारा-366-ए के तहत 05 वर्ष सश्रम कारावास व दो हजार रूपये अर्थदण्ड एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा-10 के तहत 02 वर्ष सश्रम कारावास एवं पॉच हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा से न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये दंडित किया । एवं पीड़िता को दो लाख रूपये प्रतिकर दिलाये जाने का आदेश न्यायालय द्वारा पारित किया गया। मामले की पैरवी सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती रिपा जैन ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि शिकायतकर्ता /बालिका की मॉ द्वारा थाना-केन्टोन्मेंट में रिपोर्ट लेख कराई कि उसकी लड़की बिना बताये घर से कहीं चली गर्इ्र्र है उसकी आस-पास तलाश की लेकिन उसका काई पता नहीं चला, कोई अज्ञात व्यक्ति उसकी लड़की को बहला फुसलाकर भगाकर ले गया है। विवेचना के दौरान दिनॉक 31.08.2018 को बालिका के दस्याब होने पर उसके द्वारा बताया गया कि मेरी मॉ का स्वास्थ्य ठीक न होने से वह तिली अस्पताल में भर्ती थी । अभियुक्त मिठाईलाल उसके घर आया और कहने लगा कि उसकी मॉ ने उसे बुलाया है वह और उसके भाई-बहिन अभियुक्त मिठाईलाल के साथ अस्पताल गये , अभियुक्त मिठाईलाल ने उसके भाई बहिन को अस्पताल के सामने छोड़ दिया और जब वह भी उतरने लगी तो अभियुक्त मिठाईलाल, अभियुक्त छत्रपाल एवं एक अन्य व्यक्ति ने उसक मुॅह दबा लिया और अभियुक्तगण उसे बड़ा मलहरा अभियुक्त छत्रपाल के घर ले गये और जहॉ अभियुक्त छत्रपाल ने उसके साथ मारपीट की तथा जबरदस्ती गलत काम किया। घर का ताला खुला छूट जाने से वह भागकर वापस घर आई। उक्त रिपोर्ट के आधार पर थाने पर प्रकरण पंजीबद्ध कर मामला विवेचना में लिया गया, विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर थाना-केन्टोन्मेंट में धारा -366क, 368, 376 भा.दं.सं. एवं धारा 3/4, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा-3(2)(अ.ं) , 3(2)(अं) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला आरोपीगण के विरूद्ध संदेह से परे प्रमाणित किया। जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय तृतीय अपर-सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पाक्सों एक्ट 2012) नीलम शुक्ला जिला-सागर की अदालत ने दोषी करार देते हुये आरोपियों को उपरोक्त सजा से दंडित किया है।