सागर। डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में वर्ष 2013 में नियुक्त हुए शिक्षकों के नियमितीकरण को लेकर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की 28वीं बैठक में लिए गए निर्णय पर हाईकोर्ट जबलपुर ने अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है। न्यायाधीश मनिंदर भट्टी की कोर्ट ने विश्वविद्यालय को नोटिस देकर 8 सप्ताह में जवाब भी देने को कहा है, याचिकाकर्ता डॉ. दीपक गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में विश्वविद्यालय में विभिन्न विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर नियुक्तियां निकाली गई थीं। जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर के 82 पदों के विरुद्ध 157 नियुक्तियां कर दी गई थीं।इसी को लेकर विश्वविद्यालय में 14 नवंबर को हुई कार्यपरिषद की 28वीं बैठक में पद क्रमांक- ईसी XXVIII (iv) – (xiv) के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर के नियमितीकरण का मामला लाया गया था ईसी के इसी निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
जिस पर विवि को नोटिस जारी हुआ । हाईकोर्ट के इस आदेश की सत्यापित प्रति डॉ. दीपक गुप्ता, डॉ. अनिल पुरोहित, डॉ. वेदप्रकाश दुबे, अरविंद भट्ट आदि ने विवि के कुलपति एवं कुलसचिव कार्यालय में भी दी है।
ईसी के पद क्रमांक- ईसी XXVIII (iv) – (xiv) में लिखा है कि कार्य परिषद ने सहायक प्राध्यापकों के नियमितीकरण के मुद्दे पर विस्तार से विचार-विमर्श किया। परिषद का मानना है कि काफी समय से लंबित इस मुद्दे को हल करना विश्वविद्यालय के हित में होगा जो विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए प्रमुख बाधाओं में से एक है। परिषद ने उचित विचार-विमर्श के बाद सैद्धांतिक रूप से अनुमोदन करने का संकल्प लिया कि रोलिंग विज्ञापन के विरुद्ध नियुक्त सहायक प्राध्यापकों को तत्समय विज्ञापित 82 रिक्तियों की सीमा तक नियमित किया जा सकता है, यदि कोई लंबित अदालती मामलों के परिणाम के अधीन है। परिषद ने अगली कार्य परिषद की बैठक में तदनुसार मामले को रखने का संकल्प लिया। यह भी निर्णय लिया गया कि इस बीच, विश्वविद्यालय सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों के विज्ञापन के साथ आगे बढ़ सकता है। ईसी के इसी निर्णय पर हाई कोर्ट ने आगामी आदेश तक के लिए रोक लगा दी है।