निमार्ण कार्य के बिल पास करने के एवज् में 50,000 रूपये रिश्वत लेने वाले उपयंत्री को 04 वर्ष सश्रम कारावास एवं 50,000/- रूपये अर्थदण्ड की सजा
सागर । निर्माण कार्य के बिल पास करने के एवज् में रिश्वत लेने वाले आरोपी आर.के. पाण्डेय उपयंत्री को न्यायालय-विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर आलोक मिश्रा की न्यायालय ने दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 की धारा-7 के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) अर्थदण्ड एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है उक्त मामले की पैरवी श्याम नेमा, सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने की ।
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 01.06.2016 को आवेदक देवांश कठल ने पुलिस अधीक्षक, लोकायुक्त कार्यालय सागर को लिखित शिकायत/आवेदन इस आशय का दिया कि आवेदक द्वारा किये गये निर्माण कार्य के बिल पास करने के ऐवज् में अभियुक्त आर.के. पाण्डेय उपयंत्री ने 54,000/-रु. की मांग की है वह अभियुक्त को रिश्वत नहीं देना चाहता, बल्कि रंगे हाथों पकड़वाना चाहता है। अतः कार्यवाही किये जाने का निवेदन किया। आवेदन में वर्णित तथ्यों के सत्यापन हेतु एक डिजीटल वॉयस रिकॉर्डर दिया गया इसके संचालन का तरीका बताया गया, अभियुक्त से रिश्वत मांग वार्ता रिकॉर्ड करने हेतु निर्देशित किया तत्पश्चात् आवेदक द्वारा मॉगवार्ता रिकार्ड की गई एवं तकनीकि कार्यवाहियॉ की गई एवं टेªप कार्यवाही आयोजित की गई नियत दिनॉक को आवेदक द्वारा अभियुक्त को राशि दी गई व आवेदक का इशारा मिलने पर टेप दल के सदस्य मौके पर पहुॅचे और और प्रकरण में अन्य विधिवत कार्यवाहियॉ की गई। विवेचना के दौरान साक्षियों के कथन लेख किये गये, घटना स्थल का नक्शा मौका तैयार किया गया अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य एकत्रित कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-7 एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) का अपराध आरोपी के विरूद्ध दर्ज करते हुये विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया। विचारण के दौरान अभियोजन द्वारा अभियोजन साक्षियों एवं संबंधित दस्तावेजों को प्रमाणित किया गया, अभियोजन ने अपना मामला संदेह से परे प्रमाणित किया । जहॉ विचारण उपरांत न्यायालय-विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, सागर आलोक मिश्रा की न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुये भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम , 1988 की धारा-7 के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) अर्थदण्ड एवं धारा-13(1)(डी) सपठित धारा 13(2) के तहत 04 वर्ष का सश्रम कारावास व 50,000/- रू. (पचास हजार) के अर्थदण्ड की सजा से दंडित किया है।