सागर विश्वविद्यालय: ईसी सदस्य बोले मिनिट्स निर्णय से अलग मंजूरी नहीं ली

ईसी सदस्य बोले मिनिट्स निर्णय से अलग मंजूरी नहीं ली, शिक्षकों के नियमितीकरण पर सहमति की बात झूठी

गजेंद्र ठाकुर✍️ सागर। डॉ. हरीसिंह गौर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पिछले दिनों हुई कार्य परिषद की बैठक के मिनिट्स जारी कर दिए गए और इसको लेकर ईसी के एक सदस्य डॉ. जीएस रोहित ने आपत्ति भी जताई है। 24 नवंबर को उन्होंने विवि की कुलपति एवं कार्य परिषद की अध्यक्ष को संबोधित पत्र भेजा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि ईसी के जो मिनिट्स जारी किए गए हैं, वे उनकी स्वीकृति के बिना ही जारी कर दिए गए हैं। हालांकि यह पत्र अब सामने आया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि कार्यपरिषद में हुए निर्णय से भिन्न मिनिट्स जारी किए गए हैं। कार्यपरिषद के कार्यवृत्त में आपके द्वारा 23 नवंबर को जारी कार्यपरिषद के मिनिट्स अनुसार शिक्षकों के नियमितीकरण के लिए सैद्धांतिक सहमति बनने का उल्लेख किया गया, जो पूर्णतः असत्य है।
लिहाजा मेरी आपत्ति दर्ज करते हुए पद क्रमांक- ईसी- XXVIII (iv) – (xiv) में संशोधित या विलोपित कर कार्यवाही विवरण जारी करना अपेक्षित व न्यायसंगत है।

डॉ. रोहित ने पत्र में लिखा है राज्य सरकार के प्रमुख सचिव के नॉमिनी की तरफ से मैं ईसी की बैठक में शामिल हुआ था। इसमें एजेंडा के एक बिंदू को लेकर मैंने विभिन्न आधारों के आधार पर वर्ष 2013 में चयनित असिस्टेंट प्रोफेसर के नियमितीकरण पर कोई सहमति नहीं दी है। भास्कर से चर्चा करते हुए डॉ. रोहित ने ईसी के मिनिट्स पर आपत्ति के संबंध में पत्र भेजने की पुष्टि की है। साथ ही कहा कि पत्र में जो भी लिखा है, वह गोपनीय है। ज्यादा कुछ नहीं बता सकता।इन बिंदुओं को आधार बनाकर जताई आपत्ति, 28वीं कार्यपरिषद दिनांक 14.11.2022 के पद क्रमांक- ईसी XXVIII- (iv) – (xiv) पर मैंने अपनी असहमति बैठक में जताई थी। अन्य कार्यपरिषद सदस्य मृत्युंजय बेहरा एवं प्रो. अतुल एम गोन्साई ने भी असहमति दर्ज की थी। बैठक के मिनिट्स अंतिम प्रकाशन के पूर्व सहमति के लिए प्रेषित नहीं किए गए। मेरे द्वारा आज 24 नवंबर को विश्वविद्यालय के सतीश कुमार से मोबाइल पर इस संबंध में चर्चा करने पर बताया कि 3 दिन पूर्व आपकी सहमति के लिए मिनिट्स आपके ई-मेल पर भेजे गए हैं।

विश्वविद्यालय द्वारा पूर्व में स्वयं स्वीकार किया जा चुका है कि नियुक्तियां नियम विरुद्ध व आरक्षण रोस्टर के विरुद्ध हैं। संदर्भ मप्र हाईकोर्ट में डॉ. विवेक जायसवाल विरुद्ध डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर रिट पिटीशन नंबर- 2372/2017 में दिनांक 8 मार्च 2018 को किए.

डॉ. वेद प्रकाश दुबे विरुद्ध डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय रिट पिटीशन नंबर-19508/2012 उक्त प्रश्नाधीन नियुक्ति पूर्व से प्राविधिक होने के कारण रिट पिटीशन डॉ. वीरेंद्र मटसेनिया विरुद्ध डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में उच्च न्यायालय ने प्रश्नाधीन नियुक्तियों को दागदार माना है।सर्वोच्च न्यायालय में मामला एसएलपी (सी) नंबर- 002163/ 2019 लंबित है।

विजिलेंस इन्क्वायरी कमेटी ने जो सुझाव दिए थे उनके अनुरूप कार्यवाही न होने एवं समस्त जानकारी से अवगत होने के बाद ऐसा प्रस्ताव कार्यपरिषद में लाना अस्वाभाविक था इस संबंध में लिया गया निर्णय राज्य शासन तथा न्यायहित में नहीं है। आरक्षण रोस्टर का उल्लंघन करना भी असंवैधानिक होने के कारण मैं राज्य शासन का प्रतिनिधि होने की हैसियत से ऐसे निर्णय पर अपनी घोर आपत्ति दर्ज करा रहा हूं। विवि का द्वारा मेल किए थे कोई आपत्ति नहीं आई थी

इनका कहना हैं- सभी ईसी सदस्यों को ड्राफ्ट कार्यवृत्त ईमेल द्वारा भेजे गए थे। निर्धारित तिथि एवं उसके बाद तक भी किसी भी सदस्य द्वारा कोई आपत्ति/असहमति अप्राप्त थी। इसके बाद ही मिनिट्स जारी हुए हैं।- डॉ. विवेक जायसवाल मीडिया अधिकारी सागर यूनिवर्सिटी।

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