डॉ. गौर विश्वविद्यालय में “डबल बीटा क्षय: एक दुर्लभ परमाणु प्रक्रिया” विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित हुआ

सागर। डॉ हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय सागर के भौतिकी विभाग में डीन SMPS एवं वेबिनार संयोजक प्रो. आशीष वर्मा द्वारा “डबल बीटा क्षय: एक दुर्लभ परमाणु प्रक्रिया” विषय पर राष्ट्रीय वेविनार आयोजित करवाया गया।
जिसमें मुख्य वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. कौशलेन्द्र चतुर्वेदी,एसोसिएट प्रोफेसर, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर ने व्याख्यान दिया।
उद्घाटन सत्र में सबसे पहले माँ सरस्वती की वंदना की गई।
उद्घाटन सत्र की शुरुआत करते हुए उद्घाटन वक्तव्य में डीन एसएमपीएस एवं वेवीनार संयोजक प्रोफेसर आशीष वर्मा सर ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का नेशनल वेबिनार में स्वागत किया एवं आदरणीय कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता को इस कार्यक्रम की अनुमति प्रदान करने के लिय धन्यवाद अर्पित किया वेबिनार के विषय के बारे में संछिप्त जानकारी देते हुए प्रोफेसर आशीष वर्मा ने बताया कि भौतिक शास्त्र विषय में नाभिकीय विज्ञान बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है प्रो. वर्मा ने वर्तमान समय में इस विषय में हो रहे शोध के बारे में बताया प्रो. वर्मा ने बताया की बीटा क्षय: एक दुर्लभ परमाणु प्रक्रिया एवं नाभिकीय विकिरणों का भौतिक विज्ञान के साथ-साथ इस मेडिकल साइंस के क्षेत्र में बहुत व्यापक अनुप्रयोग हैं
वेविनर के उदघाटन सत्र में कार्यक्रम की अध्यक्षता के वरिष्ठ प्रोफेसर संजय कुमार जैन ने की ।इस महत्वपूर्ण विषय पर वेबिनार आयोजित करने के लिए प्रो. संजय कुमार जैन ने एसएमपीएस डीन एवं वेवीनार संयोजक प्रोफेसर आशीष वर्मा जी को बधाई दी। एवं नाभिकीय विकिरणों का शरीर पर होने वाला प्रभाव एवं नाभिकीय विकिरणों का कैंसर विरोधी दवाओं में अनुप्रयोग के बारे में जानकारी दी उन्होंने बताया की इस तकनीक का उपयोग कभी-कभी यह पता लगाने के लिए भी करता है कि शरीर में दवा कैसे वितरित हो रही है यह बहुत महत्वपूर्ण है , प्रो. जैन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन का अंत इन दो पंक्तियों के साथ किया
मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है
पंख होने से कुछ नहीं होता होंसलों से उड़ान होती है
इसके बाद भौतिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. रणवीर ने सभी का स्वागत किया एवं प्रो. आशीष वर्मा को महत्वपूर्ण विषय पर वेबिनार आयोजित करने के लिए बधाई दी
शोध छात्र प्रवीण कुमार लिटोरिया ने मुख्य वक्ता का परिचय देते हुए बताया कि डॉ चतुर्वेदी ने बी.एस.एन.वी पीजी, कॉलेज लखनऊ से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। एवं स्नातकोत्तर और पीएच.डी. की पढाई भौतिकी विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, यूपी से की है । डॉ चतुर्वेदी ने 2003 में भौतिकी विभाग, बुनियादी विज्ञान संस्थान, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यभार ग्रहण किया था और फिर वर्ष 2021 में भौतिकी विभाग, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में चले गए। वर्तमान में वे एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर भौतिकी विभाग, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर में कार्यरत हैं।

वह कई अकादमिक निकायों के आजीवन सदस्य हैं, अर्थात् ‘इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिक्स टीचर्स एंड एकेडमी ऑफ माइक्रोस्कोप साइंस एंड टेक्नोलॉजी।

उन्होंने एक प्रमुख डीएसटी, एसईआरबी परियोजना को पूरा किया है जिसका शीर्षक है ‘स्टडी ऑफ लेप्टन फ्लेवर वायलेटिंग कन्वर्जन प्रोसेस’
डॉ चतुर्वेदी ने अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 20 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं। और कई मानक पुस्तकों में कई पुस्तक अध्याय एवं पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं,डॉ चतुर्वेदी की लिखी हुई पुस्तकों में से कुछ भौतिकी के नए आयाम, प्लाज़्मा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में क्षेत्र और चुनौतियां, और ध्वनिक तरंगें आदि हैं
इसके बाद टेक्निकल सेशन में डॉ. कौशलेन्द्र चतुर्वेदी ने बुनियादी रूप डबल बीटा क्षय: एक दुर्लभ परमाणु प्रक्रिया के बारे में बताते हुए विभिन्न प्रकार के नाभिकीय विकिरणों के बारे में जानकारी देते हुए उनके अनुप्रयोगों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
वेविनार के अंत में स्रोताओं के विभन्न प्रश्नों का उत्तर भी दिया।
शोध छात्रा ऋतू आर्या ने आभार प्रकट किया एवं कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा शैरी नासिर द्वारा किया गया । डॉ नीलेश जैन , अरुण कुमार सिंह, आदि भी आयोजिक समिति में रहे।
इस ऑनलाइन वेबिनार में डॉ विवेक तिवारी, डॉ मनीष कुमार, राजेन्द्र दीक्षित, शादाब खान, दीपक मिश्रा, स्वेता त्रिपाठी, शालिनी प्रधान, शुष्मा चौधरी, स्वाति शर्मा, राजकुमार ठाकुर, मिनी राजपूत, दिव्यानी पटेल, आदि लगभग 75 से अधिक प्रतिभागियों ऑनलाइन माध्यम से भाग लिया।

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