स्वामी विवेकानन्द विश्वविद्यालय ने मनाया हिन्दी मातृभाषा दिवस मेरी मातृभाषा मेरा स्वाभिमान
सागर। स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में हिन्दी दिवस के अवसर पर दिनांक 14 सितम्बर 2022 को राष्ट्रीय संगोष्ठी पर विषयः मेरी मातृभाषा मेरा स्वाभिमान पर संगोष्ठी सम्पन्न हुई। दीप प्रज्जवलन के उपरांत अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी ने कहा कि-हमारे देष में अभी भी राष्ट्रीय भाषा नहीं राजकीय भाषा है। देष में प्रयास चल रहा है कि हिन्दी को राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त हो। छोटा-छोटा कदम बढ़ाकर प्रयासरत रहें अपने हस्ताक्ष्र हिन्दी में कर हिन्दी को सम्मान प्रदान करें। जो कार्य अंग्रेजी में चल रहे हैं उन्हें हिन्दी में कराने का प्रयास करें। ऐसे विषय जिनमें अंग्रेजी माध्यम से कार्य होता है उसे हिन्दी में कराने का कार्य चल रहा है। हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली प्रमुख भाषाओं में से एक है विश्व प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ-साथ हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा भी है। वह दुनियाभर में हमें सम्मान भी दिलाती है यह भाषा हमारे सम्मान, स्वाभिमान और गर्व की है हिन्दी भाषा विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली तीसरी भाषा है।
संस्थापक कुलपति डॉ. अनिल तिवारी ने कहा कि-यदि हम साहित्य से प्रेम करते हैं तो उसे सजाने का कार्य अवश्य करना चाहिए। कभी कोई पुस्तक पुरानी नहीं होती वह केवल नये रूप में आती रहती है। हिन्दी भाषा को बचाने के लिए हमें हिन्दी दिवस मनाना पड़ता है यह तो हमारा दुर्भाग्य है ही और आज सम्पर्क की भाषा हिन्दी नहीं है यह हमारे देष का दुर्भाग्य है। 1857 में जबकि हमारी सम्पर्क की भाषा हिन्दी थी हिन्दी भाषा के द्वारा ही देष स्वतंत्रता की ओर बढ़ा। देषवासियों में एक भाव आए इसके लिए हमारी सम्पर्क भाषा एक ही होनी चाहिए अर्थात हिन्दी। जब देष राष्ट्रीय पक्षी, पषु, फूल आदि सभी है तो राष्ट्रीय भाषा भी होनी चाहिए। हिन्दी के प्रति द्वेष को खत्म करना है राष्ट्रीय षिक्षा नीति 2020 हिन्दी भाषा को बढ़ावा देगी। हिन्दी भाषा में अंग्रेजी घुन की तरह आ गयी है उसके लिए हमें इलाज करना होगा। हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए हमें पूरी षिद्दत से कार्य करना होगा।
मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए श्री टीकाराम त्रिपाठी ने कहा कि- संस्कृत भाषा का अपभ्रंष होते-होते 1850 के बाद ही हम हिन्दी का साहित्य समझ पाए। हिन्दी भारतेन्दु के साथ उभर कर सामने आई। 1900 महावीर प्रसाद भाषा का संषोधन हुआ। दुनिया में हिन्दी पढ़ने का कार्य द्विवेदी युग से शुरू हुआ उर्दू पूरी तरह भारतीय भाषा है। हिन्दी का प्रभाव देष के सभी क्षेत्रों में है हिन्दी के विद्मान संस्कृत भाषा से आए हैं। सागर के अब्दुल गनी जी का परिचय दिया। समालोचन नामक अखबार निकलते थे हिन्दी भाषा संस्कार सिखाती है धर्म सिखाती हैं हिन्दी हमारे जीवन यापन की भाषा है ज्ञान पुस्तकों से ही मिलता है बच्चों को पुस्तक पढ़ने का अभ्यास करना चाहिए। अभिवादन करने से यष, बुद्धि, शक्ति आती है।
आभार कुलपति डॉ.नीरज तोपखाने ने किया अपने कहा कि-हिन्दी भाषा को राजकीय भाषा बनाने के लिए किसी न किसी को पहल करनी होगी। आजकल अंग्रेजी बाजार के चलते दुनियाभर में हिन्दी जानने और बोलने वाले को अनपढ़ या एक गंवार के रूप में देखा जाता है या यह कह सकते हैं कि हिन्दी बोलने वालो को तुच्छ नजरिए से देखते हैं यह बिल्कुल गलत है। हम अपनी हिन्दी भाषा को मान सम्मान नहीं दे पा रहे हैं यह अत्यंत दुर्भाग्य का विषय है। इस अवसर पर डॉ. मनीष मिश्र, डॉ.बी.व्ही तिवारी, डॉ.सुनीता जैन. के साथ समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारियों के साथ छात्र, छात्राएं उपस्थित रहे। कल्याण मंत्र के साथ संगोष्ठी सम्पन्न हुई।