स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी में भगवान विश्वकर्मा जयंती मनाई गई

जिस ध्वनि का क्षर न हो वह अक्षर है – डॉ.नीरजा गुप्ता (कुलपति)
सागर।  स्वामी विवेकानंद यूनिवर्सिटी में दिनाँक 17 सितम्बर 2022 को विष्वकर्मा जयंती के उपलक्ष्य में प्रथम सोपान में विष्वकर्मा पूजन एवं द्वितीय सोपान में हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी पखवाड़ा मनाते हुए ‘‘हिन्दी साहित्य का समाज में योगदान चरित्र निर्माण के परिप्रेक्ष्य में‘‘ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई। दीप प्रज्जवलन के उपरांत स्वागत भाषण में संस्थापक कुलपति डॉ.अनिल तिवारी ने कहा कि-समाज में चरित्र निर्माण की जब बात आती है तो हिन्दी साहित्य भाषा का प्रमुख योगदान होता है स्वतंत्रता के समय सम्पर्क की भाषा हिन्दी ही थी अर्थात् स्वतंत्रता दिलाने में हिन्दी भाषा का योगदान प्रमुख है। रामायण या भगवत गीता हमें यही सिखाती है कि हमें समाज में किस तरह का व्यवहार करना है क्रम से छोटी-छोटी बातों को अंतरमन में उतारते जाए जो कहें उसे अपने ऊपर लागू भी करें तभी हम उदाहरण दे पायेंगे। उत्तम चरित्र जीवन को सही दिशा में प्रेरित करता है। चरित्र निर्माण में साहित्य का बहुत महत्व है। विचारों को दृढ़ता व शक्ति प्रदान करने वाला साहित्य आत्म निर्माण में बहुत योगदान करता है। इससे आंतरिक विषेषतायें जाग्रत होती हैं। यही जीवन की सही दिषा का ज्ञान है।
अध्यक्षीय आसंदी से बोलते हुए कुलाधिपति डॉ.अजय तिवारी ने कहा कि-हिन्दी पखवाड़ा के उपलक्ष्य में यह आयोजन किया जा रहा है माला को पिरोने में जिस तरह धागा कार्य करता है उसी तरह भारत में कई भाषाई लोग हैं जिन्हें जोड़ने का कार्य हिन्दी भाषा करती है। भारत में हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाना है सम्पर्क भाषा बनाना है यदि आप को अपनी संस्कृति, माता, मातृभूमि से प्रेम है तो उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता है उसी तरह मातृभाषा हिन्दी का कोई विकल्प नहीं है। यदि आप को अपना वजूद बनाए रखना है तो अपनी संस्कृति और भाषा को संरक्षण देना होगा। हमारे देश में नारी का सम्मान होता है। हिन्दी देवनागरी, लिपि संस्कृति से आई मारफिन लिपि को बताया। भाई का भाई के प्रति भाभी का देवर के प्रति प्रेम चरित्र निर्माण हमारी भारतीय संस्कृति का उदाहरण है। चरित्र निर्माण की पाठशाला नारियों में है यह विष्व में दो नंबर पर हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है कंठ से होकर होठ से निकलती है शब्द ध्वनि ईष्वरी है यह देव वाणी है मनुष्य जब अपने अधिक से बुद्धिमान, गुणवान, विद्वान और चरित्रवान व्यक्ति के संपर्क में आता है तो हममें स्वयं ही इन गुणों का उदय होता है। वह सम्मान का पात्र बन जाता है। है, किंतु जब महापुरूषों की आत्मकथायें और श्रेष्ठ पुस्तकों का अध्ययन करता है तो उसे परोक्ष रूप से सत्संग का लाभ मिलता है, जो सद्भावना के लिए आवष्यक है।
संगोष्ठी का औचित्य डॉ.सुकदेव वाजपेयी द्वारा दिया गया आपने कहा कि-गीता और कुरान को लड़ते नहीं देखा और जो पढ़ता है वह कभी नहीं लड़ता। रामचरित्र हमारा हिंदी का महान ग्रंथ है जिसमें चरित्र निर्माण का चित्रण देखने को मिलता है। आपने रामायण में मंदोदरी और रावण की बातों का उदाहरण देते हुए अपने विचार रखे।
साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन, विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. अलिकेष चतुर्वेदी ने विश्वकर्मा जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि-हिन्दी भाषा काफी प्राचीन है। साहित्य में चरित्र लेखन भी प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। रामचरित मानव का उदाहरण दिया व्यक्ति का चरित्र जब बनता है तो समाज का चरित्र बनता है और समाज का चरित्र बनता है तो राष्ट्र का चरित्र बनता है 1761 में पानीपत के युद्ध का उदाहण दिया। जीजा बाई द्वारा जो चरित्र निर्माण किया गया उस पर अपना विचार रखा कि केवल भारतीय संस्कृति मातृषक्ति को बढ़ावा देती है।
मुख्य अतिथि की आसंदी से बोलते हुए साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन, विष्वविद्यालय सांची भोपाल की कुलपति डॉ.नीरजा गुप्ता ने कहा कि- जब बॉलीबुड ने हिन्दी भाषा के संस्कारों का अपमान किया तो बॉय कॉट बॉलीबुड किया गया। भाषा से उत्पन्न आस्था का भी अपमान किया। भारत में षिक्षा की व्यवस्था का सर्वे किया गया पाँच लाख स्कूल धरमपाल जी करते हैं 1823 की बात की। 1832-33 में एक आदेष आया कि कोई भी स्कूल हिन्दी भाषा नहीं पढ़ायेंगे। ऐसी स्थिति में महिलाओं ने षिक्षा लेना छोड़ दिया। 1842 में गुरूकुल बंद कर दिये गये। समाज में तीन चौथाई निरक्षर हो गया एक भाषा को जी.डी.पी. से बाहर जिसे अंग्रेजी आती है वह साहब और जो हिन्दी बोले वह नौकर। रावण धनवान था परन्तु राम चरित्रवान थे इसलिए रामायण का नाम रामचरित्र मानस रखा गया। तुलसीदास ने घर-घर लीला करा दी हिन्दी भाषा भाव के साथ बोलती है स्वतंत्रता के समय सम्पर्क की भाषा हिन्दी थी। हिन्दी वैज्ञानिक है इसमें वैज्ञानिक वर्गीकरण है स्वर और व्यंजन की व्याख्या की साथ ही ध्वनि का वर्णन किया जब तक समझ न आये अंधविश्वास पर भी विश्वास कीजिए जिस ध्वनि का क्षर न हो वह अक्षर है।
आभार कुलपति डॉ.नीरज तोपखाने द्वारा दिया गया आपने कहा कि-हमें बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा मनुष्य के भीतर अनेक शक्तियाँ निहित हैं, उन सभी में सबसे सर्वोत्तम स्थान चरित्र का है। मनुष्य जिनसे अपने अन्दर अच्छे आचरण और गुणों का विकास करता है वह शक्ति चरित्र ही है। इसलिए चरित्र के सम्बन्ध में किसी ने यह उल्लेखनीय बात कही है कि, जिनके चरित्र से शील का आलोक प्रकट होता है, उनके लिए अग्नि शीतल हो जाती है। इस अवसर पर डॉ.मनीष मिश्र, डॉ.बी.व्ही तिवारी, डॉ.सुनीता जैन. के साथ समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारियों के साथ छात्र, छात्राएं उपस्थित रहे। कल्याण मंत्र के साथ संगोष्ठी सम्पन्न हुई।
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