लंबे अरसे से मजबूत इक्षाशक्ति के महापौर की थी निगम में कमी, अब बदले जाने लगें जडत्व कर्मचारियों के विभाग

नगर निगम सागर में अर्से से जमे अधिकारी कर्मचारी आखिर अब हटाने महापौर ने शुरु की कवायद मजबूत इक्षाशक्ति वाले महापौर की कमी से जूझ रहा था निगम..

सागर। नगर निगम सागर में अब ढुलमुल कार्यप्रणाली और पुराने दौर की विदाई के बाद अब यहाँ एक दशक से ज्यादा समय में मजबूत जड़ें जमा चुकी थी इसी के तहत महापौर श्रीमती संगीता डॉ. सुशील तिवारी के फैसले पर निगम आयुक्त चंद्रशेखर शुक्ला ने नगर निगम के महत्वपूर्ण विभागों में वर्षों से जमे अधिकारी कर्मचारियों के दायित्व बदलते हुए कइयों को लूप लाइन में भेज और कई लंबित सूची में है
शहरवासियों को उम्मीद करना चाहिए कि शुरु हुए बदलाव का सागर को लाभ मिलेगा मिलेगा और नगर निगम लोगों की परेशानियां दूर करने में सक्षम होगा
महापौर द्वारा की गई निगम की सर्जरी में बब्लू उर्फ कृष्ण कुमार चौरसिया से वाहन शाखा तथा सेंट्रल स्टोर का प्रभार बदलकर स्टेशनरी स्टोर और राजस्व वसूली का काम सौंपा गया है इसी तरह बृजेश गोस्वामी और श्रीमती विजया श्रीवास्तव को भी महत्वपूर्ण विभागों से हटाकर क्रमश: राजस्व शाखा और जनगणना शाखा में भेज दिया गया।
इनका बढ़ा पॉवर
निगम प्रशासन में बदलाव की बयार में हुए फेरबदल में महत्वपूर्ण दायित्व अन्य अधिकारियों को सौंपे गए। इनमें कार्यपालन यंत्री विजय दुबे एवं सहायक यंत्री सुधीर मिश्रा को सीवरेज योजना की अतिरिक्त जिम्मेदारी तथा पूरन लाल अहिरवार प्रभारी कार्यपालन यंत्री को एवं संजय तिवारी सहायक यंत्री को पी.एम. आवास का काम बढ़ाया गया। सत्यम चतुर्वेदी को बी.एल.सी. शाखा, सुश्री सृष्टि चौबे को वाहन शाखा में सहायक, आनंद मंगल गुरु को स्थापना शाखा प्रभारी एवं विधि शाखा तथा मनोज तिवारी को लोक कर्म शाखा का काम मौजूदा दायित्वों के साथ अतिरिक्त दिया गया है।
जारी रहेगी सर्जरी
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार नगर सरकार के मुखिया द्वारा शुरु की गई सर्जरी चलेगी ब कड़वे दिन जरूर लग रहे है पर फैसले शहर हित में पुराने जमे अधिकारी कर्मचारियों को उखाडऩे के लिए जाना है।तेज तर्रार और दबंग महापौर द्वारा फैसले किए जा रहे प्रशासनिक फैसलों पर आयुक्त चंद्रशेखर शुक्ला फटाफ आदेश जारी करते जा रहे है।
थप्पड़ कांड के बाद वाहन शाखा से डीजल प्रथा भी ब्रेक
बताया जाता है कि नगर निगम की वाहन शाखा के डीजल से राजनैतिक ताकत की गाडिय़ां और अमला फर्राटे भरते हैं। अब अब चूंकि जड़ पर ही वार करना है तो पिछले दिनों हुये थप्पड़ कांड के बाद दूसरी किस्त में इन फर्राटों को निगम से डीजल ब्रेक किया जा रहा है। यानि निगम के ईंधन पर अब नहीं भरे जाएँगे भोपाल आदि जगहों के फर्रांटे,

बताया जाता है कि थप्पड़ कांड भी दो कॉलोनियों की फाइल को ग्रीन सिगनल देने में महापौर को दूर रखने की मुख्य वजह रही। यदि महापौर को विश्वास में लिया जाता तो शायद उस अप्रिय कांड की नौबत नहीं आती। बताया जाता है कि उन दो फाइलों में एक दस एकड़ की फाइल माननीय की थी। हालांकि थप्पड़ कांड के बाद दोनों ही फाइलें रोक दी गई। अब अथक प्रयासों बाले नेताजी के अलावा अन्य आत्मीय बंधुओं के ईंधन को भी ब्रेक किया जा रहा है। ऐसा करके मंडली को सीधा संदेश दिया जा रहा है कि अब मामला स्ट्राँग है और काम चलाऊ व्यवस्था अब चलने बाली नहीं है। ‘अपना ईंधन आप डलवाए, निगम जिम्मेदार नहीं।ÓÓ
कैसे जमाई काकस मंडली ने जड़ें
नगर निगम सागर की विभिन्न शाखाओं में ठेकों में जमीनों के कारोबार से जुड़े कामों में आवासों में काकस मंडली अर्सें से काबिज होंने की मुख्य वजह अर्से से रंग हीन प्रशासन का होंना माना जाता है। दरअसल वर्ष 2010 में किन्नर कमला बुआ काबिज हुई, उनकी कमजोरी का लाभ उठाकर नगर की राजनैतिक ताकत और उनके छर्रे निगम पर हावी हो गए। इसके बाद के दो महापौर इसी ताकत के पॉकेट से निकले सो निगम बंगले से ही संचालित हुआ। फिर 2015 में अभय दरे आए तो पूरे समय नाम के विपरीत भयभीत ही रहे गए। दरे पूरा कार्यकाल डरे-डरे ही काटते देखे गए। कभी थोड़ा तेज चले तो आडियो वायरल से लेकर पॉवर लेस होंने की कार्यवाही का सामना करते और अपना रियल स्टेट का धंधा करते कार्यकाल पूरा कर पाए। फिर दो साल कोई महापौर ही नहीं रहा। इस तरह 2010 से ही संभागीय मुख्यालय की बेहद महत्वपूर्ण संस्था को दबंग प्रशासन की जरूरत थी। कहा भी जाता है कि छोटे कांटे को निकालने के लिये बड़े कांटे की जरूरत होती है।
अब बदलाव को दौर शुरु हुआ तो इस कालखंड में ताकतवर हुए ठेकेदारों कमीशन बाजों और अधिकारी कर्मचारियों से लेकर शहर के नामी भू-माफिया तक में खलबली का माहौल है। देखना है सागर को लंबे समय बाद में सख्त प्रशासन का कितना लाभ मिलता है फिलहाल बदलाव की आगे भी दरकार है और नई महापौर सायद इसे भलीभांति समझ चुकी हैं।

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