स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में ‘‘पर्यावरण उपलब्धियाँ और हमारी गतिविधि‘‘ विषय पर संगोष्ठी सम्पन्न हुई

वृक्षों की पूजा ही नहीं वृक्षों के प्रति संवेदनशील बनें-  राकेष जैन
सागर। स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में दिनांक 30 अगस्त 2022 को ‘‘पर्यावरण उपलब्धियाँ और हमारी गतिविधि‘‘ विषय पर संगोष्ठी सम्पन्न हुई। दीप प्रज्ज्वलन में स्वस्तिवाचन डॉ.सुकदेव वाजपेयी के द्वारा किया गया। अतिथि परिचय कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी के द्वारा किया गया। आपने कहा कि- छात्रों को अन्य गतिविधियों के साथ-साथ एक पौधा लगाने व उसका संरक्षण का दायित्व दिया गया है अपने माता-पिता के नाम से भी पौधे लगाने को प्रोत्साहित किया जाता है। उपभोक्तावादी मानसिकता वाले मनुष्यों ने अपने व्यक्तिगत जीवन को अधिक और अधिक सुविधा युक्त बनाने हेतु प्रकृति से अधिकाधिक लेना प्रारंभ किया। बदले में प्रकृति को कुछ देना भी चाहिए इसका तो उन्हें विचार ही नहीं आया। इस प्रकार प्रकृति का शोषण करते-करते जब स्वयं के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा तब ग्लोबल वार्मिंग एवं ओजोन परत में हो रहे छेद आदि को लेकर हो हल्ला मचाना प्रारंभ कर दिया। पौधे में भी प्राण हैं उनमें भी सहानुभूति है। पौधे के प्राण निकल जाने के बाद भी वे हमारे काम आते हैं वे धरती माँ का श्रृंगार हैं विभिन्न संस्थाएं पौधे लगाने का काम कर रही हैं। वृक्षारोपण का कार्य कर रही हैं। मोती लाल बोरा ने सड़क किनारे पेड़-पौधे लगाए जिससे आज सागर का तापमान अन्य स्थलों से 4 से 5 डिग्री कम रहता है। हम सभी इस मुहिम में शामिल हो और अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए।
संस्थापक कुलपति डॉ. अनिल तिवारी ने कहा कि- स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय वृक्षारोपण में सबसे आगे है हम पौधे से वृक्ष बनायेंगे। मुख्य बिन्दु 7 रथ चलाए गए जिसमें एक रथ पर्यावरण भी है यह कार्यक्रम 1 महीने तक चलता है। वृक्षारोपण का कार्य निरंतर चलता रहता है। स्कूल में टॉपर बच्चों के परिवार को बुलाकर वृक्षारोपण किया जाता है ताकि उन्हें याद रहे। परिवार के छोटे बच्चे से पौधे लगवाएं जिससे पूरा परिवार उसका संरक्षण करे जिससे जो भारत का आज प्रतिषत 28 पौधे प्रति व्यक्ति है वह 128 होने में समय नहीं लगेगा। सभी संगठनों द्वारा हो रहे वृक्षारोपण में हम बढ-चढ़कर भाग ले।
 रामकृष्ण सोनी, प्रान्त प्रमुख, पर्यावरण उपलब्धियाँ और हमारी गतिविधि ने कहा कि- संगोष्ठी का उद्देष्य देष का पर्यावरण सुधारें, यहां पेड़ तो हैं पर पेड़-पौधे के प्रति संवेदना की कमी है। 28 पेड़ प्रति व्यक्ति होना चाहिए। सामूहिक रूप से बैठकर पर्यावरण के प्रति जागरण षिक्षा क्षेत्र के द्वारा पर्यावरण को प्रोत्साहन दिया जा सकता है। नारी शक्ति व एन.जी.ओ. क्षेत्र यदि पर्यावरण गतिविधि पर कार्य करे तो निश्चित ही इसमें सुधार लाया जा सकता है किन्तु शिक्षा का क्षेत्र सर्वोपरि है जो पर्यावरण को संरक्षण प्रदान कर सकता है।
पर्यावरण उपलब्धियाँ और हमारी गतिविधि के राष्ट्रीय संयोजक, डॉ. राकेष जैन ने कहा कि- धरती को रखना हरा भरा इन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत एक पर्यावरण संरक्षण गीत से की। चिपको आंदोलन को बताया उन्होंने बताया कि 10 लाख एन.जी.ओ. पर्यावरण पर कार्य करने के लिए रजिस्टर्ड हैं। पेड़ों से हमें प्राण वायु प्राप्त होती है इसलिए भारतीय संस्कृति में पेड़ों की पूजा की जाती है औषधी प्राप्त होती है। वृक्षों का सबसे महत्वपूर्ण जड़ों द्वारा मिट्टी के कटाव को रोकना उनका मुख्य कार्य है। आपने कहा छात्रों को 30 नम्बर प्रत्येक वर्ष पौधे लगाने पर दिये जाने चाहिए। कई राज्यों में पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर वृक्षारोपण किया जा रहा है। मनुष्य में भी 72 प्रतिशत पानी है तथा जागरूक होकर वृक्षारोपण किया जा रहा है। पानी को बनाया नहीं जा सकता परन्तु बचाया जा सकता है। पौधे भी आपस में बाते करते हैं प्रेम करते हैं इसलिए सघन वृक्ष लगाइये। आपने कहा जल जंगल, जमीन, जानवर, जन के लिए पॉलीथीन का संकट बढ़ गया है। हम संकल्प ले कि हमारे द्वारा पॅालीथीन का एक छोटा सा भी टुकड़ा धरती पर न गिरे।
आभार बलराम दुबे जिला संयोजक, पर्यावरण उपलब्धियाँ और हमारी गतिविधि द्वारा किया गया आपने कहा कि – गागर में सागर भरने का कार्य वक्ताओं ने किया, ऑक्सीजन हमें पेड़-पौधे से ही मिलती है। इसलिए पेड़ हमें सबकुछ देते हैं हम भी तो कुछ देना सीखें और वृक्षों के प्रति संवेदनषील बनें इस अवसर पर विभाग संयोजक  पवन पटेल, विभाग संघचालक डॉ.जी.एस.चौबे एवं विश्वविद्यालय के डॉ. मनीष मिश्र, डॉ. आशुतोष शर्मा, डॉ.सुनीता जैन, एवं अन्य सभी शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी उपस्थित रहे। कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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