गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दिया
आजाद कांग्रेस के नाराज नेताओं के जी-23 गुट में भी शामिल थे और लंबे समय से पार्टी में कई बदलाव की मांग कर रहे थे।
गुलाम नबी आजाद ने 1970 के दशक में कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। 1973 में उन्हें जम्मू-कश्मीर के भलेसा ब्लॉक कांग्रेस का सचिव बनाया गया था। 1980 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार लोकसभा सांसद बने अपने पाँच दशकों लम्बे राजनीतिक करियर में आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री, राज्यसभा में कांग्रेस दल के नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। इसी साल केंद्र सरकार ने राजनीति में उनके योयगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।
गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे में क्या लिखा
Congress leader Ghulam Nabi Azad severs all ties with Congress Party pic.twitter.com/RuVvRqGSj5
— ANI (@ANI) August 26, 2022
आजाद ने सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में बेहद तल्ख बातें लिखी हैं। पांच पन्नों के अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा है कि एआईसीसी को संचालित कर रहे कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित कांग्रेस ने इच्छाशक्ति और क्षमता खो दी है। उन्होंने कहा कि नेतृत्व को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ शुरू करने से पहले ‘कांग्रेस जोड़ो यात्रा’ करनी चाहिए थी।
आजाद ने पत्र में कहा कि सोनिया और राहुल के 2014 से अब तक के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी 49 विधानसभा चुनाव में से 39 में हार चुकी है।
बाकी 10 में से केवल चार में पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला और बाकी छह मौकों पर पार्टी गठबंधन के साथ गई।
आजाद ने लिखा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की लगातार बदतर स्थिति होती जा रही है जब आननफानन में राहुल ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था आजाद ने लिखा, आप (सोनिया गांधी) फिर अंतरिम अध्यक्ष बन गईं और पिछले तीन साल से आप इस पद पर हैं।
आजाद के अनुसार, ‘सबसे खराब ये है कि ‘रिमोट कंट्रोल मॉडल’ जिसने यूपीए सरकार की संस्थागत समग्रता को नुकसान पहुंचाया अब वह इंडियन नेशनल कांग्रेस पर भी लागू हो गया है। आप केवल एक चेहरा मात्र हैं और सभी अहम फैसले राहुल गांधी या कहें कि उनके सिक्योरिटी गार्ड या पीए द्वारा लिए जा रहे हैं।