आज हिंदुओं का बड़ा त्यौहार महाशिवरात्रि है हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है
पौराणिक कथाओं के अनुसार- आज के ही दिन भगवान सदाशिव ज्योतिर्लिंग स्वरुप में प्रकट हुए थे जिस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, उस दिन भी शिवरात्रि थी. आज महाशिवरात्रि पर परिघ योग और उसके बाद शिव योग बन रहा है, वहीं मंगल, शनि, चंद्रमा, शुक्र और बुध मकर राशि में पंचग्रही योग बना रहे हैं. आज का शुभ समय दोपहर 12:10 बजे से दोपहर 12:57 बजे तक है. महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने का विधान है. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि के मुहूर्त , मंत्र , पूजा विधि., कथा , भोग, आरती आदि के बारे में.
महाशिवरात्रि 2022 मुहूर्त एवं मंत्र
शिव पूजन के लिए मुहूर्त का ध्यान करना बहुत महत्वपूर्ण नहीं होता है क्योंकि शिवजी की पूजा आप कभी भी कर सकते हैं. महाशिवरात्रि को शिव योग दिन में 11:18 बजे से लग रहा है. आप प्रात:काल से भी शिव पूजा कर सकते हैं. महाशिवरात्रि की निशिता काल पूजा का समय रात 12:08 बजे से देर रात 12:58 बजे तक है.
शिव जी की पूजा के लिए कई मंत्र हैं, लेकिन सबसे आसान और प्रभावी मंत्र ओम नम: शिवाय है. आप इस मंत्र से ही पूजा करें क्योंकि इसका उच्चारण शुद्धता के साथ करने में आसानी होती है. आप अपनी राशि के अनुसार शिव मंत्र का भी उपयोग कर सकते हैं.
शिव स्तुति मंत्र
ओम नम: श्म्भ्वायच मयोंभवायच नम: शंकरायच मयस्करायच नम: शिवायच शिवतरायच।।
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महाशिवरात्रि पूजा विधि
1. शुभ मुहूर्त में भगवान शिव के मंदिर जाएं या फिर घर पर ही पूजा की व्यवस्था कर लें. स्नान के बाद साफ वस्त्र पहन लें. पूजा स्थान पर बैटें, हाथ में जल, पुष्प और अक्षत् लेकर महाशिवरात्रि पूजा का संकल्प करें.
2. अब शिवलिंग को गंगाजल से फिर गाय के दूध से अभिषेक करें. इसके बाद सफेद चंदन लगाएं. अक्षत्, सफेद फूल, मदार का फूल, भांग, धतूरा, शमी का पत्ता, फल, बेलपत्र आदि अर्पित करें. बेलपत्र के चिकने वाले भाग को शिवलिंग से स्पर्श कराएं. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हैं.
3. शिवजी को शहद, घी, शक्कर, भस्म आदि भी चढ़ा सकते हैं. अब महादेव को वस्त्र अर्पित करें. वस्त्र नहीं है, तो रक्षासूत्र अर्पित करें. महादेव को मालपुआ, ठंडाई, लस्सी, हलवा, मखाने की खीर आदि का भोग लगा सकते हैं.
4. नारियल, तुलसी, हल्दी, सिंदूर, शंख आदि का प्रयोग शिव पूजा में वर्जित है, इसका ध्यान रखें. माता गौरी, गणेश, कार्तिकेय और नंदी की भी पूजा कर लें.
5. अब आप शिव चालीसा का पाठ करें. व्रत हैं तो चित्रभानु की महाशिवरात्रि की कथा का पाठ या श्रवण करें. बिना व्रत के भी इस कथा का श्रवण कर सकते हैं. पाप, कष्ट, रोग, दोष का नाश होगा.
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6. अब आप घी के दीपक या कपूर से भगवान शिव की आरती जय शिव ओंकारा गाएं. आरती के दीपक को घर में सभी जगहों पर ले जाएं. अंत में भगवान शिव को प्रणाम कर लें और अपनी मनोकामना उनसे कह दें. पूजा में कमियों के लिए क्षमा भी मांग लें.
इस प्रकार से आप महाशिवरात्रि की पूजा विधिपूर्वक संपन्न कर सकते हैं. मंत्र जाप या रूद्राभिषेक कराना है, तो किसी योग्य ज्योतिषाचार्य की मदद ले सकते हैं।
नोट- समस्त जानकारी विभिन्न जगह से जुटाई गई हैं कृपया अपने विशेषज्ञ से भी संपर्क में रहें।