जब तक छात्र आत्मनिर्भर नहीं बनेगा तब तक देश आत्मनिर्भर नहीं बनेगा- कोठारी
समूह बनाकर दिलाया शासन की योजनाओं का सीधे तौर पर लाभ- डॉ.अनिल तिवारी
सागर। स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के प्रांगण में कार्यशाला के द्वितीय दिवस मूल्य आधारित शिक्षा को व्यवस्थित रूप देने की दृष्टि से एसव्हीएन एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय कार्यशाला ‘‘चरित्र निर्माण एवं समग्र व्यक्तित्व विकास‘‘ विषय पर राष्ट्रीय आवासीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले देश के लगभग 200 शिक्षाविद इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं
इस दौरान विष्वविद्यालय के प्रांगण में प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, के राष्ट्रीय सचिव माननीय अतुल कोठारी ने बताया कि कोरोना महामारी के काल में देश में शिक्षा क्षेत्र के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियाँ उत्पन्न हुई है , जैसे ऑनलाइन शिक्षण की सभी तक पहुँच एवं उसमें पढ़ाने की प्रक्रिया (पेडागॉजी) , मूल्यांकन परीक्षा प्रक्रिया आदि। इन सभी विषयों पर भारत सरकार, न्यास तथा अनेक शैक्षणिक संस्थानों ने जनजागरण से लेकर अकादमिक विमर्श जैसे माध्यमों से चुनौतियों को अवसर में बदलने की दिशा में कार्य किया है परन्तु अभी बहुत कुछ करना शेष है । उन्होंने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जब आत्मनिर्भर भारत का आव्हान किया था तब हमारे समक्ष यह सवाल उत्पन्न हुआ था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में आत्मनिर्भर भारत का क्रियान्वयन कैसे हो इसका जबाब हमें मिला कि जब तक इस देष का छात्र आत्मनिर्भर नहीं हो सकता तब तक यह देश आत्मनिर्भर नहीं हो सकता शिक्षा नीति-2020 में आत्मनिर्भर भारत बनाने के उद्देश्य को लेकर हमारे द्वारा हर राज्य में त्रिस्तरीय क्रियान्वयन उच्च शिक्षा, तकनीकि शिक्षा एवं विद्यालयीन शिक्षा समिति का गठन किया जा रहा है। इस समिति का मुख्य कार्य, सरकार द्वारा बनाई गयी समितियों को सहयोग प्रदान करना है। जिसमें विष्वविद्यालय, महाविद्यालय, तकनीकि शिक्षा संस्थान शामिल है एवं इन संस्थानों के साथ एमओयू करके सुचारू एवं समग्रता से हमारी समिति क्रियान्वयन कर रही है जिसमें विश्वविद्यालय एवं अन्य शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों का सतत् एवं समग्र मूल्यांकन हेतु पाठ्यक्रम एवं पढ़ाने की पद्धति के विशयों में समयबद्ध योजना बना कर अति शीघ्रता से कार्य प्रारंभ किया जा रहा है।
इसी तारतम्य में हमने स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय के साथ देश का प्रथम एमओयू किया है जिसमें विष्वविद्यालय द्वारा सागर के छात्र-छात्राएं, महिलाए, महिला समूह आदि को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है और उनके चरित्र निर्माण एवं समग्र व्यक्तित्व विकास का कार्य भी किया जा रहा है।
प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुये स्वामी विवेकानंद विष्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ अनिल तिवारी ने कहाकि यह हमारे मा. प्रधान मंत्री नरेद्र मोदी जी की दूरदर्शिता का परिणाम है जिसमें कि राश्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारतीय ज्ञान परम्परा एवं आधुनिकता का समन्वय किया गया है। इसी तारतम्य में सागर जिले के अंदर लगभग 1750 लोगों को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के निर्देशन पर एसव्हीएन ने इस कोरोना कॉल में अलग-अलग विधााओं में प्रशिक्षित किया है जिसमें सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, व्यूटी पार्लर, गौकास्ट से पूजन साम्रगी, हथकरघा एवं मधुमक्खी पालन शामिल है साथ ही उन्हें वित्त पोशित भी किया है अर्थात् शासन की योजना जिनसे वह अन्भिज्ञ थे का लाभ उन्हें सीधे तौर पर दिलाया है। इसके निरंतर संचालन के लिये हमारे द्वारा दो समूह (आत्म निर्भर सागर एवं अहिंसा समूह) बनाये गये है साथ ही अब विवेकानंद आत्मनिर्भर सागर समूह का गठन किया जाना है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु जो भी व्यक्ति विष्वविद्यालय परिसर आने में असमर्थ है उनके लिये शहर के बीचों बीच जनता स्कूल प्रांगण में निःषुल्क प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया गया है।
गौरतलब है कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की राष्ट्रीय कार्यशाला का यह एक सुनहरा अवसर है जिसमें राश्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन से देश की शिक्षा में आधारभूत बदलाव होने की क्षमता है और यदि शिक्षा बदलेगी तो हम जैसा देश , समाज और नागरिक का स्वप्न देख रहे है , वह साकार होगा ।
कार्यशाला में मुख्य रूप से उपस्थित थे निजी विष्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह, सागर कलेक्टर दीपक सिंह जी एवं विक्रम विष्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अखिलेष कुमार पाडेय एवं विश्वविद्यालय का समस्त शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी मौजूद थे ।