सभी विश्वविद्यालयों में चरित्र-निर्माण एवं समग्र व्यक्तित्व विकास जैसी कार्यशाला का आयोजन अनिवार्य हो – शिक्षाविद
सागर। एसव्हीएन विश्वविद्यालय, सागर एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय कार्यशाला ‘‘चरित्र निर्माण एवं समग्र व्यक्तित्व विकास‘‘ विषय पर आवासीय कार्यशाला आयोजित की जा रही है जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले देश के लगभग 200 शिक्षाविद इस कार्यशाला में भाग ले रहे थे राष्ट्रीय कार्यशाला का त़ृतीय दिवस पर दशम सत्र, स्वामी विवेकानंद के परिसर में होने वाले व्यक्तित्व विकास के प्रकल्पों का अवलोकन एवं समापन सत्र सम्पन्न हुआ। परिसर अवलोकन में विश्वविद्यालय हथकरघा संचालन फैशन डिजाइन, विज्ञान की गतिविधियां, माइक्रोबायलोजी कार्यशाला, रूप सज्जा, सिलाई कढ़ाई प्रशिक्षण, आत्मनिर्भर सागर, आपदा प्रबंधन, पुस्तकालय, आदि गतिविधियों की प्रदर्शनी लगायी गयी थी जिनका अवलोकन आंगतुक महानुभावों द्वारा किया गया। अगले सत्र में अनुभव कथन आगामी योजना का सत्र राष्ट्रीय सह संयोजक चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास अशोक कड़ेल द्वारा मार्गदर्शन किया गया एकादश सत्र में समापन सत्र में समापन मुख्य अतिथि श्रीधर श्रीवास्तव अध्यक्ष एन.सी.ई.आर.टी. ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शामिल विषय चरित्र निर्माण तथा व्यक्तित्व का समग्र विकास का अत्यधिक महत्व है और यह किस प्रकार हमारे भारत देश के शिक्षा व्यवस्था में सहायक सिद्ध हो सकता है साथ ही पंचकाशीय अवधारणा पर भी बल दिया छात्र के जीवन को नयी दिशा दे सकती है इस बात पर चर्चा की गयी। चरित्र निर्माण तथा व्यक्तित्व का समग्र विकास में शमिल सैद्धांतिक तथा व्यवहारिक पक्ष की चर्चा की और बताया कि सैद्धांतिक पक्ष के माध्यम से ही कोई व्यक्ति अथवा छात्र अपना चरित्र निर्माण कर सकता है और व्यवहारिक पक्ष व्यक्ति को मानसिक दक्षता प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है। अनुभव कथन सत्र का संचालक- श्रीमति ममता नागपाल एवं अध्यक्षता अशोक कडेल द्वारा की गई।
षिक्षाविदों ने विश्वविद्यालय परिसर में आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर पौधारोपण किया तथा शिक्षा के प्रति लोगों को जगृत किया और उनको बताया कि परिसर में ऐसे पाठ्यक्रम भी पढाये जा रहे है जिनके माध्यम से रोजगार प्राप्त कर सकते है और आत्मनिर्भर बन सकते है। शिक्षाविदों ने विश्वविद्यालय प्रागंण की तथा विश्वविद्यालय द्वारा जो जागरूकता लाई जा रही है उसकी प्रशंसा की तथा कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं और अधिक से अधिक लगाये। एसवीएन विश्वविद्यालय में ही शिक्षाविदों के रहने खाने एवं सोने की उपयुक्त व्यवस्था कि गयी साथ ही कोरोना काल में अपना जो अस्पताल निःषुल्क कोविड मरीजों के लिये दिया गया था उसकी भी प्रषंसा की और कहा कि यह एक मात्र ऐसा विश्वविद्यालय है जो कि समस्त आपदों में मानवजाति के साथ खड़ा रहता है यहां के अधिकारी कर्मचारी मानव सेवा ही सर्वोच्च सेवा मानते है और षिक्षा के साथ साथ अन्य जागरूकता के कार्यो का क्रियान्वयन भी किया जाता है यह काफी प्रशंसनीय है कुलाधिपति डॉ. अजय तिवारी एवं संस्थापक कुलपति डॉ. अनिल तिवारी को शिक्षाविदों ने धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि यह कार्यशाला छात्रों , अधिकारी कर्मचारीयों एवं समाज के लिये नींव का पत्थर साबित होगी। सरकार द्वारा जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है उसके लिये इस प्रकार की कार्यशालाओं का समय-समय पर आयोजन किया जाना चाहिये। आज की आवष्यकता और समय के अनुरूप ही पाठ्यक्रमों में बदलाव आवष्यक है तभी हम एक अच्छे भविश्य का निर्माण कर सकते है।
दशम सत्र में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन में कुछ आगन्तुक महानअनुभावों ने अपने कार्यशाला के अपने अनुभव को साझा किया। वक्तकव्य देने वालों में डॉ. हरीश दास जी पटना, मौसम कुकरेता दिल्ली, डॉ. इंद्रजीत सिंह दिल्ली, महेन्द्र कुमार झारखंड, बिहारी लाल द्विवेदी, शैलेष कुमार सिंह जी बिहार, डॉ. रतन लाल कौशिक उत्तराखंड,मनोज जी केरल, दिनेश दवे ने दिया। एकादश सत्र की अध्यक्षता श्रीमति ममता नागपाल द्वारा की गई।
इस अवसर पर देशराज शर्मा जी, अशोक कड़ेल, राजेश वर्मा जी श्रीमती ममता नागपाल उत्तर क्षेत्र संयोजक जगराम जी पर्यावरण के राष्ट्रीय संयोजक संजय स्वामी श्रेत्रीय संयोजक ओम शर्मा जी की गरिमामयी उपस्थिति से कार्यशाला का समापन शांति मंत्र के साथ सम्पन्न हुआ।