कवि के साहित्यिक गर्भ में पली बढ़ी कविता का मर्म केवल वही कवि समझ सकता है- प्रो राजपूत

“कवि के साहित्यिक गर्भ में पली बढ़ी कविता का मर्म केवल वही कवि समझ सकता है”- प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

“कवि का प्रसव एक प्रेरणा है या पीड़ा या आनंदानुभूति यह केवल वही कवि जानता है, जिसने कविता को गढ़ा है। श्रोता, पाठक और समीक्षक उसको अपने अपने तरीके से पढ़ते हैं, गढ़ते हैं और समझते हैं। पर यह भी सच है कि कविता लोगों को अपने भावों में डुबो लेती हैं।” यह विचार दिये प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने एक पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य समीक्षक के रूप में उद्बोधन देते हुए।

नारायण श्रीवास्तव द्वारा रचित और दिशा प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक “कविता की चार पंक्तियों से” की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि “पुस्तक में सरल सहज भाषा में प्रकृति, लोकरीत और ग्रामीण भारतीय जीवनशैली की तश्वीर उकेरने की कोशिश की गई है । साथ ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा और अति महत्वाकांक्षाओं के दर्द को भी प्रस्तुत करते हुए सकारात्मक रुख में मानवीय मूल्यों का संदेश भी दिया है।”
साखी साहित्य परिषद् और सरस्वती शिशु विद्यालय करेली, नरसिंहपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में श्री नारायण श्रीवास्तव की पुस्तक “कविता की चार पंक्तियों से” का विमोचन वरिष्ठ साहित्यकारों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ ।
समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में राज्य सभा सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक सेनानी संघ के अध्यक्ष कैलाश सोनी ने उदबोधन देते हुए कहा कि साहित्य सेवा से करेली गौरवान्वित महसूस कर रहा है। श्री नारायण श्रीवास्तव की पुस्तक का विमोचन करते हुए उन्होंने बधाईयाँ देते हुए कहा कि साहित्य और शिक्षा से समाज सेवा के नये आयाम स्थापित होते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नरसिंहपुर जिले के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष  देवेन्द्र पटेल ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है और साहित्य से विनम्रता आती है। हिंदी सीखने और बोलने से हिंदी भाषी क्षेत्रों के विद्यार्थियों में व्यक्तित्व विकास को बल मिलता हैं, इसलिए हम सभी को सदैव अपनी मातृभाषा के प्रति सम्मान और जिज्ञासा रखनी चाहिए ।
करेली के नगर निरीक्षक पुलिस अखिलेश मिश्र ने कहा कि समाज को अपराध मुक्त बनाने के लिए समाज को समझने की जरूरत होती है और इसके लिए साहित्य का ज्ञान बहुत उपयोगी होता है। प्रो प्रकाशचन्द्र डोंगरे, प्रो विनोद निगम एवं प्रो यतीन्द्र महोबे ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का संचालन अभिषेक श्रीवास्तव ने किया और प्रो माधव श्रीवास्तव ने स्वागत स्वागत भाषण दिया नारायण श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया ।

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