जिले में लगे नई प्रजाति अमरूद के पौधे, फलोत्पादन से आजीविका की तलाश

जिले में लगे नई प्रजाति अमरूद के पौधे फलोत्पादन से आजीविका की तलाश

सागर –

मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, सागर डॉ. इच्छित गढ़पाले की पहल पर महिला स्वयं सहायता समूहों ने हमाओ सागर हरो सागर आंदोलन के अंतर्गत एवं अंकुर अभियान की भागीदारी में थाई अमरूद के पौधों का रोपण किया है। देवरी पहुंचकर सीईओ जिला पंचायत ने समूह की महिलाअें के साथ मिलकर ये पौधे लगवाये हैं।  दीपक सिंह, जिला कलेक्टर के अनुसार फलदार पौधरोपण से आमदनी के साथ साथ पर्यावरण की सुरक्षा और भूजल स्तर में सुधार की दिशा में महिला समूहें का सफल प्रयोग है।

अंकुर अभियान के अंतर्गत समूह से जुड़ी महिलाओं ने वन विभाग, उद्यानिकी विभाग और मनरेगा योजना के अंतर्गत कन्वर्जेंस में पौधे प्राप्त किये हैं और उनका रोपण किया लेकिन समूह की महिलायें केवल यहीं तक नहीं रूकीं उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाकर कम आयु में अच्छी पैदावार देने वाले शंकर नस्ल के थाई अमरूद के पौधों को खरीदकर उनका रोपण किया जिले में 3700 से अधिक थाई अमरूद पौधों के रोपण का कार्य किया गया है। अनूप तिवारी कृषि विशेषज्ञ के अनुसार इन पौधों को हाइडेंसिटी प्लानटेशन मॉडल के रूप में रोपण के लिए प्रोत्साहित किया गया है। चूकि इन पौधों की बड़ी कैनोती नहीं होती और ये पौधे अधिक स्थान भी नहीं घेरते इसलिए पौधों को 1 वाय 1 मीटर की दूरी पर रोपण कराया जाना महिलाओं को सिखाया गया है। 18 से 22 महीने के भीतर ये पौधे फूल अवस्था में आकर फल देना शुरू कर देंगे इनके फलों का आकार 265 से 400 ग्राम तक हो सकेगा और ये फल सेल्फ लाइफ में अधिक होगा। इस कारण इसके नियात की संभावनायें अधिक हैं।

हरीश दुबे जिला परियोजना प्रबंधक, ने बताया कि अमरूद प्लानटेंशन को कलस्टर में कराया गया है ताकि महिलायें इन्हें प्रोड्यूसर गु्रप के माध्यम से क्रय करते हुए इनकी प्रोफेशनल पैकिंग तैयार करें और इसे बड़ी मंडियों में बैचे। अमरूद प्लानटेशन का ये पायलट प्रयोग है सफलता के परिणामों के आधार पर पौधों की और हितग्राहियों की संख्या को बढ़ाया जा सकेगा।

सीएफटी संस्था पार्टनर प्रदीप जैन ने बताया कि थाई अमरूद के साथ साथ ग्राम पटुकई, ग्राम बिहारीखेड़ी, ग्राम खैजरा बुद्ध और कर्रापुर में पांच-पांच हितग्राहियों के साथ ग्राफ्टेट प्रजाति के 20 -20 आमों जिनमें चौंसा, लंगड़ा, बादामी और केसर के पौधे होंगे। उनका हाइडेंसिंटी प्लोटेशन मॉडल तैयार किया जा रहा है।

 जिले में देवरी विकासखण्ड में 2600, राहतगढ़ में 1000 मालथौन में 500, जैसीनगर 5500, रहली में 3200, बण्डा में 3000, बीना में 5000 खुरई में 1800 केसली में 6500, सागर में 6600 और शाहगढ में 1100 पौधों के साथ इस कार्य की शुरूआत की। बीना की कृष्णा समूह से जुड़ी मुन्नी बाई आदिवासी ने 50 पौधे, रसूलपुर की विनीता अहिरवार ने 50 पौधे, भापसोन की मालती बाई ने 47 पौधे, अगरबत्ती स्व सहायता समूह से जुड़ी गिरजाबाई दांगी ने 51 पौधे लगाये हैं।

ग्राम कर्रापुर सवीता अहिरवार 100 पौधे, चंद्रवती लोधी 150, भारती लोधी 150, ग्राम लिधोरा में निशा किशोर 100 पौधे, वंदना प्रदीप सूर्यवंशी 100 पौधे, संगीता हरनाम 70 पौधे, ग्राम पटकुई में पिंकी कुशवाहा 50 पौधे, सरला कुशवाहा 50 पौधे, खैजरा बुद्धू ग्राम से बेबी रजक ने 50 पौधे, ग्राम चितौरा में सरेज रैकवार ने 40 पौधे लगाये हैं।

KhabarKaAsar.com
Some Other News

कुछ अन्य ख़बरें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: इस पेज की जानकारी कॉपी नहीं की जा सकती है|
Scroll to Top