युवा व्यक्तित्व विकास के लिए उच्च शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण– प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

युवा व्यक्तित्व विकास के लिए उच्च शिक्षा की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण– प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

सागर-

डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्यप्रदेश के समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभाग में पदस्थ प्रोफ़ेसर दिवाकर सिंह राजपूत ने एक राष्ट्रीय ई-सेमिनार में “युवा व्यक्तित्व विकास के लिए उच्च शिक्षा” विषय पर आमंत्रित विषय विशेषज्ञ के रूप में अपने विचार रखे। महात्मा गांधी कला, विज्ञान एवं स्व एन पी वाणिज्य महाविद्यालय, अरमोरी गढ़चिरोली महाराष्ट्र द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बेवीनार के द्वितीय दिवस प्रथम सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में उदबोधन देते हुए प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि उच्च शिक्षा का मुख्य उद्देश्य व्यक्तित्व विकास के साथ राष्ट्र निर्माण एवं विश्व कल्याण होता है। इसके लिए मौलिक चिंतन, दृढ़ आत्म विश्वास, मानव संसाधन प्रबंधन, आत्म मूल्याकंन और मूल्य परक प्रयोगधर्मिता के साथ सामाजिक साँस्कृतिक वैधानिक आधार को समृद्धि देने वाले परिवेश की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा, माध्यमिक स्तर पर कौशल उन्नयन और उच्च शिक्षा में शिक्षा की निरंतरता से    युवाओ में आत्म विश्वास और जागरूकता को बल मिलेगा। शिक्षा से शोध तक और शोध से संस्कार और कल्याण तक की शैक्षिक साधना में सूचना संग्रहण, ज्ञान और प्रज्ञा से आदर्श व्यक्तित्व विकास– इन बातों पर प्रकाश डालते हुए प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि युवा शक्ति का स्रोत हैं और वर्तमान के निर्माणक भी। शिक्षा से शोध तक सभी स्तर पर इण्डीजीनस ज्ञान से लेकर वैश्विक सूचना तंत्र तक सभी स्तर पर युवाओं के आदर्श व्यक्तित्व को प्रेरक रूप में सामाजिक सरोकार से जोड़ना भी महत्वपूर्ण है।

कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर के माध्यम से अकादमिक विमर्श भी हुआ। डाॅ काधव ने आभार व्यक्त किया।

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