आध्यात्म की यात्रा करने वाले ही परमात्मा का दर्शन कर पाते हैं-डॉ. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी
संत नामदेव के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवन काल में थे- डॉ. बी.आर.छीपा
वर्तमान समय में समाज में ज्ञान एवं कर्मयोग की प्रतिस्थापना करने के लिए समर्पित होने वालों की कमी दिखाई देती है-डॉ. सुरेन्द्र पाठक
सागर –
पं. दीनदयाल उपाध्याय,शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर में संत नामदेव की पुण्यतिथि के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया । स्वागत भाषण में प्राचार्य डॉ. जी. एस. रोहित ने कहा कि संत नामदेव ने 18 वर्षों तक पंजाब में भगवन्नाम का प्रचार किया तथा सिक्खों की धार्मिक पुस्तक गुरूवाणी में इनकी रचनाऐं संग्रहित हैं।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. बी. आर छीपा, पूर्व कुलपति कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर, राजस्थान ने कहा कि संत नामदेव के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके जीवन काल में थे। वृक्ष की छाल का दर्द उन्होंने अपने पैर को खुरच कर समझा और ताउम्र पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य किया। वह केवल अपनी जाति के संत नहीं थे बल्कि जन-जन के संत थे।
विशिष्ठ वक्ता डॉ. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी पूर्व राज्य समन्वयक व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ, ने कहा कि आध्यात्म की यात्रा करने वाले ही परमात्मा का दर्शन कर पाते हैं विकार समाप्त हो जाये तो रक्त की जगह दूध निकलता है जैसे महावीर स्वामी के साथ हुआ। संत द्वैत-अद्वैत के भेद में नहीं पड़ता और ना ही उसकी कोई जाति होती है वह तो परमात्मा के वचनों की सुगंध समाज में फैलाते हैं। संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर के साथ इसी सुगंध से ताउम्र समाज को सुगंधित करते रहे। डॉ. सुरेन्द्र पाठक, सलाहकार, डॉ. बी.आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय मऊ ने कहा कि महाराष्ट्र की पहचान संत परंपरा के रूप में है। इसी परंपरा के अग्रणी संत, संत नामदेव आडम्बर से दूर थे जबकि वर्तमान समय में समाज में ज्ञान एवं कर्मयोग की प्रतिस्थापना करने के लिए समर्पित होने वालों की कमी दिखाई देती है। संत के मौन का प्रभाव भी समाज पर पड़ता है प्रेम का भाव यदि प्रभु से हो तो परमात्मा से भी साक्षात्कार संभव है।
सहायक संचालक, आर के नामदेव ने संत नामदेव के जीवन दर्शन की व्याख्या करने के साथ उनकी जीवन यात्रा के अंशो का वर्णन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमर कुमार जैन जिला समन्वयक विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना तथा आभार डॉ. इमराना सिद्धीकी प्रशासनिक अधिकारी ने माना।