राष्ट्रीय शिक्षा नीति और समाज कार्य शिक्षण– प्रो दिवाकर सिंह राजपूत
सागर-
“राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में राष्ट्र निर्माण के लिये श्रेष्ठ नागरिकों को तैयार करने एवं उनमें आदर्श व्यक्तित्व विकास के अवसर प्रदान किये जाने वाले प्रयासों का समावेश सराहनीय है। समाजकार्य शिक्षण में भी समस्या समाधान तथा जन कल्याण की मूल भावना सन्निहित होती है।” ये विचार दिये प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने एक राष्ट्रीय बेवीनार में आमंत्रित वक्ता के रूप में उदबोधन देते हुए। डाॅ राजपूत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आत्म निर्भर भारत की संकल्पना को साकार रूप देने में समाजकार्य दर्शन और शिक्षण अकादमिक परिवेश निर्माण के साथ ही सामाजिक सरोकार लिए समर्पित नागरिकों के निर्माण में सहभागिता देते हैं। समाज कल्याण और वसुधैव कुटुंबकम की भावना भारतीय जीवन में समाहित है और यही समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विषय के माध्यम से सिखाया भी जाता है।
बाबा साहब अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू मध्यप्रदेश और भारतीय शिक्षण मण्डल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय बेवीनार की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो आशा शुक्ला ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि के रूप में नीदरलैंड से प्रो मोहन गौतम ने भारतीय संस्कृति और विश्व के साथ समन्वय की सकारात्मक भूमिका पर अपने विचार रखे। डाॅ गौतम ने कहा कि शिक्षा से समन्वय और समृद्धि को आधार मिलता है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में दिल्ली से प्रो संतोष गुप्ता ने विषय की भूमिका विस्तार से चर्चा की। वेबीनार में प्रो रमेश मकवाना एवं डा दास ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप कुमार ने किया।