सागर जिले में पहलीवार श्रीविधि से धान के उत्पादन में किसानों ने दिखाई रूचि
सोयाबीन की खेती से उबे किसानों का अब धान के प्रति बढ़ रहा रूझान
सागर –
सागर जिले में कोदो कुदकी, ज्वार बाजरा, मक्का, मूंग उड़द, तिली, की खेती परम्परागत रूप से खरीफ की फसल में की जाती थी। सोयाबीन के आने के बाद धीरे धीरे इन फसलों को खेतों में स्थान मिलना लगभग बंद हो गया और किसान सोयाबीन के साथ साथ जहरीले रसायन, खरपतवार रासायनिक रसायन का जमकर उपयोग करने लगा जिसके कारण भूमी और जल स्त्रोतों में इनके दुश्प्रभाव देखने को मिलने लगे। सोयाबीन की फसल में लगातार नुकसान झेलते किसानों ने अब अपना रूख पुरानी फसलों की तरफ किया है जो कि शुभ संकेत है।
आजीविका मिशन ने जिले में किसानों के साथ विकासखण्ड केसली देवरी, रहली, जैसीनगर में धान के रकबे में उत्पादन की वृद्धि के लिए श्रीविधि की शुरूआत की है। अनूप तिवारी, जिला प्रबंधक कृषि के अनुसार आमतौर पर प्रति एकड़ 20 से 35 किलो धान के दानों को किसान अपने खेतों में बोते हैं और 12 से 15 क्विंटल की पैदावार उन्हें प्राप्त होती है। श्रीविधि को अपनाये जाने पर प्रति एकड़ 2 से 3 किलो अधिकतम बीज की आवश्यकता होती है। इस विधि में बीजों का थरहा तैयार किया जाता है और 15 दिन से कम आयु की पौध का 25ग्25 सेंटीमीटर की दूरी पर एक-एक पौधे का रोपण होता है। इससे धान में 15 से लेकर 84 तक कंसे फूटते हैं और आमतौर पर किसान 1.5 गुणा से लेकर 3 गुणा तक पैदावार ले पाता है। धान की खेती से किसान स्व. सहायता समूह के माध्यम से सुगंधित धान की पैदावार शुरू की गई है इसमें भारतीय मूल की परम्परागत सुगंधित धान की प्रजातियों में जीरा फुल विष्णु भोग, लोहंदी, काला जीरा और बासमती को शामिल किया गया है। हरीश दुबे, जिला परियोजना प्रबंधक ने बताया कि इनके माध्यम से जिले में 250 क्विंटल सुगंधित धान उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। जिसे महिलायें प्रसंस्करण के उपरांत आजीविका पोर्टल से बेच सकेंगी।
जिले के आर्थिक उन्नयन में कृषि क्षेत्र में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि किसानों की उत्पादन लागत को घटाते हुए उनकी पैदावार को बढ़ाये जाने के विकल्प वे अपना सकें। इसी दिशा में महिला समूहों के माध्यम से विधि को अपनाये जाने के लिए इन विकासखण्डों में प्रदर्शन प्रक्षेत्र तैयार किये जा रहे हैं।
-दीपक सिंह जिला कलेक्टर,
जिले की महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में आगे लाने के सभी यथा संभव अवसर उन्हें प्रदाय किये जा रहे हैं कृषि क्षेत्र में भी ये महिलायें आगे आ सकें इसके लिए धान के अलावा फलदार पौधरोपण उन्नत कृषि तकनीकी सब्जी उत्पादन, पोषण वाटिकाओं का निर्माण आदि तकनीकी पर इन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रदर्शन प्लॉट के माध्यम से इनको देखने और सीखने के पर्याप्त अवसर मिल सकेंगे।
-डॉ. इच्छित गढपाले, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत सागर