संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही….
अपनों को खोने के बाद भी डटे हैं विजय…
ऐसे योद्धाओं के बलिदान और समर्पण का एहसान चुकाना मुश्किल
सागर –
‘क्या हार में क्या जीत में,
किंचित नहीं भयभीत मैं,
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही….’
कवि शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ द्वारा लिखित ये पंक्तियां सागर के कोरोना योद्धा विजय रावत के जीवन एवं कार्यशैली पर सटीक बैठतीं हैं जो कोरोना के चलते अपनों को खोने के बाद भी कर्तव्य पथ पर लगातार डटे हुए हैं।
सेवा का ऐसा जुनून जो धर्मपत्नी को खोने के बाद भी क़ायम है। ऐसे समर्पण और बलिदान की भावना का एहसान शायद हम कभी नहीं चुका सकते।
विजय रावत नगर निगम में सफ़ाई दरोग़ा हैं, जो पिछले एक साल से लगातार कोरोना जैसी विपरीत परिस्थितियों में बिना थके अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी और निष्ठा से करते आ रहे हैं। पिछले दिनों उनकी पत्नी की कोरोना से मृत्यु हो गई परंतु, किसी आम इंसान से अलग वे हारे नहीं और फिर जुट गए अपने कर्तव्य को निभाने।
वाक़ई, ये एक असाधारण व्यक्तित्व का ही परिचय है जो कठिन से कठिन परिस्थिति में भी स्वयं को मज़बूत और स्थिर रख सकता है। सागर संभाग के कमिश्नर मुकेश शुक्ला ने कहा कि, विजय रावत की प्रेरणादायी कार्यशैली सम्मान की अधिकारी है। उन्होंने कहा कि, हमारे आस-पास ऐसे कई व्यक्ति अपनी परेशानियों को भूल , समाज हित और राष्ट्रहित में अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा रहे हैं। अतः हम सबका यह दायित्व है कि, कोरोना के चलते आवश्यक समस्त सावधानियों को ईमानदारी से निभाएँ और कोरोना से जंग जीतने में सहभागी