कोविड-19 महामारी के दूरगामी परिणामों पर सोचना चाहिए – डॉ दिवाकर सिंह राजपूत

कोविड-19 महामारी के दूरगामी परिणामों पर सोचना चाहिए  – डॉ दिवाकर सिंह राजपूत

सागर-

कोविड 19 महामारी के संकट काल में पूरे संसार ने बहुत कुछ खोया है, बहुत कुछ सीखा भी है। परन्तु अभी हम तात्कालिक रूप से सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए ही रास्ते खोज  पा रहे हैं। आने वाले 10-15 वर्षों में इस महामारी के दौर का विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है, जब आज के वर्चुअल विश्व में पैदा हुई पीढ़ी वास्तविक विश्व और वर्चुअल विश्व दोनों के संदर्भ सामन्जस्य स्थापित करना चाहेगी।” ये विचार दिये प्रो दिवाकर सिंह राजपूत एक राष्ट्रीय बेवीनार में मुख्य वक्ता के रूप में।

उमिया महाविद्यालय अहमदाबाद गुजरात के समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय बेवीनार में मुख्य वक्ता के रूप में उदबोधन देते हुए प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि महामारी के इस दौर में जहाँ लोगों में परिवार के बीच रहने का समय पाया है, प्रत्यक्ष संवाद बढ़ा है, वहीं दूसरी ओर महामारी को लेकर अनिश्चितता का भय, द्वंद्व और सामाजिक कलंक जैसी विडम्बनाओं ने भी आकार लिया है। डाॅ राजपूत ने “लाॅक-डाउन काल में सामाजिक जीवन शैली” विषय पर केन्द्रित बेवीनार में समस्या समाधान, चुनौतियों से सीखना, सायबर अपराध, सोशल लेग, वास्तविक विश्व और वर्चुअल विश्व आदि बिन्दुओं पर भी प्रकाश डाला।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य  डाॅ संगीता घाटे ने की और उद्घाटन वक्तव्य दिया। कार्यक्रम समन्वयक डाॅ दिनेश कंजारिया ने विषय की भूमिका प्रस्तुत करते हुए स्वागत भाषण दिया। डाॅ घनश्याम भाई ने वेबीनार के बारे में रूपरेखा प्रस्तुत की। वेबीनार में डाॅ राजेंद्र जानी और डाॅ बिपिन बाघेला ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार डॉ घनश्याम भाई ने किया।

 

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