लाइफ साइंस के शोध में मानवीय रोगों का समाधान संभव…प्रो. दिव्या बागची
सागर-
सागर विश्वविद्यालय के एचआरडीसी एवं जूलॉजी विभाग द्वारा लाइफ साइंस के विभिन्न विषयों पर केंद्रित पन्द्रह दिवसीय रिफ्रेशर कोर्ष संपन्न हुआ। कुलपति प्रो. जे. डी. आहि ने कहा कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ प्रतिभागियों को विषय की गहराइयों और शोध विज्ञान के भिन्न भिन्न पहलुओं से परिचित होने का अवसर मिलता है। यहाँ से प्राप्त अनुभव प्रतिभागियों को व्यवहारिक जीवन में लाभकारी सिद्ध होगा। जबलपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर दिव्या बागची ने कहा कि सर्वप्रथम हम निष्ठावान शिक्षक बने। अध्ययन-अध्यापन हमारा पैशन,जुनून हो न कि केवल प्रोफेशन। जीव विज्ञान की विभिन्न विधाओं में सभी मानवीय रोगों का समाधान सम्भव है, इस हेतु गुणात्मक व सकारात्मक शोध की आवश्यकता है। कोर्ष कोआर्डिनेटर प्रो. वर्षा शर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 45 सहायक प्राध्यापकों ने प्रतिभागिता की तथा देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों से 25 विषय विशेषज्ञों ने लाइफ साइंस के विभिन्न आयामों पर अपने ज्ञान और अनुभव से प्रतिभागियों को परिचित कराया। आपने कोर्ष का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। डॉ. पायल महोबिया ने स्वागत उदबोधन दिया। विज्ञान संकाय के डीन प्रो. प्रमोद खरे और विभागाध्यक्ष प्रो.सुबोध जैन ने भी संबोधन दिया।
रिफ्रेशर के पहिले सत्र में डॉ. राकेश शर्मा ने सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरीसिंह गौर की गौरव गाथा और विश्वविद्यालय के अतीत से आज तक की यात्रा को शब्द-चित्र के माध्यम से प्रतिभागियों को दर्शन कराया। विभिन्न सत्रों में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. एस. पी. व्यास ने नैनो टेक्नोलॉजी और नॉविल ड्रग डिलेवरी,इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस दिल्ली से डॉ. रूपेश श्रीवास्तव ने वैश्विक महामारी कोविड-19, कानपुर विश्वविद्यालय से डॉ. सिद्दार्थ मिश्रा ने कैंसर थैरेपी, इंदौर से प्रो. ए. के. कार ने हाइपरटेंशन और थाइराइड जैसी सामान्य होती बीमारियों पर गहराई से प्रकाश डाला। जबलपुर से डॉ. एस. एस. सिद्धू ने जैव विविधता एव उसके संरक्षण में मानवीय भूमिका, डॉ. संजय शर्मा सागर ने मानसिक रोगों के संदर्भ में, त्रिवेन्द्रम से डॉ. नोहा ने सूक्ष्म जीवों की पहचान विधि से प्रतिभागियों को परिचित कराया। प्रो. पी.के.खरे ने अपने व्याख्यान के माध्यम से गैलापगोज़ आइलैंड अमेरिका की यात्रा कराई। प्रो.प्रवीण तामोट, डॉ. कपिल भोपाल, डॉ. राजेश यादव साग़र ने भी प्रतिभागियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
डॉ. सी.पी.उपाध्याय सागर, डॉ. कृष्णा चौधरी जयपुर, डॉ. प्रीति श्रीवास्तव, एवं सदानंद पांडे ने प्रतिभागियों की ओर से अनुभव साझा किए और फीड बैक दिया। नीलम शर्मा और शशांक ने सभी सत्रों में सूत्रधार की प्रभावी भूमिका निभाई। एचारडीसी के निर्देशक डॉ. बेगड़े ने रोचक अंदाज़ में धन्यवाद ज्ञापित किया।