पं. नितिन महाराज द्वारा गणेश मंदिर में कलश यात्रा के साथ श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ

गजेंद्र ठाकुर की खबर -9302303212

सागर । शहर के रविशंकर वार्ड स्थित गणेश मंदिर में आज (2 फरबरी ) से श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ हुआ कथा के पूर्व गणेश मंदिर से दोपहर 12 बजे कलश यात्रा शुरू हुई जो मरइ माता मंदिर रामबाग मंदिर से होते हुए मोतीनगर चौराहा हुए हुए कथा स्थल पहुँची मुख्य कथावाचक पं नितिन मिश्रा शास्त्री जी व सहयोगी राजा कृष्ण शास्त्री जी द्वारा द्वारा कथा की जा रही हैं कलशयात्रा में बड़ी संख्या में कन्याएं एवं महिलाएं सिर पर कलश लिए हुए भक्तिभाव से चल रही थी कथा के प्रथम दिन शास्त्री नितिन मिश्रा महाराज ने भक्तों को भागवत कथा का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि भागवत कथा तो साक्षात ठाकुरजी का वांग्मय स्वरुप है। भागवत का शाब्दिक अर्थ बताते हुए शास्त्री जी ने कहा कि भागवत सत-चित-आनंद है। यानी कि भागवत सत्य है,जो कभी नष्ट नहीं होगा, चित यानी मन का पति है, आनंद यानी भगवान के स्मरण प्राप्त, भक्ति से जो प्राप्त होता है वह आनंद है। जबकि आम भाषा में लोग अपनी सुख सुविधाओं को प्राप्त करने को आनंद कहते हैं पर यह आनंद चिर स्थाई नहीं है। क्षणिक है। पर भक्ति आनंद में डूबने के बाद ओर किसी आनंद की आवश्यकता नहीं रहती हैं।
भागवत महात्म्य सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब भी परमात्मा का गुणानुवाद इस पृथ्वी पर होता है या परमात्मा स्वयं आकर यहां पर तरह-तरह की लीलाएं करते हैं, तो देवतागण भी पृथ्वी पर जन्म लेने के लिए लालायित रहते हैं। भागवत पुराण कथा को श्रवण करने वाले भक्त निश्चित रूप से मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं। जिस प्रकार राजा परीक्षित श्राप से मुक्त हो गए, अनेकानेक राक्षस और पापी भी उस परमात्मा की कृपा से मुक्ति पा गए ऐसे सभी पुराणों और ग्रंथों में महापुराण की संज्ञा पाने वाला श्रीमद्भागवत पुराण है। जिसकी कथाओं का श्रवण करने के लिए इतने बड़े-बड़े आयोजन किए जाते हैं आयोजकों में वार्ड वासी
बंटी कोरी, कन्नू तरुण कोरी, राज कोरी, वीरू ठाकुर,शुभम पटेल,दुर्गेश कोरी, मुकेश मासब, कमल कोरी व अन्य धर्मप्रेमी मौजूद थे

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