वैश्विक समाज में आत्मनिर्भर भारत के लिए पं दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन महत्वपूर्ण- डॉ. दिवाकर सिंह

वैश्विक समाज में आत्मनिर्भर भारत के लिए पं दीनदयाल उपाध्याय का दर्शन महत्वपूर्ण- प्रो दिवाकर सिंह राजपूत
सागर- मप्र || डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभागमें पदस्थ प्रोफ़ेसर दिवाकर सिंह राजपूत  ने एक अंतर्राष्ट्रीय बेवीनार में आत्मनिर्भर भारत के लिए पं दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन पर केन्द्रित व्याख्यान दिया। डाॅ राजपूत ने कहा कि पं दीनदयाल जी ने नैतिक मूल्यों की श्रेष्ठता के साथ राष्ट्रीय विकास की बात को बल दिया। चारों पुरुषार्थ धर्म अर्थ काम मोक्ष के मूल भावना से शरीर, मस्तिष्क, बुद्धि और आत्मा को समझने एकाकार करने की दिशा में सोचने की बात की। डाॅ राजपूत ने कहा कि भारत माता को व्यक्तित्व के रूप में समझते हुए शिवत्व और सम्पूर्णता के दर्शन से परिवार समाज एवं राष्ट्र के विकास हेतु कर्मयोगी की तरह आत्म निर्भर भारत के लिए अरपा माॅडल प्रस्तुत किया। समगतिशील विकास और राष्ट्रीय एकता के लिए आदर्श समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी प्रकाश डाला।
वेबीनार में नीदरलैंड से प्रो मोहन कान्त गौतम ने उदबोधन देते हुए भारतीय संस्कृति और आत्म निर्भरता पर चर्चा की। प्रो आर एन त्रिपाठी ने भी विशिष्ट वक्ता के रूप में अपने विचार रखे।
पं दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय गोरखपुर द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में इस तकनीकी श्रंखला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता श्री रत्नाकर पाण्डेय ने की। अध्यक्षीय उदबोधन देते हुए श्री रत्नाकर पाण्डेय ने कहा कि हम अपनी ताकत को पहचानें और खुद को स्थापित करें। उन्होंने आत्म निर्भर भारत के विभिन्न पहलुओं पर व्यवहारिक दृष्टि से प्रकाश डाला। सह-अध्यक्ष के रूप में प्रो राकेश तिवारी और डाॅ मनीष पाण्डेय ने सहभागिता की। कार्यक्रम के संयोजक प्रो शिवा कान्त सिंह ने सम्पूर्ण कार्यक्रम को एक ठोस आधार दिया और सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। सह संयोजक डाॅ सर्वेश और संचालन डाॅ अनुराग द्विवेदी ने किया।
गजेंद्र ठाकुर✍️- 9302303212
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