(फ़ायल फ़ोटो)
चुनाव यही राजनैतिक दंगल जिसमें जोरआजमाइश होती ही हैं एड़ी चोटी का जोर लगा दिया जाता हैं, बात करते हैं सुरखी उपचुनाव की जहाँ दांव पर लगी हैं सरकार की साख तो वही पूर्व विधायक और काँग्रेस प्रत्याशी पारुल साहू मैदान में डटी हैं
जैसे जैसे वोटिंग की घड़ी नजदीक आती जा रही हैं वैसे वैसे चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही हैं ताबड़तोड़ सभाएं बड़े नेताओं का आना जाना लगा हैं, अब बात करते हैं वास्तविक समीकरणों की में चुकी इसी विधानसभा से आता हूं और लंबे वक्त से लोगों से जुड़ा हूँ ग्राउंड रिपोर्ट के हवालें से अब तक के रुझान बता रहें हैं कि टक्कर कांटे की होती जा रही हैं बीजेपी प्रत्याशी गोविंद राजपूत के साथ सत्ताधारी पार्टी हैं तो काँग्रेस प्रत्याशी के पास पूर्व में कराये विकास कार्य और 15 माह की कमलनाथ सरकार की उपलब्धियां गिनाने का ढंग, खैर इस सब के बीच किसान अपनी खेतीबाड़ी में लग चुका हैं रैलियों सभाएं घोषणाएं वोटर के लिए कोई नई बात नही जिस कारण आब सभाओं रैलियों में भीड़ भी नही जुट पा रही हैं मसलन वास्तविक वोटर कम दिखाई दे रहें हैं ऐसी सभाओं में,,
जैसा शुरुआत में लग रहा था उससे परे होता जा रहा है चुनाव
जी हाँ शुरुआत (तकरीबन 2 माह पहले) में लग रहा था चुनाव एक तरफा हैं फिर पारुल साहू की काँग्रेस के मार्फत एंट्री हुई अचानक चुनाव में सरगर्मी आ गयी बीजेपी से प्रत्याशी और तत्कालीन मंत्री ने लगभग 3 माह पहले ही चुनावी तैयारियों का विगुल फूंक दिया था और पारुल साहू की एंट्री येन वक्त पर हुई लोगो का कहना था कि पारुल साहू के पास समय कम हैं पर कवर कर लेना चाहिए और हुआ भी सायद यही हैं आज कांटे की टक्कर की जो क्षेत्र से आवाज उठ रही हैं उससे तो जाहिर होता हैं अब बात करते हैं एडिचोटी कि तो घड़ी की हुई उलटी घूमना शुरू हो चुकी है माना जा रहा हैं जहाँ एक और काँग्रेस से बीजेपी में आये कद्दावर नेता गोविंद राजपूत के साथ पार्टी के लोग अब धीरे धीरे साथ होने लगे हैं भीतर घात की भी सुगबुगाहट से इनकार नही किया जा सकता पर,, दूसरी ओर काँग्रेस की टिकट की लालसा लिए सागर/सुरखी के नेताओ के चेहरे पर जो आरंभ में शिकन देखी जा रही हैं अब एकजुटता दिखाई देने लगी हैं आम चर्चा के मुताबिक दल बदल कर गए गोंविद राजपूत को कैसे भी शिकस्त देने की बात सामने आ रही हैं बहरहाल आज दिनांक तक चुनावी दंगल में दोनों प्रत्याशी बराबर अंक लेकर पल पल बदलते समीकरणों को भांप चुके होंगे और अपनी रणनीति इसी हिसाब से तय कर रहें हैं लगता हैं,,इस बीच एक बड़ा टपका वोटरों का खामोश भी हैं और निर्णायक वोट यही मानी जा रही हैं…आंकलन अपने-अपने पर काफी नजदीक से गजेंद्र ठाकुर ✍️