प्रत्यास्थता की सीमा बनाम उपचुनाव सुरखी

प्रत्यास्थता की सीमा बनाम उपचुनाव सुरखी
प्रत्यास्थता की सीमा (Elastic limit) विरुपक बल के परिमाण की वह सीमा जिससे कम बल लगाने पर पदार्थ में प्रत्यास्थता का गुण बना रहता है तथा जिससे अधिक बल लगाने पर पदार्थ का प्रत्यास्थता समाप्त हो जाता है, यह सूत्र अगर उपचुनाव में लगाकर देखा जाए तो काफी हद तक फिट बैठता हैं चुनावी माहौल अब चरम पकड़ रहा हैं दोनों ओर से ताबड़तोड़ रैलियां सभाएं जारी हैं वोटर चुपचाप देखे समझे जा रहा हैं ..किसी दल के बड़े नेता सुरखी में आते हैं तो बसें बाइक कारे लग जती हैं शासन प्रशासन अलग इधर उधर होने लगता हैं… बात चल रही हैं प्रत्यास्थता की सीमा की जी हाँ हमने ऐसे कई चुनाव देखे हैं जो ईजी गोइंग थे पर सीमा से अधिक दवाब प्रेशर के कारण जटिल हो गए पिछले चुनाव में खुरई विधानसभा एक ताजा उदाहरण हैं.. खुरई क्षेत्र में तत्कालीन गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने विकास की कोई कोर कसर नही छोड़ी पर चुनावी प्रबंधन में प्रदेश भर के ज्ञान चँदो का जमावड़ा और वास्तविक टीम की कमी के चलते हालात बिगड़ रहें थे… खैर अंतोगत भूपेंद्र सिंह जीत गए थे पर सरकार जाती रही
हम उपचुनाव सुरखी पर फिर आते हैं यहाँ से सरकार में मंत्री रहें गोविंद सिंह और काँग्रेस से पूर्व विधायक पारुल साहू मुख्यतः चुनावी मैदान में हैं.. माहौल तेज हो रहा हैं कसावट जारी हो चुकी हैं पर इसका कोई तय मापदंड नही की कौन कितनी कसावट में लगा हैं बहुत अधिक तो नही ग्रामीण लोगो को भरोसा चाहिए कि हाँ मेरा गांव क्षेत्र विकास की पटरी पर अब तो दौड़ेगा वही मूलभूत सुविधाओं का अकाल नही रहेगा कम से कम, यहाँ बता दें कि दल बदल से स्थानीय वोटरों को अधिक फर्क नही पड़ने वाला वो तो अपने नेता के चेहरे को जानते हैं उसका घर पहचाते है उनको राजधानी नही जाना बड़े नेताओं से मिलने और गए भी तो वहाँ हमारे नेताजी सब करा देंगे कि धारणा रहती हैं….
70% फ़ौज फाटा आवश्यकता के विपरीत हैं..ईजी गोइंग से जटिलता की ओर सुरखी उपचुनाव ..
एक उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं एक गाँव मे नेताजी( दोनो में से कोई भी) एक बड़े नेता के साथ लावलश्कर के साथ पहुचे कच्चे पक्के मकान के सामने बड़ी बड़ी गाड़ियों का रेला रुका नेताओ ने सामने खड़े परिवार का अभिवादन हाथ जोड़ 90℃ के एंगल से किया..उस कच्चे पक्के मकान में रह रहे परिवार में गरीब परिवार मिया बीबी 3 बच्चे खखरी ( घर आंगन की बाउंड्री) के अंदर ऐसे से झांक रहें थे और सोच रहें थे कि नेताजी कुछ देंगे अब क्योंकि बाकी सालो से तो इन तक हम लोग पहुच भी नही पाते और न कोई सुध लेता हैं सिवाय गांव के दो तीन खास लोगो के..खैर यह तो जगजाहिर हैं.. बात हो रही हैं चुनावी दंगल की वो कहते हैं मेरा घर हैं विधानसभा ये कहते हैं हमने विकास किया हैं.. आम वोटर मुँह ताक रहा हैं.. बात वहीँ आकर अटक गई कि प्रत्यास्थता की सीमा से बाहर होता दंगल पदार्थ खराब न कर दें कहीं

गजेंद्र ठाकुर -9302303212

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