मिली भगत से बेची जा रही एमआरपी से ऊंचे दामों पर शराब ,ऊपर का पैसा कहां जा रहा है, जनता की लूट बर्दाश्त नहीं करेगी कांग्रेस : बृजेन्द्र सिंह राठौर, पूर्व मंत्री
भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार और शराब ठेकेदारों की मिलीभगत से MRP से अधिक दामों पर शराब बेची जा रही है मध्यप्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय ठेकेदारों को शराब की जो दुकानें आवंटित की गई थी, उनमें से 70 प्रतिशत ठेकेदार दुकानों को छोड़ चुके हैं। ज्ञातव्य हो कांग्रेस सरकार ने जो नीति बनाई थी उस नीति को खत्म करने की नियत से भाजपा सरकार ने कई बार आबकारी नीति में संशोधन करने के प्रयास किए, लेकिन तीन बार टेंडर रोक दिए गए। तीनों बार शराब ठेकेदारों को भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई नीति का लाभ नहीं मिला। जिस कारण विज्ञप्ति में खर्च की गई राशि का भी नुकसान ठेकेदारों को झेलना पड़ा है। कांग्रेस सरकार द्वारा बनाई गई आबकारी नीति को ही प्रदेश में लागू करना पड़ा जिसके चलते ठेकेदारों ने दुकानें कब्जे में ले लीं और नए सिरे से दुकानें खोलकर शराब की बिक्री मनमाने दामों पर शुरू कर दी हैं।
मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलों में आज शराब की बिक्री प्रिंट रेट से अधिक दाम पर की जा रही है। लिखित जानकारी प्रदेश के वाणिज्य कर मंत्री जगदीश देवड़ा जी सहित आबकारी विभाग के आला अधिकारियों को भी दी गई है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि कुछ अधिकारी ठेकेदारों को सरकार की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी समझते हैं। ऐसे कुछ आबकारी अधिकारियों के वक्तव्य आॅडियो एवं वीडियो रिकाॅर्डिंग में उपलब्ध हैं।
मदिरा का निर्धारित विक्रय मूल्य निर्धारित न्यूनतम विक्रय मूल्य (MSP) सेलिंग प्राइस इसे मैं मिनिमम सपोर्टिंग प्राइस मानता हूं इसी में मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) भी है। निर्धारित से कम और अधिकतर विक्रय मूल्य के बीच की विक्रय दरों पर मदिरा के विक्रय किए जाने का संबंधी प्रावधान आबकारी नियमों में है। इन प्रावधानों के उल्लंघन पर इसे गंभीर प्रकृति की अनियमितता मानते हुए पहली और दूसरी बार की शिकायत मिलने पर 1 से लेकर 5 दिन की अवधि तक के लिए मदिरा दुकान की अनुज्ञप्ति निलंबित की जाती है और 2 बार से अधिक उल्लंघन होने पर वर्ष की शेष अवधि के लिए लाइसेंस निरस्त किये जाने का प्रावधान है।
आज संपूर्ण प्रदेश में मदिरा दुकानों पर उपरोक्त नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। इसके प्रमाण मेरे पास उपलब्ध हैं, परंतु आबकारी विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। एक तरह से जनता की जेब काटी जा रही है और शासन को चूना लगाया जा रहा है इसका क्या कारण है इसे सरकार को स्पष्ट करना चाहिये?
वहीं सेनेटाईजर की कर चोरी में एक व्यापारी को तो आपने जेल में डाल दिया लेकिन इसमें किसी अधिकारी की कोई जबावदेही तय क्यों नहीं की गई और उन कार्यवाही क्यों नहीं की गई?
राठौर ने मांग की कि सरकार बताये, आज तक इस संबंध में कितने प्रकरण कायम किए गए हैं? और इन प्रकरणों पर क्या कार्रवाई की गई है? क्या यह गंभीर आर्थिक अपराध नहीं है?
मैं उपरोक्त अनियमितताओं पर तुरंत कार्रवाई की अपेक्षा करता हूं। कार्रवाई नहीं होने की दशा में हमारी पार्टी आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी।