नाग पंचमी की पूजा के मंत्र
– “ऊँ कुरुकुल्ये हुं फट स्वाहा”
– सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।
– ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
नाग के साथ गणेश पूजा भी करें
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा के साथ गणेश जी की पूजा भी करें. उन्हें लड्डुओं का भोग लगाएं.
शिव की पूजा का विशेष महत्व
आज के दिन नाग-नागिन की पूजा से भगवान महादेव और पार्वती का पूजन करें.
इसके बाद महादेव का विधि-विधान पूर्वक रुद्राभिषेक करें. तत्पश्चात नाग-नागिन की मिट्टी की आकृति बनाकर दूध, लाबा, अक्षत आदि समर्पित करें. समस्त बाधाओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें.
इस मंत्र से सभी बाधाएं दूर होने की है मान्यता…
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले। ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
नाग पंचमी के मंत्र
नाग पंचमी के दिन ऊं भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्। इस मंत्र से नाग देवता की पूजा की जाती है. इसके अलावा ‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:,’ ‘ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।’ और ‘ऊं श्री भीलट देवाय नम:।’ मंत्र का जाप भी नाग पंचमी के दिन पूजा के दौरान किया जाता है.
आज पूजा करने पर कुंडली से हट जाता है कालसर्प दोष
धार्मिक मान्यता के अनुसार आज नागदेवता की पूजा करने से कुंडली के राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं. सांप के डर और सर्पदंश से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की पूजा भी करवाई जाती है, इस दिन महिलाएं सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं और भाई से अपने परिजनों की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं.
नाग पंचमी को लेकर जानें क्या है पौराणिक मान्यता
हिंदू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियां थीं. उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी से दैत्य उत्पन्न हुए, लेकिन उनकी जो तीसरी पत्नी कद्रू थीं जिनका ताल्लुक नाग वंश से था, उन्होंने नागों को उत्पन्न किया.
नाग पंचमी पूजा सामग्री
नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति, लकड़ी की चौकी, जल, पुष्प, चंदन, दूध, दही, घी, शहद, चीनी का पंचामृत, लड्डू और मालपुए, सूत्र, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण, पुष्प माला, धूप-दीप, ऋतु फल, पान का पत्ता दूध, कुशा, गंध, धान, लावा, गाय का गोबर, घी, खीर और फल आदि की जरूरत पूजा के लिए होती है.
नाग पंचमी शुभ मुहूर्त
– नाग पंचमी 25 जुलाई, शनिवार नाग पंचमी पूजा मूहूर्त- सुबह 05 बजकर 39 से 08 बजकर 22 मिनट तक
– अवधि- 02 घण्टे 44 मिनट
– पञ्चमी तिथि प्रारम्भ- जुलाई 24 दोपहर 02 बजकर 34 मिनट पर
– पञ्चमी तिथि समाप्त- 25 जुलाई दोपहर 12 बजकर 02 मिनट पर
नाग पंचमी पूजा विधि
नाग पंचमी कल है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई कर स्नान कर स्वच्छ हो जाएं. इसके बाद प्रसाद स्वरूप सिंवई और खीर बना लें. अब लकड़ी के पटरे पर साफ लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. उस पर नागदेवता की प्रतिमा स्थापित करें. प्रतिमा पर जल, फूल, फल और चंदन लगाएं. नाग की प्रतिमा को दूध, दही, घी, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं और आरती करें. फिर लड्डू और खीर अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपके घर की बुरी शक्तियों से रक्षा होती है. इस दिन सपेरों से किसी नाग को खरीदकर उन्हें मुक्त भी कराया जाता है. जीवित सर्प को दूध पिलाकर भी नागदेवता को प्रसन्न किया जाता है.