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आल्हा और ऊदल का जन्म बुन्देलखण्ड़ के महोबा में हुआ था-जयंती पर विशेष

जयंती पर विशेष… शायद ही कोई ऐसा उत्तर भारत का निवासी होगा जिसने इन दोनों भाइयों की वीरगाथा या इनका नाम न ...

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जयंती पर विशेष…
शायद ही कोई ऐसा उत्तर भारत का निवासी होगा जिसने इन दोनों भाइयों की वीरगाथा या इनका नाम न सुना होगा। अधिकांश इतिहासकारों के अनुसार चन्देल वंशी सम्राट मदनवर्मन के पुत्र यशोवर्मन द्वितीय की मृत्यु अपने पिता मदनवर्मन के जीवन-काल में ही हो गई थी।अतः मदनवर्मन की मृत्यु के पश्चात्त् उसका पौत्र परमर्दी सन् 1163 ई0 में चन्देल वंश के राजसिंहासन पर आसीन हुआ था। सन् 1165 ई0 का एक अभिलेख भी इस मत की पुष्टि करता है। इसी चन्देल वंशी राजा परमर्दी जिसे की परिमाल देव या फिर परमारदेव भी कहा जाता है की राजसभा में बनाफर क्षत्रिय वंश के दो वीर योद्धा भाई सामन्त थे जिनके नाम आल्हा और ऊदल थे। यह दोनों ही भाई अत्यन्त वीर एवं युद्ध प्रेमी थे तथा राजा परिमर्दी के मुख्य सेनापति थे
आल्हा और ऊदल का जन्म बुन्देलखण्ड़ के महोबा में हुआ था जो कि उस काल में चन्देल राजपूतों की राजधानी था उनके पिता का नाम जस्सराज दसराज या जासर और माता का नाम देवला या दिवला था आल्हा और ऊदल के पिता जस्सराज राजा परमर्दी के विश्वासपात्र और स्वामिभक्त बनाफर राजपूत योद्धा सेवक थे। आल्हा और ऊदल अपने समय के विकट वीर योद्धा थे जिनमें आल्हा अपनी धर्मप्रियता एवं न्याय और ऊदल अपने युद्ध कौशल और बाहुबल के लिए अधिक प्रसिद्ध था।

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