महामारी को मारे मैडिटेशन घर पर ही बनाये इस तरह राजयोग मेडिटेशन ध्यान कक्ष
वर्तमान समय सारी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है जिससे निपटने के लिए सरकार से लेकर अनेक धार्मिक सामाजिक संस्थाएं अपने अपने स्तर पर प्रयासरत हैं वही प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की 46,000 से अधिक समर्पित ब्रम्हाकुमारी बहने अपने-अपने सेवा केंद्रों पर सुबह 3:00 बजे से उठकर राजयोग मेडिटेशन द्वारा प्रकृति तथा सभी मनुष्यों को शक्तिशाली शुद्ध प्रकम्पन दे रही है, तथा इस विद्यालय से जुड़े हुए 12 लाख से अधिक भाई-बहन अपने-अपने घरों में सुबह 4:00 बजे से उठकर प्रकृति में तथा विश्व में शुद्ध प्रकम्पन फैला रहे हैं तथा राजयोग अभ्यास द्वारा परमात्मा शिव की याद में ध्यान मग्न होकर विश्व को इस महामारी से मुक्ति दिलाने मैं अपना आध्यात्मिक सहयोग दे रहे हैं ।
ब्रह्माकुमार मुकेश भाई जो पिछले 20 वर्षों से इस विद्यालय से जुड़े हैं उन्होंने अपने घर पर ही एक मेडिटेशन रूम (ध्यान-कक्ष )बनाया हुआ है उनका कहना है कि ऐसे समय में हमें तन के साथ मन का भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है उन्होंने कहा कि प्रातः जल्दी उठकर थोड़ा समय ध्यान मुद्रा में बैठकर ओम की ध्वनि के साथ कुछ भजन जो हमें शक्ति और हिम्मत दे जरूर सुनें तथा अपने आप को नकारात्मक बातों और विचारों से दूर रखें ऐसी कोई न्यूज़ जिससे डर ,घबराहट या चिंता बड़े उसे बिल्कुल ना सुने तथा रोज रात्रि को सोने का समय और सुबह उठने का समय फिक्स कर दें ।रोज रात्रि को सोने से पहले बिस्तर में ही बैठकर कम से कम 10 मिनट अपने आराध्य का ध्यान करते हुए उन्हें सामने देखते हुए अपने मन की सारी बातें दिन भर का समाचार उन्हें सुना दे, मन को खाली करके ही सोए। इससे नींद भी अच्छी आएगी और ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल रहता है। ऐंसा करके हम अपने तन और मन दोनों को स्वस्थ रख सकते है।
“”घर पर ही बनाया राजयोग मेडिटेशन ध्यान कक्ष”
राजयोग एक अंतर जगत की यात्रा है जो हम अपने मन और बुद्धि के द्वारा करते हैं इसमें हम अपनी चेतना को सर्वोच्च सत्ता परम चेतना अर्थात ईश्वर से जोड़ने का बार-बार अभ्यास करते हैं इस अभ्यास से हमारी बुद्धि की शुद्धि होकर हमारे अंदर सदविवेक का निर्माण होता है जो मन को बस में कर उसे सकारात्मक विचार प्रदान करता है इसी अभ्यास को वशीकरण मंत्र भी कहा जाता है इस अभ्यास को नित्य निरंतर करते रहने से हमारी अंतरात्मा सकारात्मक ऊर्जा से भर जाती है जिससे हमारे अंदर की नकारात्मकता सहज ही समाप्त हो जाती है और हम बहुत हल्केपन का अनुभव करने लगते हैं ऐसी अवस्था को ही स्वधर्म में टिकना या आत्मअभिमानी अवस्था कहा जाता है ऐसी अवस्था में हम दिव्यता और अलोकिकता का अनुभव करते हुए परमात्मा के प्रति अहो भाव से भर जाते हैं हमारा हर संकल्प हमें खुशी का अनुभव कराता है ऐसी स्थिति में स्थित होकर कर्म करने वाला ही कर्म योगी कहलाता है, कर्म योगी का हर कर्म स्वयं के लिए तथा विश्व के लिए कल्याणकारी होता है कल्याणकारी होने के कारण हर कर्म में सफलता प्राप्त होती है और आत्मा निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर होती है गीता में इसी को ही चढ़ती कला का नाम दिया गया है।
वर्तमान समय सारे देश में लॉकडाउन की स्थिति है जबकि सभी लोग अपने अपने घरों में रहकर ही समय व्यतीत कर रहे हैं ऐसे में हमारे मन में चिंता भय बेचैनी और कई प्रकार के नकारात्मक विचारों का उत्पन्न होना स्वाभाविक है अतः इससे पहले की ये नकारात्मक विचार हमारे ऊपर हावी हो जाएं और हमें अशांत तथा असंतुष्ट कर दे, हमारे मन की शांती को भंग करदे। हम घर पर ही राजयोग के अभ्यास द्वारा स्वयं को सशक्त और सकारात्मक बनाएं तथा स्वयं और देश तथा विश्व के लिए कल्याणकारी बने और सच्चे देशभक्त कहलाए।
ओमशान्ति
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