जनभागीदारी से शास. कला एवं वाणि. महाविद्यालय में हुआ गाँधी स्तंभ का लोकार्पण

 

गुरुवार को भोपाल में राज्य स्तरीय समारोह में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में स्थापित किए जा रहे गांधी चेयर और महाविद्यालयों में स्थापित गांधी स्तंभ का प्रतीकात्मक सामूहिक उद्घाटन किया गया इस अवसर पर सागर के शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर में गाँधी जी की पुण्यतिथि पर नवनिर्मित गाँधी स्तम्भ का अनावरण एवं लोकार्पण किया गया।

सागर(मप्र)–/गुरुवार को राज्य स्तरीय समारोह में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में स्थापित किए जा रहे गांधी चेयर और महाविद्यालयों में स्थापित गांधी स्तंभ का प्रतीकात्मक सामूहिक उद्घाटन किया गया इस अवसर पर सागर शहर में भी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, सागर में गाँधी जी की पुण्यतिथि पर नवनिर्मित गाँधी स्तम्भ का अनावरण एवं लोकार्पण किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में महात्मा गाँधी जी की स्मृति में रामधुन तथा पुण्यतिथि के अवसर पर 11 बजे दो मिनट का मौन रखा गया, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शिवशंकर केसरी ने कहा कि अंग्रजों के शासन में भी शासकीय स्कूल में महात्मा गाँधी जी का अलरी राईस नाम से साहित्य पढ़ाया जाना सौभाग्य की बात थी यह वह समय था जब महात्मा गांधी का नाम लेना भी जुर्म की बात होती थी। विशिष्ट अतिथि ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत ने कहा कि गाँधी स्तम्भ की स्थापना मुख्यमंत्री कमलनाथ की दूरदर्शी सोच का परिणाम है।
जिससे इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश न किया जा सके विशिष्ट अतिथि शहर अध्यक्ष रेखा चौधरी ने कहा कि सत्य अहिंसा व सम्भाव का यह देश जो अपने आप में पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है इसकी आधारशिला राष्ट्रपिता महात्मागांधी जी ने रखी। विशिष्ट अतिथि कमलेश बघेल ने कहा कि गांधी जी की हत्या से उनके विचारों की हत्या नहीं की जा सकती वह और उनके विचार और तेजी से हमारे सामने उभर कर आ रहे है, गांधीवादी नेता सुकदेव तिवारी ने कहा कि गाँधी जी ने हरीजन आदिवासी भूमिहीन अमीर सबको कांग्रेस में शामिल कर एक गई ताकत का सृजन किया।

जनभागीदारी अध्यक्ष अमित दुबे रामजी ने कहा कि यह मात्र गाँधी स्तम्भ नहीं है यह इस देश को राष्ट्र बनाने का आधार स्तम्भ है, यह आधार स्तम्भ है इस देश की समरसता का, अभिव्यक्ति की आजादी का, धार्मिक सौहाद्र्य का, गांधी जी जब 1915 में भारत आये और
भारत दर्शन के लिये निकले तो मात्र दो वर्ष बाद गाधी जी आगे थे और पूरा देश उनके पीछे, मधु सिलाकारी ने कहा कि विचारों को थोपा नहीं जा सकता बल्कि जिया जाता है, डॉ. आशीष ज्योतषी ने महात्मा गांधी जी के विचारों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के अंत में मद्यपान निषेध की शपथ दिलायी गई। कार्यक्रम का संचालन डॉ. संदीप सबलोक ने किया तथा आभार जनभागीदारी अध्यक्ष अमित दुबे रामजी ने माना। महात्मा गांधी जी की प्रतिमा को जनभागीदारी के माध्यम से रखा गया। जिसमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शंकर केसरी, स्व. दादा डालचंद्र जैन व जितेन्द्र सिंह चावला, डॉ. जी.एस, रोहित, अमित दुबे रामजी तथा डॉ. अमर कुमार जैन ने सहयोग किया। कार्यक्रम में रामनाथ यादव, सिंटू कटारे दीनदयाल तिवारी, पप्प गप्ता, दीनदयाल तिवारी. विजय साह, अवधेस तोमर शैलेन्द्र तोमर, आनंद तोमर, सुरेस जैन, नरेन्द्र कोष्टी, राजेश दुबे, गयंक तिवारी, अनिरुद्ध गौर, रीतेश पाण्डेय, अंकू चौरसिया चक्रेश सिंघई सहित वरिष्ठजन उपस्थित थे। महाविद्यालय परिवार से डॉ. संजीव दुबे, डॉ. मधु स्थापक, डॉ. प्रवीण शर्मा, डॉ. राजेश जैन, डॉ. जयकुमार सोनी, डॉ. सुभाष हर्डीकर, डॉ. गोपा जैन, डॉ. इगराना सिद्दीकी, डॉ. उमाकांत स्वर्णकार, डॉ. अंकुर गौतम, डॉ. संदीप तिवारी सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।

गजेंद्र ठाकुर की रिपोर्ट-9302303212

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